विशाखापट्टनम में गैस का रिसाव होने से १३ लोगों की मृत्यु – पाँच हज़ार से भी अधिक लोगों को त्रासदी

विशाखापट्टनम – आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम स्थित एक फ़ैक्टरी में स्टिरीन गैस का रिसाव होने से बड़ी दुर्घटना हुई है। इस घटना के दौरान १३ लोगों ने जान गँवाई है। इस हादसे के दौरान करीबन तीन किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्र में इस रिसाव हुए गैस का फ़ैलाव हुआ था। इससे पाँच हज़ार से भी अधिक नागरिकों को त्रासदी का सामना करना पड़ा है। इस दौरान सरकार ने इस क्षेत्र के लगभग आठ हज़ार लोगों की जाँच करने का निर्णय किया है। इस गैस रिसाव के साथ ही, वर्ष १९८४ में हुए भोपाल गैस कांड़ की यादें ताज़ा हुईं और इस क्षेत्र में बसें गाँवों से लोगों को सुरक्षित स्थल पर पहुँचाने के लिए बचाव कार्य शुरू किया गया।

विशाखापट्टनम में स्थित विशाखा एलजी पॉलिमर इस पॉलिस्टीरीन का उत्पाद करनेवाली दक्षिण कोरियन कंपनी में गुरुवार के दिन भोर होने से पहले यकायक गैस का रिसाव शुरू हुआ। यह घटना सुबह के २.३० से ३ के दौरान होने की बात कही जा रही है। रिसाव के साथ ही, कुछ ही मिनटों में यह गैस, फैक्टरी के तीन किलोमीटर के दायरे में फ़ैल गया। लोगों को साँस लेने में कठिनाई हो रही थी। कई लोग उल्टी और चक्कर आने की शिकायत कर रहे थे। ऐसे में घबराहट में लोग जान के ड़र से घर से बाहर निकलें और भागने की कोशिश करने के दौरान ही मूर्च्छित होकर बीच रास्ते में गिर पड़े थे। इससे वहाँ पर बनीं स्थिति का अंदाजा कर सकते हैं।

पॉलिस्टिरीन यानी खास तरह के प्लास्टिक का निर्माण इस कंपनी में किया जा रहा था। पिछले ४० दिनों से यह कंपनी लॉकडाउन के कारण बंद थी। इसे दोबारा शुरू करने की अनुमति प्राप्त होने के बाद यह कंपनी पुन: शुरू करने की तैयारी हो रही थी कि तभी गैस का रिसाव होने की दुर्घटना घटी। स्टिरीन गैस काफ़ी ख़तरनाक समजा जाता है और इससे हवा में कार्बन मोनॉक्साईड की मात्रा बढती है और इसके संपर्क में आये व्यक्ति के फ़ेफडों पर विपरित असर होकर उसे साँस लेने में तकलीफ़ महसूस होती है और १० मिनटों में ज़रूरी इलाज या ऑक्सिजन प्राप्त ना होने से, इस गैस की चपेट में आनेवाले व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है, ऐसी जानकारी भी सामना आयी है।

विशाखापट्टनम की दुर्घटना में अबतक १३ लोगों की मृत्यु हुई है। करीबन ८० लोगों की स्थिति काफ़ी गंभीर हैं और ३५० लोगों पर अस्पतालों में इलाज हो रहा है। इसके अलावा लगभग पाँच हज़ार लोगों को इस गैस के रिसाव से त्रासदी का सामना करना पड़ा है। गैस का रिसाव हुई कंपनी से पाँच किलोमीटर के दायरें में रहनेवालें लोगों की जाँच करने का निर्णय किया गया है। इस बीच गैस रिसाव के हादसे के बाद राष्ट्रीय आपदा मोचल बल (एनडीआरएफ) और परमाणु आपादस्थिति में राहत कार्य करने के लिए तैयार किया गया विशेष दल विशाखापट्टनम में दाखिल हुए हैं। राज्य सरकार ने मृतकों के परिवार को एक करोड़ रुपयों की सहायता प्रदान करने की घोषणा की है। साथ ही, कंपनी के विरोध में अपराधिक मामला दर्ज़ किया गया है। साथ ही, इस घटना की जाँच करने के आदेश भी जारी किए गए हैं। प्राथमिक जाँच के दौरान, कंपनी की स्टिरीन गैस की टंकियों से जुड़ी रेफ्रिज़रेशन युनिट में तकनीकी खराबी होने से गैस रिसाव होने की बात सामने आयी है।

विशाखा एलजी पॉलिमर यह फैक्टरी विशाखापट्टनम शहर से कुछ दूरी पर होने के कारण, शहर के नागरिक इस हादसे के चपेट में आने से बच गए। नहीं तो इस दुर्घटना का असर काफ़ी बड़ा हुआ होता, यह दावा भी किया जा रहा है। गैस का रिसाव रोकने के लिए इस कंपनी द्वारा जारी कोशिश सुबह नौ बजे तक कामयाब हुई।

लेकिन तब तक, इस दुर्घटना ने ३५ वर्ष पहलें भोपाल में हुए गैस के रिसाव की दुर्घटना की यादें ताज़ा कीं। भोपाल कांड़ में युनियन कार्बाईड नाम की कंपनी से भी इस तरह, भोर होने के समय पर गैस का रिसाव हुआ था और हज़ारों लोगों की नींद में ही मृत्यु हुई थी। पाँच हज़ार नागरिक इस हादसे का शिकार हुए थे और छः लाख लोगों को लंबे समय तक इस हादसे के भीषण परिणाम भुग़तने पड़े थे।

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