रशिया को जरूरी संदेश देने के लिए भूमध्य सागर में अमरिका की ‘वॉरशिप डिप्लोमसी’

Third World Warमास्को: भूमध्य सागर में अमरिका ने अपने ‘यूएसएस अब्राहम लिंकन’ और ‘यूएसएस जॉन स्टेनिस’ यह दो विशाल विमान वाहक युद्धपोत तैनात की है| ‘यह तैनाती यानी ‘दो लाख टन भार की युद्धनीति’ है| यह प्रगत युद्धनीति का स्तर है और इसके आगे अधिक कुछ बोलने की जरूरत ही नही है’, इन चुनिंदा शब्दों में रशिया में नियुक्त अमरिका के राजदूत ‘जॉन हंटस्मन’ इन्होंने रशिया को चेतावनी दी है|

सीरिया ने अपना ‘तारतूस’ बंदरगाह ४९ वर्षों के लिए रशिया को भाडे पर सौंपा है| इस वजह से रशियन नौसेना का यह सीरिया में अहम अड्डा बना है और अगले समय में सीरिया में शुरू संघर्ष में यह अड्डा फैसलाकुन भूमिका निभा सकता है| फिलहाल सीरिया में वर्चस्व स्थापित करने के मुद्दे पर रशिया और अमरिका एक दुसरे के सामने खडे हुए है और इस पृष्ठभूमि पर तारतूस को लेकर सीरिया ने किया निर्णय काफी अहम साबित होता है| इस स्थिति पर अमरिका ने गंभीरता से संज्ञान लिया दिखाई दे रहा है|

रशिया, जरूरी संदेश, देने, भूमध्य सागर, अमरिका, वॉरशिप डिप्लोमसी, मास्कोइसके लिए अमरिका ने सीरिया के समुद्री क्षेत्र से कुछ ही दूरी पर तैनात किए अपने युद्धपोतों की तादाद बढाई है| दो दिन पहले अमरिकी युद्धपोत, हेलिकॉप्टर्स का बेडा लेकर ‘यूएसएस लिंकन’ और ‘यूएसएस स्टेनिस’ यह दो विशाल विमान वाहक युद्धपोत भूमध्य सागर में दाखिल हुई है| वर्ष २०१६ के बाद भूमध्य सागर में अमरिका की दो युद्धपोतों की हुई यह तैनाती पहली बार हो रही है|

बुधवार के दिन इन युद्धपोतों ने भूमध्य सागर में अभ्यास भी किया| इनमें से ‘यूएसएस लिंकन’ युद्धपोत पर रशिया में नियुक्त अमरिका के राजदूत जॉन हंटस्मन भी उपस्थित थे| इस दौरान अमरिकी वृत्तवाहिनी के साथ बातचीत करने के दौरान ‘दो लाख टन भार की युद्धनीति भूमध्य सागर में है| अब सीफ आत्मविश्‍वास के साथ पिछले कई वर्षों से बरकरार रहे प्रश्‍नों का हल निकालना है’, यह बात राजदूत हंटस्मन इन्होंने स्पष्ट की है| लेकिन, इस मुद्दे पर अधिक बात करने से अमरिकी राजदूत दूर रहे|

इसके पहले वर्ष २०१६ में सीरिया में शुरू संघर्ष के कारण अमरिका और रशिया में तनाव बढा था| ऐसे में इन दोनों युद्धपोतों की भूमध्य सागर में तैनाती हुई थी| भूमध्य सागर यह यूरोप, खाडी और अफ्रीकी देशों को जोडनेवाला सागरी क्षेत्र है| इस सागरी क्षेत्र की उत्तरी दिशा में ग्रीस, इटली और पूर्व दिशा में तुर्की, सीरिया, लेबनान एवं इस्रायल; दक्षिण दिशा में लीबिया, इजिप्ट और अल्जेरिया की सरहद है| खाडी क्षेत्र से पश्‍चिमी देशों की ओर जानेवाले जहाज भी इसी समुद्री क्षेत्र से सफर करते है| इस वजह से यह समुद्री क्षेत्र सामरिक दृष्टी से काफी अहम समझा जाता है|

इस दौरान, पिछले कुछ दिनों में रशिया ने नाटो सदस्य पूर्व यूरोपीय देशों की सीमा के निकट सेना की तैनाती शुरू की है| इस पृष्ठभू मि पर रशिया को इशारा देने के लिए अमरिका ने भूमध्य सागर में इन दो युद्धपोतों की तैनाती की है, यह दावा यूरोपीय माध्यम कर रहे है| वही, प्रतिबंधों के बाद गुस्सा हो उठे ईरान ने अमरिका और मित्रदेशों को जवाब देने की धमकी दी है| इस पृष्ठभूमि पर ईरान की गलत हरकतों को जवाब देने के लिए ही अमरिका ने भूमध्य सागर के क्षेत्र में यह दो विशाल युद्धपोत तैनात की है, यह दावा इस्रायल के लष्करी गुप्तचर विभाग से जुडे वेबसाइट ने किया है|

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