हवामान नियंत्रण एवं डॉ.निकोल टेसला

teslaविद्युत एवं विद्युत चुंबकीय क्षेत्र की दुनिया में एक सर्वोत्कृष्ट संशोधक के रूप में देखा जाये तो यह निर्विवाद सत्य है कि वह नाम डॉ.निकोल टेसला का ही हो सकता है। डॉ.टेसला ने निसर्ग में इन दोनों ही क्षेत्रों से संबंधित होने वाली सैंकड़ो घटनाएँ देखी ओर उनके निरीक्षण के आधार पर अध्ययन करके उन्होंने अनेक प्रकार की खोजे कीं। बिजली चमकते समय, बरसात एवं अन्य अनेक नैसर्गिक घटनाओं में उन्होंने ‘इलेक्ट्रिकल फेनोमेना’ का निरीक्षण किया। इन घटनाओं का अध्ययन करने पर (की जाँच करने पर) उनके ध्यान में आया कि यदि इसी प्रक्रिया को उलटा कर दिया जाये तो विद्युतचुंबकीय क्षेत्र तैयार होकर उनमें से पुन: नैसर्गिक घटनाओं की पुनरावृत्ति हो सकती है। डॉ.टेसला ने कोई सोच भी नहीं सकता, इस प्रकार की जोरदार चीज़ ढूढ़ँ निकाली थी। डॉ.निकोल टेसला को नैसर्गिक घटकों पर नियंत्रण कैसे प्राप्त किया जा सकता है इस बात का पता चल चुका था और आगे चलकर उन्होंने इन चीज़ों पर अपना प्रभुत्व जमा लिया था।

सन १९०० के आरंभ में डॉ.टेसला ने पृथ्वी के नैसर्गिक स्पंदनों का उपयोग करके, बगैर वायर का उपयोग किए ही संपूर्ण पृथ्वी पर उर्जा का भार संवाहन करनेवाली यंत्रणा ढूँढ़कर, उनका पेट्ंट बना लिया था। यह यंत्रना लो फ्रीक्वेंसी  पे अत्यन्त उच्च क्षमता रखनेवाली विद्युतचुंबकीय लहरों की निर्मिती करने में सक्षम थी। इन लहरों में पूरी क्षमता के साथ संपूर्ण पृथ्वी पर संचार करने की क्षमता थी। फ्रीक्वेंसी  लहरों द्वारा प्रवाहित होने वाली उर्जा की क्षमतानुसार हवाओं की गति, बादल एवं संपूर्ण वातावरण पर प्रभाव पड़ सकता है, इस प्रकार के विभिन्न दबावों की पट्टियाँ आयनोस्फीयर  में तैयार करने की क्षमता इसमें थी। डॉ.टेसला ने बड़े ही बारीकी के साथ प्रयोग करके, इस यंत्रणा के माध्यम से बादल ,चक्रीबादल, बाढ़, भूकंप और बरसात इस तरह की नैसर्गिक घटनाओं का अनुकरण करने की क्षमता प्राप्त कर ली थी।

सन १९०० के आरंभिक (काल) समय में ही, डॉ.टेसला ने इस प्रकार का सिद्धांत प्रस्तुत किया कि योग्य समन्वय रखनेवाले रेडियो, इम्पल्सेस का उपयोग करके ‘इलेक्ट्रोमॅग्नेटिक रिझोनंट वेव्हस’ की सहायत से आयनोस्फीयर  में होनेवाले पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को अपने वश में करना संभव है।

यहाँ पर एक महत्त्वपूर्ण बात पर ध्यान देना ज़रूरी है कि, हम जिस ‘आयनोस्फीयर ’ का उल्लेख कर रहे हैं, यह भाग पृथ्वी के पृष्ठभाग से ६० से ६०० किलोमीटर की ऊँचाई पर होनेवाला वातावरण का हिस्सा है। पृथ्वी पर रहनेवाले मानवी समाज के लिए एवं संपूर्ण पृथ्वी के लिए इस मजबूत स्तर का होना अत्यन्त महत्त्वपूर्ण माना जाता है। वातावरण में होनेवाले इसी स्तर के अनुसार बरसात एवं अन्य नैसर्गिक घटनाओं की निर्मिती होती है। पृथ्वी पर होनेवाले रेडियों कम्युनिकेशन के लिए भी यही हिस्सा उपयुक्त होता है। मुख्य तौर पर संशोधन एवं अन्य अनेक कार्यों के लिए अंतराल में छोड़े गए उपग्रह वातावरण के इसी हिस्से में स्थिर रहते हैं।

डॉ.टेसला ने, स्टँडिंग़ वेव्हस् को अपनी इच्छानुसार उसे अपने वश में करके ‘जेट स्ट्रीम’ के समान हवा के प्रचंड प्रवाहों की दिशा को बदलना भी संभव होने का दावा किया था। डॉ.टेसला का यह विधान हवा एवं बारिश को नियंत्रित करने के प्रयत्नों का स्पष्ट निर्देश देने वाला था। इसके द्वारा डॉ.टेसला को आने वाले समय के लिए मानवी समज के अस्तित्व के लिए महत्त्वपूर्ण तत्त्वों के रूप में पहचानी जानेवाली कृषि एवं वनीकरण की दिशा बदलनी थी।

डॉ.टेसला प्रचंड क्षमता रखनेवाले इलेक्ट्रिकल डिसचार्जेस के वातावरण में होने वाले परिणामों पर १८ वर्षों तक लगातार (निरंतर) प्रयोग करते रहे थे। वातावरण एवं हवामान पर नियंत्रण प्राप्त करने वाले क्षेत्र में डॉ.टेसला के समान ऊँचाई तक पहुँचने वाला वैज्ञानिक अथवा संशोधक शायद ही कोई होगा। एक मनुष्य की ओर से नि:सर्ग पर नियंत्रण प्राप्त करने के कार्य में डॉ.टेसला ने पूर्णत: प्रभुत्त्व प्राप्त कर लिया था। हवामान की स्थिति एवं उनमें होनेवाले बदलाव इनका मूल ‘विद्युत उर्जा’ में है और इसी कारण इस विद्युत उर्जा की सहायता से उस पर नियंत्रण प्राप्त करना संभव है, इस बात का पूरा विश्‍वास डॉ.टेसला को था और उन्होंने इस बात को सिद्ध कर दिखलाया था। इस क्षेत्र में कौशल्य प्राप्त करने के लिए अनेक प्रयोग करने के पश्‍चात उन्होंने कहा की, ‘‘मानव केवल हवामान का अचूक उपयोग (भाकितच) ही कर सकेगा, ऐसा नहीं है, बल्कि उसपर नियंत्रण भी प्राप्त कर सकता हैऔर वह दिन दूर नहीं, ऐसा मुझे प्रतीत होता है। हाय टेन्शन इलेक्ट्रिकल करंट्स के संदर्भ में किए गए प्रयोग के पश्‍चात् खुल चुकी विविध क्षेत्रों की जानकारी रखनेवाला कोई भी मनुष्य स्वाभाविक एवं अस्वाभाविक के बीच सीमा रेखा खींचने का ढ़ाँढ़स कर सकता है, ऐसा मुझे नहीं लगता हैं।’’ उनका यह विधान सब कुछ स्पष्ट कर देता हैं। डॉ.निकोल टेसला ने विविध प्रयोगों के माध्यम से हवामान एवं नि:सर्ग को अपने वश में करने पर कौशल्य प्राप्त कर उस पर उन्होंने पूर्णत: नियंत्रण प्राप्त कर लिया था। कुछ लोग इसे राक्षसी प्रवृत्ति समझेंगे, परन्तु प्रत्यक्षरूप में ऐसा कुछ भी नहीं था। डॉ.निकोल टेसलाने अपने सभी शोधों में मानवसमाज के कल्याण एवं नि:सर्गदेवी की सेवा यही उनके संशोधन का मूलसूत्र रहेगा, इस बात का ध्यान रखा था। इस क्षेत्र के संदर्भ में डॉ.टेसला द्वारा लिखे गए लेखों में उनके संशोधन के कुछ भ्रमित (भ्रम में डाल देनेवाले) कर देने वाले, संदर्भों का उल्लेख भी मिलता है।

अपने एक लेख में डॉ.टेसला ने पृथ्वी पर के सभी मरूस्थल पुन:उपजाऊ जमीन के रूप में परिवर्तित हो जायेंगे इस प्रकार के हवामान नियंत्रित करने की पद्धति बतलाई थी। उसी लेख में डॉ.टेसला ने तीव्रगति का हवामान होनेवाले विभागों के बार में बतलाते हुए, अत्यन्त ठंडक(शीत) अथवा अत्यन्त उष्ण हवामान में बदलाव लाकर (घटित करके) मानवी बस्ती के लिए आवश्यक वातावरण तैयार किया जा सकता है, इस प्रकार की जानकारी भी दी थी। इससे सामान्य मानव एवं किसानों के प्रति डॉ.टेसला के दिल में कितनी तड़प थी यह हम जान सकते हैं। मनुष्य के लिए आवश्यक होने वाला अन्न, आवास, वस्त्र एवं शिक्षा इन सब के समान मूलभूत चीजों की कमी कभी भी महसूस नहीं होनी चाहिए, यही उनकी धारणा थी। डॉ.टेसला के मतानुसार, मनुष्या को सर्वशक्तिमान ईश्‍वर का सान्निध्य एवं प्रेम प्राप्त करने के लिए सतत हाथ-पैर मारते रहना चाहिए(प्रयास करते रहना चाहिए)।

कंपनशक्ति का उपयोग करके डॉ.टेसला भूकंप निर्माण कर सकते थे, इस बात की जानकारी भी एक लेख में हम हासिल कर चुके हैं। डॉ.टेसला ने ‘टेसला ऑसिलेटर’ नामक व्हैक्युम क्लीनर के आकार जैसा एक यंत्र भी तैयार किया था। इस यंत्र के द्वारा पृथ्वी के पृष्ठभाग पर होनेवाली ज़मीन के नीचे गहराई तक होने वाले स्तर की कंपनक्षमता को पहचान कर भूकंप करवान संभव हो सकता है। डॉ. निकोल टेसला का हवामान को नियंत्रित करनेवाले यांत्रिक ज्ञान में प्राप्त कौशल्य वादातीत था और उस में पृथ्वी के कवच में कंपन्न निर्माण करके उसमें प्रचंड उथल-पथल मचाकर नदियों में बाढ़ लाने की , इमारतों को ढ़ह जाये आदि इस प्रकार की क्रिया कर संपूर्ण मानवजाति को स्तब्ध कर देने का सामर्थ्य था।

डॉ.निकोल टेसला ने स्वयं १९३०  में एक अत्यन्त उत्कंठावर्धक लेख लिखकर, उस में मानवजाति के सामर्थ्य एवं उसके पास होने वाली अज्ञात क्षमता की जानकारी दी थी। सच में देखा जाये तो मानव के लिए अज्ञात क्या है, इस बात का ज्ञान कराने की कोशिश की थी। इसमें डॉ.निकोल टेसला ने लिखा था कि, मनुष्य इस पृथ्वी के आकार को बदल सकता है, उसके अन्तर्गत आनेवाली ऋतुओं को भी नियंत्रित कर सकता है और इस व्यापक विश्‍व में उसे जहाँ भी जाना है वहाँ पर सहज ही जा सकता है। वह विविध प्रकार के ग्रहों को एक दूसरे के साथ टकरा सकता है(गिरा सकता है)। अपने स्वयं के लिए अनेक सूर्य एवं ताराओं की निर्मिती कर सकता है। वह असंख्य रूपों की निर्मिती करके, उसे जीवन दे सकता है।

यह एक परिच्छेद में डॉ.निकोल टेसला के जीवन, कार्य एवं उनके उद्देश्य के प्रति बिलकुल शब्द भी उनके लिए वर्णनातीत हो इतना प्रचंड, भव्य, अमर्याद एवं फिर भी सुंदर, शुद्ध, अद्भुत एवं पवित्र होने के प्रति स्पष्ट रूप में दिखायी देता है। फिर भी आज के युग में ऐसे कुछ स्वार्थी, स्वकेन्द्रीत व्यक्ति एवं समूह हैं, जिन्हें डॉ.टेसला के यांत्रिक ज्ञान से भय लगता है। इसके साथ ही मानवी समाज के कल्याण हेतु डॉ.टेसला द्वारा विकसित किया गया विलक्षण एवं संपूर्ण संशोधन सामान्य मानवों के विरोध में ही उपयोग में लाया जायेगा इस बात का भय भी बना रहता है।

(क्रमश:)

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