राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की नीति के खिलाफ़ चीन में नाराज़गी के स्वर

बीजिंग – ‘चीन ने अब तक कई देशों को आर्थिक एवं अन्य सहायता प्रदान की। लेकिन चीन को जब ज़रूरत थी तब इनमें से एक भी देश चीन के पक्ष में खड़ा नहीं हुआ। मौजूदा विदेश नीति चीन के लिए लाभदायी साबित ना होने की बात दिखाई दे रही है’, ऐसी नाराज़गी चीन की ‘पीपल्स लिब्रेशन आर्मी’ के वरिष्ठ सेना अधिकारी जनरल दाई शी ने व्यक्त की। साथ ही जनरल दाई ने सटीक शब्दों में राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग की विदेश नीति कामयाबी प्राप्त नहीं कर पाई है, यह बात भी रेखांकित की। चीन में इस तरीके से सभी अधिकार हाथ में रखनेवाले राष्ट्राध्यक्ष की नीति की नाकामी जाहीर तौर पर रखने की परंपरा नहीं है। इसी वजह से जनरल दाई ने व्यक्त की हुई नाराज़गी ध्यान आकर्षित करनेवाली साबित होती है।

Jinpingचीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी और पीपल्स लिब्रेशन आर्मी में राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के विरोध में बनी नाराज़गी धीरे धीरे सामने आ रही है। कुछ दिन पहले जनरल दाई शी ने राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की विदेश नीति पर स्पष्ट मत व्यक्त किया था। ‘बीते कई वर्षों में चीन और अमरीका के ब्योपारी संबंध अच्छे थे। लेकिन अमरीका ने चीन पर आरोप लगाकर व्यापार युद्ध शुरू किया और इस चीन विरोधी युद्ध में अमरीका में एकता है। मगर चीन ने भी हम कागज़ी बाघ नहीं हैं और ज़रूरत होने पर गले पर जबडा कसनेवाले सच्चे बाघ हैं, यह एहसास रखना होगा’, यह मत दाई ने रखा है।

इसके ज़रिए राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की अमरीका विरोधी नीति कागज़ के बाघ जैसी होने की आलोचना जनरल दाई ने बड़ी चालाकी से करने की बात दिखाई दे रही है। साथ ही चीन विरोधी मोर्चे में अमरीका में एकता होने की बात कहकर चीन में ऐसी एकता की कमी है क्या, यह आशंका उपस्थित करने की कोशिश जनरल दाई ने करने की बात सामने आ रही है। जापान की अंग्रेजी पत्रिका ‘निक्के एशियन रिव्यु’ ने जनरल दाई ने व्यक्त किया यह मत प्रसिद्ध किया है।

जनरल दाई की तरह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी मे भी राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की नीति के विरोध में स्वर सुनाई दे रहे हैं। कुछ सप्ताह पहले कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता ‘रेन ज़िकियांग’ ने भी कोरोना वायरस के मामले में जिनपिंग की आलोचना की थी। जिनपिंग ने कोरोना से संबंधित अपनाई नीति गलत होने की बात साबित हुई है, यह आरोप ज़िकियांग ने किया था। इसके बाद पक्ष विरोधी कार्रवाई एवं भ्रष्टाचार के आरोप रखकर ज़िकियांग को कम्युनिस्ट पार्टी से बाहर निकाला गया था। लेकिन, जिनपिंग ने अपनाई नीति की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन अलग-थलग हो रहा है, इसका एहसास कम्युनिस्ट पार्टी को होने का दावा कुछ माध्यम कर रहे हैं। इसी वजह से जिनपिंग के जगह पर उप-प्रधानमंत्री ‘हू चुनहूआ’ को नियुक्त करने पर चर्चा शुरू होने की जानकारी सामने आ रही है।

Jinping-Chinaइसी बीच, अब तक अपने सभी सियासी प्रतिद्वंद्वियों को परास्त करके उन्हें रास्ते से हटाने में राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग काफी हद तक कामयाब रहे हैं। माओ के बाद कम्युनिस्ट चीन का पूरा नियंत्रण एक हाथ में रखनेवाले राष्ट्राध्यक्ष, ऐसी पहचान जिनपिंग को प्राप्त हुई है। लेकिन, अब कोरोना वायरस का फैलाव और अमरीका के साथ जारी व्यापार युद्ध एवं विश्‍व के सभी प्रमुख देशों से हो रहे विरोध का असर चीन की अंदुरनि राजनीति पर होने लगा है। इस कारण राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग असुरक्षित हुए हैं और उनके निरंकुश शासन को झटके लगने की चर्चा होने लगी है। ऐसी स्थिति में जनरल दाई ने अपने लेख में राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के विरोध में की हुई अप्रत्यक्ष आलोचना, चीन में शुरू हुई इन गतिविधियों के संकेत पूरे विश्‍व को दे रही है।

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