अमरीका के बाद अब यूरोप भी चीन पर व्यापारी प्रतिबंध लगाने की तैयारी मे – संवेदनशील प्रौद्योगिकी की निर्यात पर लगेगी रोक

ब्रुसेल्स/बीजिंग, दि. ३ (वृत्तसंस्था) – यूरोपिय महासंघ ने चीन में संवेदनशील प्रौद्योगिकी निर्यात करने पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी शुरू की हैं। यूरोपियन कमिशन द्वारा जल्द ही संवेदनशील प्रौद्योगिकी और अन्य मुद्दों की एक सूची जारी होगी, ऐसी जानकारी सूत्रों ने प्रदान की। यूरोपिय संसद भी प्रतिद्वंद्वी देशों के विरोध में व्यापार एवं निवेश पर प्रतिबंध लगाने की कारवाई के समावेश वाले प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी, ऐसा कहा जा रहा है। इसमें चीन का स्पष्ट ज़िक्र नहीं हैं, फिर भी कमिशन और संसद द्वारा उठाए जा रहे कदम चीन विरोधी नई नीति का हिस्सा होने की जानकारी वरिष्ठ अधिकारी ने साझा की है।

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कोरोना की महामारी, साउथ चाइना सी में जारी हरकतें, हाँगकाँग की घटनाएं, उइगरवंशियों पर हुए अत्याचार एवं नए कानून के मुद्दे को लेकर चीन और पश्चिमी देशों के बीच तनाव बढ़ रहा हैं। अमरीका ने चीन को रोकने के लिए पहले ही कदम उठाना शुरू किया है, फिर भी यूरोपिय महासंघ अभी ऐसी कार्रवाई करने से बच रहा था। लेकिन, रशिया-यूक्रेन युद्ध में चीन द्वारा रशिया को प्रदान हो रहे सहयोग की पृष्ठभूमि पर यूरोपिय देशों ने अपनी भूमिका में बदलाव करना शुरू किया हैं। ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, फ्रान्स जैसे प्रमुख यूरोपिय देशों ने चीन के खतरे पर स्पष्ट बयान करके कदम उठाना शुरू किया है।

इसी पृष्ठभूमि पर अब यूरोपिय महासंघ में भी चीन विरोधी भावना बढ़ने लगी हैं और कमिशन और बाद में संसद द्वारा होने वाला यह संभावित निर्णय उसी का हिस्सा दिखता है। कुछ दिन पहले ही यूरोपियन कमिशन ने यूरोप में दाखिल हो रहे चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर प्रतिबंध लगाने के संकेत दिए थे। उससे पहले सेमीकंडक्टर क्षेत्र की शीर्ष यूरोपिय कंपनी ‘एएसएमएल’ ने चीन को अहम यंत्र, सामान देने से इनकार किया था। इस निर्णय के पीछे अमरीका का दबाव वजह बना था।

इससे पहले ही अमरीका ने ड्रोन, सेमीकंडक्टर, ५ जी, एआई जैसी संवेदनशील प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में चीन पर विभिन्न प्रतिबंध लगाए हैं। इसे दोहराकर यूरोपिय महासंघ ने भी संवेदनशील प्रौद्योगिकी चीन को उपलब्ध न हो सके, इस मंशा से कदम उठाना शुरू किया है। कुछ दिन पहले ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष अभ्यास गुट ‘लोवी इन्स्टीट्यूट’ के समारोह में जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेअरबॉक ने चेतावनी देकर यह कहा था कि, चीन बदल गया हैं और इस वजह से अब हमें भी चीन संबंधित नीति में बदलाव करने होंगे। यूरोप में जर्मनी को प्राप्त हुए स्थान के मद्देनज़र उनके विदेश मंत्री का यह बयान यूरोप की ‘चाइना पॉलिसी’ में हो रहे बदलाव के स्पष्ट संकेत दिखते हैं।

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