‘एआय’ का बतौर हथियार इस्तेमाल करनेवालों से विश्‍व की रक्षा करनी होगी – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली – ‘आर्टिफिशिअल इंटेलिजन्स’ (एआय) की तकनीक मानव के लिए और विश्‍व के लिए उपकारक साबित हो रही है। इसी तकनीक के ज़रिये मानव और विश्‍व के कल्याण के लिए काफ़ी कुछ करना संभव हो सकता है। लेकिन, देश की सीमा की परवाह न करनेवाले ‘नॉन स्टेट ऐक्टर्स’ इस तकनीक का बतौर हथियार इस्तेमाल करेंगे। इससे पूरे विश्‍व की रक्षा करनी होगी, यह इशारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया। ‘आर्टिफिशिअल इंटेलिजन्स’ पर आधारित पांच दिनों की जागतिक वर्चुअल परिषद का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी के हाथों हुआ। इस अवसर पर वे बोल रहे थे। भारत को ‘आर्टिफिशिअल इंटेलिजन्स’ का केंद्र बनाने का लक्ष्य है, यह बात भी प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान रेखांकित की।

‘एआय’

‘एआय’ की तकनीक सामाजिक मज़बूती के लिए अहम भूमिका नीभा सकेगी। खेती, आधुनिक बुनियादी सुविधाओं के निर्माण के लिए, आपाद व्यवस्थापन प्रणाली मज़बूत करने के लिए इस तकनीक की बड़ी भूमिका है, यह बयान मोदी ने किया। ‘रिस्पॉन्सिबल आर्टिफिशल इंटेलिजन्स फॉर युथ’ नामक कार्यक्रम भारत ने इसी वर्ष अप्रैल महीने से शुरू किया है। इसमें अब तक ११ हज़ार से अधिक छात्रों ने ‘बेसिक कोर्स’ पूरा करके ‘एआय’ तकनीक से संबंधित प्रकल्प तैयार करने का काम शुरू किया है। भारत की नई शिक्षा नीति में तकनीक पर आधारित शिक्षा पर जोर दिया गया है, इस ओर प्रधानमंत्री मोदी ने ध्यान आकर्षित किया।

‘एआय’ तकनीक का किस तरह से इस्तेमाल होता है, यह बहुत अहम है। इसका गलत इस्तेमाल नहीं होगा, इससे नुकसान नहीं होगा, यह तय करना सभी की ज़िम्मेदारी है। इस तकनीक का बतौर हथियार इस्तेमाल नहीं होगा। ‘नॉन स्टेट ऐक्टर्स’ यानी देश की सीमाओं की परवाह ना करनेवाले इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे, इसका ध्यान रखना होगा। किसी भी स्थिति में इस तकनीक का गलत इस्तेमाल होने से विश्‍व की रक्षा करनी होगी, यह आवाहन प्रधानमंत्री मोदी ने किया।

जून महीने में भारत ने अमरीका, ब्रिटेन, कनाड़ा, फ्रान्स, जर्मनी, न्यूज़ीलैण्ड और ऑस्ट्रेलिया के साथ अन्य देशों ने ‘एआय’ तकनीक का जिम्मेदारी से इस्तेमाल और विकास करने के लिए ‘आर्टिफिशिअल इंटेलिजन्स’ के मोर्चे पर ग्लोबल पार्टनरशिप की है, इस ओर प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।

इस परिषद के लिए १३९ देशों के ६० हज़ार से अधिक प्रतिनिधी और उद्योजक शामिल हो रहे हैं। लेकिन, इस परिषद में शामिल होने के लिए चीन के एक भी विशेषज्ञ को या उद्योजक को आमंत्रित नहीं किया गया है। इससे भारत ने ‘एआय’ क्षेत्र में चीन को जोरदार उत्तर देने की तैयार करने के दावे किए जा रहे हैं। इससे पहले ही भारत ने चीन के २०० से अधिक ‘ऐप्स’ पर प्रतिबंध लगाए हैं। डाटा की चोरी और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा होने का आरोप लगाकर यह प्रतिबंध लगाए गए थे। इस पृष्ठभूमि पर ‘आर्टिफिशिअल इंटेलिजन्स’ के क्षेत्र में बढ़त बनानेवाले चीन को इस प्रमुख परिषद के लिए आमंत्रित ना करना, ध्यान आकर्षित करता है।

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