एक प्रेममय और विनम्र देश के रूप में चीन की छवि बनाएँ – राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की राजनीतिक अफसरों को सूचना

राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंगबीजिंग – कोरोना संक्रमित करके ३५ लाख से भी अधिक लोगों की जान लेनेवाला और विश्‍व को काफी बड़ा नुकसान पहुँचानेवाले निर्दयी देश के तौर पर चीन की छवि निर्माण हुई है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन के विरोध में फैल रहीं तिरस्कार की भावना और चीन की निर्दयी देश के रूप में बनी यह छवि सुधारने की आवश्‍यकता, चीन के राष्ट्राध्यक्ष को महसूस हो रही है। इसी वजह से एक प्रेममय और विनम्र देश के रूप में चीन की छवि विश्‍वभर में खड़ी करने की कोशिश करें, यह संदेश चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने दिया है। अपने राजनीतिक अफसरों के साथ, कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को भी राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने, यह उद्देश्‍य प्राप्त करने की दिशा में काम करने का अनुरोध किया है।

चीन ने अधिक से अधिक मित्र बनाने चाहिये। चीन के मित्रदेशों की संख्या बढ़ाकर इसका विस्तार होना चाहिये। जो भी चीन को समझ सकते हैं और चीन से मित्रता करने के लिए उत्सुक हैं, उनके साथ सहयोग बढ़ाने के लिए कोशिश करनी होगी। इसके लिए हमें अपने स्वर को नियंत्रित रखना आवश्‍यक है’, यह कहकर राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने चीन के राजनीतिक अफसरों को संयम दिखाने का सुझाव दिया है।

बीते कुछ महीनों से चीन ने फिलिपीन्स जैसें छोटे देश से लेकर अमरीका जैसी महासत्ता को भी धमकाने का सत्र शुरू किया है। ऑस्ट्रेलिया जैसें देश को चीन के राजनीतिक अफसरों ने धमकाया भी था। इसी बीच, ‘क्वाड’ में शामिल होने के मुद्दे पर चीन के राजदूत ने बांगलादेश को गंभीर परिणामों की चेतावनी दी थी। चीन के विदेश मंत्रालय ने भी, अपने राजदूत ने प्रयोग की भाषा का समर्थन किया था। चीन की विस्तारवादी नीति इस आक्रामक भाषा से व्यक्त होती दिख रही है। लेकिन, मौजूदा दौर में इस तरह की भाषा का प्रयोग करना चीन के लिए मुनासिब नहीं होगा, इस बात का एहसास राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग को हुआ है।

कोरोना का संक्रमण चीन से ही पूरे विश्‍व में फैला और चीन ने इस संक्रमण का हथियार की तरह इस्तेमाल किया, ऐसा आरोप कई ज़िम्मेदार विश्‍लेषक लगा रहे हैं। इसकी पुष्टि करनेवाली जानकारी रोज़ाना सामने आ रही है और इस वजह से पूरे विश्‍व में चीन के विरोध में गुस्से की भावना निर्माण हुई है। इसी बीच, कुछ देशों ने कोरोना के उद्गम की जाँच करने की माँग उठाई है। ऐसी स्थिति में चीन को मित्रदेशों की ज़रूरत महसूस हो रही है और इसी वजह से, राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने अपने राजनीतिक अफसरों को इस दिशा में कोशिश करने के संकेत दिए हैं।

चीन के अभ्यासक एवं पूर्व राजनीतिक अधिकारी रहें वैंग ईवी ने भी, चीन ने अपनी अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिमा को लेकर गंभीरता से विचार करना होगा, यह सलाह प्रदान की है। कोरोना के संक्रमण की वजह से पश्‍चिमी विश्‍व में चीन की छवि मिट्टी में मिल गई है। इसे काफी गंभीरता से देखना होगा। चीन को अगर महासत्ता के रूप में उभरना है, तो विश्‍व को चीन को मंज़ुरी प्रदान करनी होगी। इसके बगैर चीन के हाथ में असली ताकत आना मुमकिन नहीं होगा, ऐसा ईवी ने कहा है। चीन की साम्यवादी विचारधारा से हमें काफी बड़ा खतरा बनता है, इस सोच में पश्‍चिमी जगत है, इस ओर भी ईवी ने ध्यान आकर्षित किया।

बीते वर्ष अमरीका के ‘प्यू रिसर्च सेंटर’ ने किए सर्वे में, करीबन १४ देशों में चीन के विरोध में तिरस्कार की भावना होने की बात स्पष्ट हुई थी। इसी बीच, चीन ने हाँगकाँग, तैवान, झिंजियांग प्रांत में उइगरवंशीय एवं तिब्बती नागरिकों के खिलाफ अपनाई भूमिका पर विश्‍वभर में नाराज़गी बनी है। ऐसी स्थिति में चीन को मित्रदेशों की संख्या बढ़ानी है और अपनी छवि भी सुधारनी है। लेकिन, फिलहाल ‘शिकारी अर्थनीति का स्वीकार करके गरीब देशों को लूट रहा एवं कोरोना को संक्रमित करके जैविक युद्ध शुरू करनेवाला निर्दयी देश’, यही चीन की छवि तैयार हुई है। इसे सुधारने के लिए चीन द्वारा हो रहीं कोशिशों को इतनी जल्दी कामयाबी हासिल होने की संभावना थोड़ी भी नहीं है।

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