अफ़गानिस्तान से सेना हटाने का पछतावा अमरीका को करना पड़ेगा – ‘सीआयए’ के पूर्व प्रमुख डेव्हिड पेट्रॉस

डेव्हिड पेट्रॉसवॉशिंग्टन – ‘अफ़गानिस्तान से जल्दबाजी में सेना हटाने के निर्णय के कारण अमरीका को जल्द पछतावा होगा। इसके लिए लंबे समय तक प्रतिक्षा करने की आवश्‍यकता नहीं रहेगी’, ऐसा इशारा अमरिकी गुप्तचर यंत्रणा ‘सीआयए’ के पूर्व प्रमुख डेविड पेट्रॉस ने दिया है। अमरिकी सुरक्षा प्रणाली के पूर्व अधिकारी और सैनिकों ने इस सेना वापसी के निर्णय की आलोचना की है। इससे पहले अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष जॉर्ज बुश, पूर्व विदेशमंत्री कॉन्डोलिज़ा राईस और हिलरी क्लिंटन ने भी सेना वापसी के निर्णय पर बायडेन प्रशासन को इशारे दिए थे।

अफ़गानिस्तान से सेना हटाने का ९५ प्रतिशत काम अमरीका ने पूरा किया है और तेज़ी से सेना हटाने की वजह से अमरिकी सैनिकों की सुरक्षा निश्‍चित होने का दावा राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने दो हफ्ते पहले किया था। इस पर अमरीका से ही तीव्र प्रतिक्रिया प्राप्त हो रही है। ‘सीआयए’ के पूर्व प्रमुख एवं निवृत्त सेना अधिकारी जनरल पेट्रॉस ने अमरिकी समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में यह सेना वापसी जल्दबाज़ी और लापरवाही से होने की आलोचना की।

डेव्हिड पेट्रॉस‘अफ़गानिस्तान से अमरिकी सेना की वापसी, एक बड़ी भूल है। हर हफ्ते वहां की स्थिति अधिकाधिक भयंकर होती जा रही है। जल्द ही इस सेना वापसी का हमें पछतावा होगा’, ऐसा इशारा पेट्रॉस ने दिया। अफ़गान सेना तालिबान के खिलाफ संघर्ष कर रही है। लेकिन, इस संघर्ष में अफ़गान सैनिकों का भारी नुकसान हो रहा है, इस ओर भी ‘सीआयए’ के पूर्व प्रमुख ने ध्यान आकर्षित किया।

‘इस सेना वापसी के साथ ही वहां पर अमरीका का योगदान खत्म हो जाएगा। लेकिन, अफ़गानिस्तान में युद्ध खत्म नहीं होगा। क्योंकि, इस सेना वापसी के साथ ही अफ़गानिस्तान अब भीषण गृहयुद्ध की दहलिज पर खड़ा है’, ऐसा इशारा पेट्रॉस ने दिया। पेट्रॉस की तरह पेंटॅगॉन के पूर्व अधिकारी जेह जॉन्सन ने भी सेना वापसी के बाद अफ़गानिस्तान की स्थिति नियंत्रण में नहीं रहेगी, यह दावा किया।

डेव्हिड पेट्रॉसअमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष जॉर्ज बुश ने बीते हफ्ते में ही बायडेन प्रशासन के निर्णय की कड़ी आलोचना की थी। ‘अमरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान अफ़गान जनता का कतलेआम करेगी। अफ़गानी महिलाओं और लड़कियों को ऐसे अत्याचार सहने पड़ेंगे कि जिसका शब्दों में बयान करना मुमकिन नहीं होगा’, यह अहसास बुश ने कराया था। तभी, पूर्व विदेशमंत्री कॉन्डोलिज़ा राईस और हिलरी क्लिंटन ने भी सेना वापसी के विपरित परिणाम सामने आएँगे, ऐसे इशारे दिए थे।

इसी बीच, तालिबान अफ़गानिस्तान में लष्करी बढ़त प्राप्त कर रही है और ऐसे में रशिया ने उज़बेकिस्तान की सीमा पर लष्करी युद्धाभ्यास का आयोजन किया है। इसके लिए रशिया ने अपने टैंक उज़बेक की सीमा पर उतारे हैं। कुछ दिन पहले रशिया ने भी अमरीका की तेज गति से सेना वापसी की आलोचना की थी। इससे अफ़गानिस्तान में अस्थिरता निर्माण होगी और इसका असर मध्य एशियाई देशों की सुरक्षा पर पड़ेगा, यह इशारा रशिया ने दिया था। ऐसे में आवश्‍यकता निर्माण हुई तो रशिया अपनी सेना अफ़गानिस्तान में उतारेगी, यह संकेत रशिया के विदेशमंत्री ने दिए थे।

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