संयुक्त राष्ट्रसंघ संगठन इस्राइल विरोधी होने का आरोप लगाकर अमरिका ‘यूनेस्को’ से बाहर

वॉशिंगटन: संयुक्त राष्ट्रसंघ का शैक्षिक और सांस्कृतिक संगठन ‘यूनेस्को’ इस्राइल विरोधी होने का घनघोर आरोप लगाकर अमरिका ने इस संगठन से बाहर निकलने की घोषणा की है। उसीके साथ ही ‘यूनेस्को’ में ‘मुलभुत सुधारनाओं’ की आवश्यकता होने का ताना अमरिका ने मारा है। इस्राइल ने भी यूनेस्को से बाहर निकलने की घोषणा की है। दौरान, संयुक्त राष्ट्रसंघ के खर्चे का सर्वाधिक बोझ उठाने वाले अमरिका के बाहर निकलने से दुनियाभर के यूनेस्को के व्यवहार पर परिणाम होने की कड़ी सम्भावना जताई जा रही है।

इसके पहले सन १९८४ में अमरिका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष रोनाल्ड रिगन ने ‘यूनेस्को’ से बाहर निकलने की घोषणा की थी। यह संगठन सेव्हिएत रशिया का समर्थक बनने का आरोप उस समय रोनाल्ड रिगन ने लगाया था। लेकिन सन २००२ में जोर्ज बुश की अगुआई में अमरीका ने फिर एक बार इस संगठन में स्थान निर्माण किया था। अब इस समय यह संगठन इस्राइल विरोधी बनने का आरोप अमरिका लगा रहा है। जुलाई महीने में ‘यूनेस्को’ ने इस्राइल की सीमा में स्थित कुछ वास्तु फ़िलिस्तीन के इलाके में होने की घोषणा की थी।

‘यूनेस्को’‘यूनेस्को’ के इस फैसले पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की अमरिकी राजदूत निकी हैले ने जोरदार आलोचना की थी। ‘यूनेस्को’ का यह निर्णय मतलब पागलपन है, ऐसा हैले ने कहा था। उसके बाद पिछले कुछ महीनों से अमरिका ने ‘यूनेस्को’ से बाहर निकलने का इशारा दिया था। गुरुवार को अमरिका के विदेश मंत्रालय ने इस विषय में अधिकृत घोषणा की। ‘यूनेस्को’ से बाहर निकलने के विषय में अमरिका ने लिए फैसले को कम न समझा जाए। ‘यूनेस्को’ पर बढ़ता बकाया, मुलभुत सुधारों की आवश्यकता और बार बार इस्राइल विरोधी अपनाई जानेवाली नीति, इस वजह से अमरिका को यह फैसला लेना पड़ा’, ऐसा खुलासा विदेश मंत्रालय ने किया है।

अगले साल के अंत में अमरिका इस संगठन का हिस्सा नही रहेगा। इसलिए अभी भी १४ महीनों तक अमरिका यूनेस्को का सदस्य रहेगा। लेकिन यूनेस्को से बाहर निकलने के बाद भी अमरिका इस संगठन में ‘अस्थायी निरीक्षक देश’ के तौर पर भूमिका पूरी करेगा, ऐसी घोषणा अमरिका के विदेश मंत्रालय ने की है। हर साल संयुक्त राष्ट्रसंघ के स्थायी सदस्य के तौर पर अमरिका इस संगठन को आठ अरब डॉलर्स के कर्जे की आपूर्ति करता है। इसमें से तीन अरब डॉलर्स इतना सबसे बड़ा हिस्सा राष्ट्रसंघ के शांति सैनिकों के लिए और आठ करोड़ डॉलर्स की सहायता ‘यूनेस्को’ को भी दिया जाता है।

दौरान, चार साल पहले अमरिका ने यूनेस्को को आर्थिक मदद देने पर रोक लगाईं थी। २०११ में यूनेस्को ने फिलिस्तीन को सदस्यत्व का दर्जा दिया था। लेकिन १९९० के दशक में अमरिका ने किये हुए अनुबंध के अनुसार फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्रसंघ का सदस्यत्व दिया गया तो सब सहायता रोकी जाएगी, ऐसा स्पष्ट किया गया था। इस वजह से ‘यूनेस्को में फिलिस्तीन का समावेश करने के निर्णय पर टीका करके अमरिका ने ‘यूनेस्को’ की अर्थसहायता पर रोक लगा दी थी। इसके बाद भी ‘यूनेस्को’ के अमरिका के कार्यालय और विशेषाधिकारों को इस्तेमाल करने के हक अबाधित हैं।

लेकिन यूनेस्को में स्थित अमरिका के कार्यालय का किराया भरने के लिए अमरिका ने मना कर दिया था। इस वजह से पिछले चार सालों में अमरिका पर ५५ करोड़ डॉलर्स का कर्ज लगाया गया था। इस पृष्ठभूमि पर, अमरिका पर कर्जे का बोझ हल्का करने के लिए अमरिका ने ‘यूनेस्को’ से पूर्ण रूप से बाहर निकलने की तैयारी की थी, ऐसा दावा किया जाता है।

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