महाराष्ट्र में ‘कांगो फीवर’ को लेकर चेतावनी

पालघर – देशभर में कोरोना वायरस कोहराम मचा रहा है तभी महाराष्ट्र में ‘क्रिमियन कांगो हेमोरेजिक फीवर’ (सीसीएचएफ) नामक महामारी की बीमारी का फैलाव होगा, ऐसा इशारा दिया गया है। पशूओं से मनुष्यों में संक्रमित होनेवाली यह बीमारी गुजरात में फैल रही है। इस बात पर ध्यान केंद्रीत होने के साथ ही अब महाराष्ट्र में भी कुछ पशु इस बिमारी से संक्रमित होने की बात सामने आयी है। इसी कारण गुजरात से सटे महाराष्ट्र के ज़िलों के रास्ते यह बीमारी राज्य में फैलेगी, यह ड़र व्यक्त किया जा रहा है।

congo-feverफिलहाल गुजरात के बोताड़ और कच्छ ज़िलों में ‘कांगो फीवर’ की महामारी के मरीज़ों की संख्या बढ़ने की जानकारी सामने आयी है। इस वजह से गुजरात की सीमा से जुड़े पालघर में इस कांगो फीवर से संबंधित अलर्ट जारी किया गया है। इस ज़िले में पशुसंवर्धन आयुक्त दफ्तर के ज़रिये इससे संबंधित निवेदन जारी किया गया है। गुजरात के कुछ हिस्सों में इस ‘फीवर’ के कुछ मामले देखे गए हैं। अब यह ‘फीवर’ महाराष्ट्र के सरहदी इलाकों में फैलने की संभावना है। पालघर ज़िला गुजरात के वलसाड़ ज़िले से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा नंदुरबार, धुलिया, जलगाव ज़िले भी गुजरात की सीमा से जुड़े हुए हैं और इन जिलों में गुजरात से पशुओं की यातायात होती है। इसी कारण महाराष्ट्र में इस बीमारी का प्रवेश हो सकता है, यह ड़र व्यक्त किया जा रहा है।

इस पृष्ठभूमि पर गुजरात सीमा से महाराष्ट्र की सीमा में पशुओं को लाने के दौरान उचित जाँच करने के आदेश दिए गए हैं, यह जानकारी पालघर पशुसंवर्धन विभाग के उपायुक्त डॉ.प्रशांत कांबले ने साझा की। कांगो फीवर की बीमारी का पशुओं के ज़रिये मनुष्यों में संक्रमण होता है। यह बीमारी ‘हायग्लोमा’ वर्ग के कीटक से पशुओं में फैलती है। ऐसे पशु से इस बिमारी का संक्रमण मनुष्य को होता है। पालतू जानवरों के माध्यम से इस बीमारी का अधिक फैलाव होता है। जानवरों में इस बीमारी के आसार दिखाई नहीं देते। लेकिन, इस बीमारी से संक्रमित जानवर के संपर्क में आने से मनुष्य को इस बीमारी का संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है। इससे पहले कांगो, दक्षिण अफ्रिका, चीन, हंगेरी, ईरान में इस बिमारी का बड़ा फैलाव दिखाई दिया है।

मनुष्य इस बीमारी से संक्रमित होने पर समय पर जानकारी प्राप्त ना होने पर या समय पर इलाज़ ना होने पर ३० प्रतिशत मरीज़ों के जान का खतरा हो सकता है। कांगो फीवर का मृत्युदर १० से ४० प्रतिशत है। संक्रमित मरीज़ को सिरदर्द, भारी फीवर, जोड़ों का दर्द, पेट दर्द और उल्टी के आसार दिखाई देते है। यह बीमारी बढ़ने पर नाक और यूरिन से खून आने लगता है। इस बीमारी के लिए अभी कोई भी टीका उपलब्ध नहीं है। इस वजह से प्रभावी प्रतिबंधात्मक उपाय ही इस बीमारी का संक्रमण रोकने का सबसे बेहतर इलाज़ है।

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