१०३. इस्रायली समाजजीवन के विभिन्न पहलू

इस्रायली समाज यह हालॉंकि ऊपरी तौर पर दुनिया के अन्य किसी भी समाज जैसा ही दिखायी देता हो, लेकिन ज्यूधर्म के साथ वह दृढ़तापूर्वक जुड़ा हुआ है और ज्यू संस्कृति के साथ उसकी नाल दृढ़तापूर्वक बॉंधी गयी है|

इसी कारण, हज़ारों वर्षों की समृद्ध धरोहर प्राप्त ज्यू संस्कृति के दर्शन करानेवालीं, साथ ही, पुरातत्त्वसंशोधकों की बुद्धि को खाने की आपूर्ति करनेवालीं टूर्स भी इस्रायल में आयोजित किये जाते हैं और उनमें स्थानिक इस्रायलियों के साथ विदेशी पर्यटक-संशोधक लोगों की भी भीड़ रहती है| इस भीड़ की भूख मिटाने के लिए विभिन्न श्रेणियों के अनगिनत फास्टफुड जॉईन्ट्स, कॅफेटेरिया, हॉटेल्स और रेस्टॉरन्ट्स भी यहॉं हैं ही|

कई इस्रायलियों को, ख़ासकर युवावर्ग को दकियानुसी जीवन जीना पसन्द नहीं| इस कारण, उपरोक्त मनोरंजन के ‘हमेशा के’ साधनों के साथ ही, कँपिंग-हायकिंग जैसे ‘थ्रिल’ देनेवाले उपक्रम भी यहॉं बड़े पैमाने पर आयोजित किये जाते हैं और इस्रायली युवक और मध्यमवयीन लोग उनमें बड़ी मात्रा में सहभागी होते हैं|

बाहर से इस्रायल में आये विदेशी व्यक्ति को हैरान कर देनेवाली एक और बात यानी युद्ध शुरू न होते हुए भी इस्रायल की सड़कों पर हमेशा घूमते हुए दिखायी देनेवाले सशस्त्र इस्रायली सैनिक!

वही रोज़मर्रा के मनोरंजन से कुछ हटके चाहनेवाले कई इस्रायली युवा तथा मध्यमवयीन लोग, कँपिंग-हायकिंग आदि ‘थ्रिलिंग’ उपक्रमों में सहभागी होते हैं|

इस्रायल यह उसके जन्म से ही हमेशा संघर्षग्रस्त देश रहा होने के कारण, इस्रायल का सैन्यदल – ‘इस्रायली डिफेन्स फोर्सेस’ – यह किसी भी संघर्ष के लिए हमेशा सुसज्जित रहता है| अतः यहॉं की सड़कों पर हालॉंकि ऊपरी तौर पर भले ही शान्त वातावरण दिखायी दे रहा हो, मग़र सड़क में कहीं भी नज़र डालें, तो ‘आयडीएफ’ के थोड़ेबहुत सशस्त्र सैनिक कहीं से कहीं तो जाते हुए नज़र आते ही हैं; और इस्रायल में किसी को भी इससे हैरानी नहीं होती| सभी को इसकी आदत पड़ चुकी है| दरअसल १२वीं कक्षा के बाद उच्चशिक्षा प्राप्त करने से पहले हर एक ज्यूधर्मीय छात्र के लिए ‘आयडीएफ’ में प्रशिक्षण लेकर सेवा करना अनिवार्य है और इसीलिए युद्धपरिस्थिकि उद्भवित हो जाते ही हमें कभी भी मोरचे पर जाने का ‘कॉल’ आ सकता है, यह हर एक ज्यूधर्मीय भली भॉंति जानता है और वैसी उनकी मानसिकता भी तैयार हो चुकी होती है| इसीलिए सशस्त्र सैनिकों के इस तरह इस्रायल की सड़कों पर विचरण करने से किसी को भी हैरानी नहीं होती|

विस्फोटक परिस्थितियों में तो कभी कभी दुश्मन के हमले की चेतावनी देनेवाले सायरन भी बजते हुए सुनायी देते हैं| ऐसे समय इस्रायली लोग शान्ति से अपने चल रहे काम वैसे ही रोककर, युद्धपरिस्थिति के लिए ख़ास बनाये गये ‘बंकर्स’ आदि आश्रयस्थानों (शेल्टर्स) में अनुशासनबद्ध तरीक़े से जाते हैं और ‘ऑलवेल’ का इशारा प्राप्त होने के बाद ही वहॉं से बाहर निकलकर, पहले अधूरे छोड़े काम जारी करते हैं|

निरन्तर संघर्षग्रस्त देश होने के कारण, इस्रायल की किसी भी सड़क पर देखें, तो थोड़ेबहुत सशस्त्र सैनिक नज़र आते ही हैं|

लेकिन ऐसे वाक़यों को छोड़कर, इस्रायली शहरों की सड़कें प्रायः शाम को भीड़ से भरीं रहतीं हैं – ‘वीकएन्ड्स’ से भी ज़्यादा हफ़्ताभर| क्योंकि शब्बाथ का मनःपूर्वक पालन करनेवाले ज्यूधर्मियों का ‘वीकएन्ड’ शब्बाथ में व्यतीत होता होने के कारण फिर ये लोग हफ़्ते के अन्य दिनों में अपना मनोरंजन का ‘कोटा’ पूरा कराते हैं|

चार बजे ऑफिस से छुट्टी होने के बाद फिर अपने अपने ‘बजेट’ के अनुसार और पसन्द के अनुसार कोई घर में ही टीव्ही देखते बैठेगा, कोई पार्क्स में, कॅफेटेरिय में या रेस्टॉरन्ट में फ्रेन्ड्स के साथ गपशप करते बैठेंगे, कोई रात का खाना खाने बाहर जायेंगे, कोई परिवारसमेत किसी संगीत के या अन्य कार्यक्रम के लिए जायेंगे, कोी किसी क्लब्ज्-डिस्कोथेक्स में, कोई मूव्हीज़्/ड्रामा देखने, कोई म्युझियम्स या आर्ट गॅलरीज् में आयोजित किये हुए अपने पसन्दीदा क्षेत्र की किसी प्रदर्शनी के लिए! इस कारण शाम के बाद देर रात तक इस्रायल की, ख़ासकर शहरों की सड़कें ‘कॉस्मोपॉलिटन’ भीड़ से भरीं दिखायी देती हैं|

यह ‘कॉस्मोपॉलिटन’ संस्कृति धीरे धीरे इस्रायली कलाक्षेत्रों पर भी अपना प्रभाव दिखा रही है| म्युझिक ग्रुप्स के कार्यक्रमों में पारंपरिक इस्रायली संगीत के साथ साथ, पॉप-जॅझ इन पश्‍चिमी संगीतप्रकारों का भी समावेश किया जा रहा है| कई ग्रुप्स पूर्वी एवं पश्‍चिमी संगीत ‘फ्युजन’ करके प्रस्तुत करते हैं| शहरी संस्कृति पर धीरे धीरे पश्‍चिमी संस्कृति का बढ़ता प्रभाव भले ही दिखायी देता हो, लेकिन ग्रामीण इस्रायल में वह अभी तक कम है और यहॉं – प्रायः किब्बुत्झ में वगैरा बनाये गये म्युझिक ग्रुप्स पारंपरिक ज्यूधर्मीय-इस्रायली संगीत ही प्रस्तुत करते हुए दिखायी देते हैं|

फ़िल्मों का भी वैसा ही है| स्थानीय हिब्रू भाषा में बनीं फ़िल्में स्थानीय मसले, स्थलांतरितों की समस्याएँ, अरब-इस्रायल संघर्ष ऐसे विषयों पर बनायी जाती हैं, कभी कभी कुछ फ़िल्में जागतिक विषयों को स्पर्श करती भी हैं| उसके साथ पश्‍चिमी देशों से आयीं अँग्रेज़ी फ़िल्में तथा हॉलिवुड की फ़िल्में भी अच्छीख़ासी कमाई करते हुए दिखायी देतीं हैं|

गृहनिर्माण में भी शहरी और ग्रामीण इलाक़ों में फ़र्क़ दिखायी देता है| ज्यू स्थलांतरितों के बड़े रेलों का रहने का इन्तज़ाम करने के लिए बस्तियों का निर्माण करते समय, उसके पीछे ‘कम से कम जगह में अधिक से अधिक ज्यूधर्मियों का इन्तज़ाम कैसे किया जायें’ यह विचार था| इस कारण शहरों में ‘स्वतंत्र घर’ यह संकल्पना ही न होकर, वहॉं के घर बहुमंज़िला आधुनिक निवासी संकुलों में – गृहसंकुलों के रूप में बनाये गये हैं|

शत्रु-आक्रमण की चेतावनी की सूचना देनेवाले बजने चालू होने पर, इस्रायली लोग उनके चल रहे काम रोककर, युद्धपरिस्थिति के लिए ख़ास बनाये गए शेल्टर्स में अनुशासनपूर्वक चले जाते हैं|

इसलिए शहरों के अधिकांश इस्रायली लोगों के घर भी प्रायः छोटे – १ बीएचके/२ बीएचके – होते हैं और दुनिया के किसी भी समाज की तरह ही – पैसा इकट्ठा कर छोटे घर में से बड़े घर में, शहर के बाहर होनेवाले घरों से शहर के भीतर होनेवाले घरों में स्थलांतरित होने का रूझान इस्रायल में भी दिखायी देता है| घर छोटे होने के कारण घर के क़मरें भी कई बार ‘मल्टीपर्पज्’ होते हैं| घर की ‘लिव्हिंग रूम’ यह कई बार-डायनिंग रूम, परिवारवालों ने एकसाथ समय बीताने की जगह, मेहमानों की ख़ातिरदारी करने की जगह, ठहरने के लिए आये मेहमानों के लिए सोने की जगह, अन्य समय घर के ‘सिनियर’ सदस्यों की बेडरूम ऐसीं विभिन्न भूमिकाएँ अदा करती हैं|

इस्रायली गृहिणियों का शाम का समय यह प्रायः खाना पकाने की तैयारी में या फिर बाज़ार जाकर गृहोपयोगी चीज़ों की ख़रीदारी में जाता है| फ्रीज यह बजेट की दृष्टि से कइयों के लिए अभी भी ऐश की चीज़ होने के कारण, घरों में यदि हुए ही, तो छोटे फ्रीज रहते हैं, बड़े फ्रीज कम दिखायी देते हैं| अतः हररोज़ के खाने की सब्ज़ियॉं एकदम लाकर उनका ‘स्टॉक’ करना जगह के अभाव के कारण मुमक़िन नहीं होता, इसलिए उनकी ख़रीदारी रोज़ के रोज़ ही की जाती है|

निरन्तर संघर्षग्रस्त देश होने के बावजूद भी इस्रायली नागरिकों ने अपना कलाप्रेम, क्रीडाप्रेम मनःपूर्वक बरक़रार रखा है|

इस तरह, समस्याओं के साथ जूझते समय भी, इस्रायली लोग अपने मनोरंजन के लिए भी समय निकालते हैं| बाहर से आये लोग इस्रायली लोगों की यह ‘एनर्जी’ देखकर अचंभित होते हैं कि कैसे हमेशा युद्ध की परछाई में होनेवाले देश के ये लोग, राष्ट्रनिर्माण में लगातार व्यस्त होने के बावजूद भी, मनोरंजन के लिए भी इतना समय निकाल सकते हैं! लेकिन इस्रायली लोग यह ठीक से जान गये हैं कि राष्ट्रनिर्माण यह निरन्तर चलते रहनेवाली बात है, वह किसी पड़ाव पर खत्म होनेवाली चीज़ नहीं है| और युद्ध का पाला तो इस्रायल के साथ उसके जन्म से ही पड़ा है| फिर उसके लिए जीवन की अन्य खुशियों को क्यों गँवायें, ऐसा इस्रायली लोग सोचते हैं|

इसी कारण, हमेशा युद्ध के साये में होते हुए भी, वैसे ही, राष्ट्रनिर्माण के कार्य के लिए सर्वाधिक प्राथमिकता होने के बावजूद भी सर्वसाधारण जीवन जीने के, मनोरंजन के साधन अपनाने के प्रयास इस्रायली नागरिकों ने जारी ही रखे हैं, क्योंकि….इस्रायली लोग ज़िन्दगी से प्यार करते हैं!(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

 

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