चीन के विरोध में अमरीका भारत की सहायता करेगी – अमेरिकन कॉंग्रेस की रिपोर्ट

नई दिल्ली – अमरीका के विदेश मंत्री ब्लिंकन जल्द ही भारत के दौरे पर आनेवाले हैं। उनके इस दौरे से पहले अमरीका के ‘रोमिओ’ हेलिकॉप्टर्स भारत के हवाले किए गए। इससे भारतीय नौसेना का सामर्थ्य बढ़ेगा, ऐसा विश्वास अमरीका ने व्यक्त किया है। इसके साथ ही अमेरिकन कॉंग्रेस की एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी हुई है। बायडेन प्रशासन हालाँकि भारत में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन की ओर विशेष ध्यान दे रहा है, फिर भी चीन के विरोध में भारत को सहायता प्रदान करने की अमरीका की नीति बायडेन प्रशासन नहीं बदलेगा, ऐसा दावा इस रिपोर्ट में किया गया है। अमरिकी विदेश मंत्री के दौरे से पहले जारी हुई यह रिपोर्ट भारत को आश्वस्त करने के लिए होने के संकेत मिल रहे हैं।

भारत की सहायताअगले हफ्ते भारत के दौरे पर आनेवाले अमरीका के विदेश मंत्री ब्लिंकन अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारतीय नेताओं के साथ बारीकी से चर्चा करेंगे, ऐसे दावे किए जाते हैं। अफगानिस्तान में तालिबान का हिंसाचार बढ़ते समय, इस देश की स्थिरता अमरीका के हितसंबंधों के लिए भी महत्वपूर्ण बनी है। ऐसी परिस्थिति में भारत और अमरीका, अफगानिस्तान की सरकार और लष्कर को सहायता प्रदान करने के लिए संयुक्त रूप में कोशिश करेंगे, ऐसी चर्चा शुरू हुई है। इस पृष्ठभूमि पर, विदेश मंत्री ब्लिंकन का दौरा अहम साबित होगा। लेकिन उसके साथ, अमरीका के विदेश मंत्री भारतीय नेताओं के साथ चीन विषयक नीतियों पर चर्चा करेंगे, ऐसी गहरी संभावना सामने आ रही है।

चीन की वर्चस्ववादी नीतियों के कारण इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा खतरे में आई है। भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों का क्वाड संगठन चीन को रोकने के लिए एकजुट कर रहा है। लेकिन एलएसी पर भारत को चुनौती देकर चीन क्वाड में भारत का सहभाग रोकने के लिए अपने हिसाब से दबाव डाल रहा है। इसी कारण, अमरीका चीन के विरोध में भारत के साथ हर संभव सहयोग करने के लिए तैयार है, यह संदेश अमरीका द्वारा भारत को दिया जा रहा है। हाल ही में जारी हुई ‘अमेरिकन कॉंग्रेशनल रिसर्च सर्व्हिस’ की रिपोर्ट यह दावा कर रही है कि अमरीका भारत के साथ सहयोग बढ़ाने को प्राथमिकता देगी।

मानवाधिकार और धार्मिक सहिष्णुता के मुद्दों पर भारत को उपदेश की डोस पिलाने की कोशिशें बायडेन प्रशासन द्वारा कीं गईं। कश्मीर के मसले पर भारत ने अपनाई भूमिका भी बायडेन प्रशासन को मान्य नहीं है। लेकिन भारत ने यह डटकर कहा है कि वह इस मामले में बायडेन प्रशासन का दबाव बर्दाश्त नहीं करेगा। अमरीका को भी यह एहसास हुआ है कि चीन को रोकने के लिए भारत सर्वाधिक महत्वपूर्ण देश है। इस कारण हालांकि कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं, फिर भी चीन के विरोध में भारत की सहायता करने की नीति में अमरीका बदलाव नहीं करेगी, ऐसा दावा इस रिपोर्ट में किया गया है।

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