तैवान पर कब्जा करने की कोशिश चीन ना करे – अमरीका का इशारा

वॉशिंग्टन – पहले विश्‍वयुद्ध से पहले जर्मन नौसेना ने ब्रिटेन की रॉयल नेवी को चुनौती देने के लिए अपने सामर्थ्य में बड़ी बढ़ोतरी की थी। चीन भी उसी मात्रा में नौसेना की ताकत बढ़ा रहा है और इस बल पर अमरीका को पैसिफिक से पीछे हटने के लिए मज़बूर करके तैवान पर हमला करने की चीन की योजना होने की चेतावनी अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओब्रायन ने दी है। लेकिन, तैवान से संबंधित अमरीका की नीति पर ध्यान केंद्रीत करके चीन ऐसी कोशिश ना करे, ऐसी कड़ी चेतावनी भी उन्होंने दी हैं। इस दौरान अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने तैवान को चीन का मुकाबला करने के लिए रक्षा खर्च में बढ़ोतरी करने की ज़रूरत होने की सलाह भी दी।

china-taiwan-USAकोरोना की पृष्ठभूमि पर चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत साउथ चायना सी एवं ईस्ट चायना सी क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर कब्ज़ा करने की कोशिश करेगी, यह इशारा अमरिकी वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों ने मई महीने में दिया था। यह इशारा देने से पहले एवं इसके बाद के दौर में चीन ने तैवान के विरोध में शुरू की हई गतिविधियों में काफ़ी बढ़ोतरी दिख रही है। मई महीने के अंत में चीन में हुई एक बैठक के दौरान कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने एवं लष्करी अधिकारियों ने तैवान पर हमला करने के लिए यही उचित अवसर होने की भूमिका बड़ी तीव्रता से रखी थी। तैवान के विदेशमंत्री जोसेफ वु ने भी चीन की हुकूमत अलग अलग स्तरों पर नाकाम हुई है और इस नाकामी से अपनी जनता का ध्यान हटाने के लिए तैवान को बकरा बनाकर उस पर हमला किया जा सकता है, यह इशारा दिया था।

अमरीका के सुरक्षा सलाहकार ने दिए इशारे को बीते दो महीनों में चीन ने तैवान की सीमा के करीब एक के बाद एक किए युद्धाभ्यास, लड़ाकू विमानों की घुसपैठ और धमकियों की पृष्ठभूमि है। इस दौरान सुरक्षा सलाहकार ने ब्रिटेन और जर्मनी के साथ पहले विश्‍वयुद्ध का किया हुआ ज़िक्र ध्यान आकर्षित करता है। ‘चीन ने अपनी नौसेना की क्षमता में काफी में बढ़ोतरी की है। पहले विश्‍वयुद्ध से पहले जर्मनी ने ब्रिटेन की रॉयल नेवी को चुनौती देने के लिए अपनी नौसेना के सामर्थ्य में बढ़ोतरी की थी। इसके बाद के दौर में किसी भी देश ने अपनी नौसेना की क्षमता में इतनी बढ़ोतरी नहीं की थी। चीन की इन गतिविधियों के पीछे अमरीका को पश्‍चिमी पैसिफिक महासागर से पीछे धकेलने की साज़िश है। इसके बाद ‘ऐम्फिबियस लैंडिंग’ के साथ तैवान पर हमला करके उस पर कब्जा करने की चीन की योजना है’, यह इशारा अमरिकी सलाहकार ने दिया।

china-taiwan-USAचीन और तैवान के बीच १५० किलोमीटर से अधिक अंतर है और यह बात ध्यान में रखें तो चीन के लिए ‘एम्फिबियस लैंडिंग’ की योजना काफी कठिन साबित होगी, ऐसे सूचक शब्दों में ओब्रायन ने चीन पर हमला किया है। तैवान पर हमला करना आसान नहीं है, यह बात ध्यान में रखें। चीन ने तैवान पर हमला किया तो उस पर अमरीका कैसे प्रत्युत्तर देगी, इसको लेकर अमरीका की नीति में भी पूरी स्पष्टता है, इन शब्दों में अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने चीन को इशारा दिया। तैवान की सुरक्षा को लेकर अमरीका ने अपनाई नीति ‘स्ट्रैटेजिक एंबिगिटी’ के तौर पर जानी जाती है। इस नीति के अनुसार चीन ने तैवान पर हमला किया तो अमरीका कैसे भी और किसी भी तरह का प्रत्युत्तर दे सकती है।

china-taiwan-USAनेवाड़ा युनिवर्सिटी में हुए कार्यक्रम में ओब्रायन ने तैवान को चीन के विरोध में रक्षा तैयारी बढ़ाने की सलाह दी है। चीन बीते सात दशकों से लगातार लष्करी सामर्थ्य बढ़ा रहा है और ऐसे में जीडीपी से मात्र १.२ प्रतिशत रक्षा खर्च करके चीन को रोकना संभव नहीं होगा, यह अहसास तैवान को रखना होगा, यह बयान भी अमरिकी सलाहकार ने किया। साथ ही तैवान ने लष्करी नज़रिये से स्वयं को कांटेदार सालिंद्र की तरह तैयार करे, यह सलाह भी उन्होंने प्रदान की। सिंह को कांटेदार सालिंद्र खाना पसंद नहीं होता, यह ध्यान में रखें, इन शब्दों में ओब्रायन ने तैवान को चीन को रोकने के संकेत दिए।

इसी बीच, तैवान के विपक्ष ‘केएमटी’ ने रखे नए प्रस्तावों को लेकर चीन ने धमकाया है। चीन को रोकने के लिए तैवान अब अमरीका की सहायता प्राप्त करे और अमरीका के साथ अधिकृत स्तर पर राजनीतिक संबंध स्थापित करे, यह प्रस्ताव ‘केएमटी’ ने पारित किया है। ‘केएमटी’ चीन समर्थक दल के तौर पर जाना जाता है और इस कारण इस पार्टी ने अपनाई भूमिका ध्यान आकर्षित करनेवाली साबित हुई है। चीन की इस पर तीखी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है और तैवान की आज़ादी को लेकर कोई प्रस्ताव बर्दाश्‍त नहीं करेंगे, यह इशारा चीन के प्रवक्ता ने दिया है। ऐसे में अब तैवान को सबक सिखाने के लिए पूरी तरह से तैयार होकर युद्ध करना यह एकमात्र विकल्प बचा होने का इशारा चीनी प्रसारमाध्यम दे रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.