चीन के साथ युद्ध में अमरीका परास्त होगी – जापान में जारी युद्धाभ्यास के कारण बेचैन हुए चीन की चेतावनी

बीजिंग – जापान, फ्रान्स, ऑस्ट्रेलिया और अमरीका के बीच जारी युद्धाभ्यास के कारण चीन की बेचैनी बड़ी हुई स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। ‘ इस युद्धाभ्यास का आयोजन करके अमरीका चीन को चुनौती दे रही है। लेकिन अगर आने वाले समय में अमरीका ने चीन के खिलाफ युद्ध का ऐलान किया, तो चीन के रक्षा बलों के सामने अमरीका टिक नहीं पाएगी और इस युद्ध में अमरीका परास्त होगी’, ऐसी चेतावनी चीन के मुखपत्र ने दी। उसके बाद चीन की ‘पिपल्स लिबरेशन आर्मी’ ने युद्धाभ्यास का वीडियो जारी किया। इसमें ताइवान पर कब्जा करने के लिए अभ्यास किया जा रहा दिखाया गया है।

China-US-warपिछले हफ्ते जापान के क्युशू इलाके में ‘‘जीने डी’आर्क २१’’ यह युद्धाभ्यास शुरू हुआ। इसमें जापान समेत अमरीका, फ्रान्स और ऑस्ट्रेलिया ऐसे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लोकतांत्रिक देशों के लष्कर सहभागी हुए हैं। इस युद्धाभ्यास में अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेलिया के विध्वंसक और पनडुब्बियाँ शामिल हुईं हैं। लगभग हफ्ते भर चलनेवाला यह युद्धाभ्यास चीन के लिए चेतावनी होने का दावा अन्तर्राष्ट्रीय विश्लेषकों ने किया था। ज़रूरत पड़ी, तो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अपने मित्रदेश इस क्षेत्र में दाखिल हो सकते हैं, यह सिग्नल चीन को देने के लिए अमरीका और जापान ने इस युद्धाभ्यास का आयोजन किया बताया जा रहा था।

China-US-war-01-590x443चीन का सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने इसकी दखल लेकर, अमरीका और मित्र देशों को धमकाया। इस युद्धाभ्यास के जरिए चारों देश अपनी ताकत व्यर्थ गँवा रहे हैं। सागरी माल ढुलाई की स्वतंत्रता बरकरार रखने के बहाने ऑस्ट्रेलिया और युरोपीय देश इस क्षेत्र में युद्धपोत रवाना करके चीन को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए अमरीका ने अपने कुछ और मित्र देशों को भी इस क्षेत्र में आमंत्रित किया है। ये युरोपीय देश भी अमरीका की नजरों में चढ़ने के लिए अपने युद्धपोत रवाना कर रहे हैं। इससे चीन का कुछ भी बिगड़ने वाला नहीं है, ऐसा दावा चीन के सरकारी मुखपत्र ने किया।

आनेवाले दौर में, चीन के विरोध में बना अमरीका और युरोप के देशों का यह मोरचा बहुत समय तक नहीं टिकेगा। अमरीका ने ईस्ट और साउथ चाइना सी के क्षेत्र में अगर चीन के खिलाफ युद्ध का ऐलान किया भी, तो भी चीन के रक्षा बलों के सामने अमरीका टिक नहीं पाएगी, ऐसा दावा ग्लोबल टाइम्स ने किया। साथ ही, अमरीका और मित्र देशों के लष्करी मोरचे को परास्त करने के लिए, चीन के लष्कर, नौसेना और हवाई बल का सामर्थ्य पर्याप्त साबित होगा, ऐसी डींगें चीन के मुखपत्र ने हाँकीं हैं। वहीं, अमरीका चीन को परमाणु धमकियाँ देने की हिम्मत नहीं करेगी, क्योंकि चीन भी परमाणु-अस्त्र-सिद्ध है, ऐसी धमकी ग्लोबल टाइम्स ने दी।

इसी बीच, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने सामर्थ्य में बढ़ोतरी करने के लिए अमरीका अपनी नौसेना का ‘फर्स्ट फ्लीट’ पुनरुज्जीवित करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। यह फर्स्ट फ्लीट सन १९४३ से १९७३ इस दौर में पश्चिमी पैसिफिक महासागर क्षेत्र में सक्रिय था। उसके बाद यह बेड़ा अमरिकी नौसेना की सेवा से निवृत्त कराया गया था। लेकिन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के विरोध में तैनात करने के लिए, अमरीका की नौसेना यह फ्लीट फिर से कार्यान्वित करने की कोशिश कर रही है। अमरिकी नौसेना के पूर्व प्रमुख केनिथ ब्रेथवेट ने इस संदर्भ में प्रस्ताव दिया है। 

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