तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा का उत्तराधिकारी तय करने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने पर लगाएंगे प्रतिबंध – अमरिका ने चीन को धमकाया

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरवॉशिंग्टन/बीजिंग: तिब्बत के सर्वोच्च धर्मगुरू दलाई लामा के उत्तर अधिकार का चयन करने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने की कोशिश चीन ने की तो चीन के विरोध में प्रतिबंध लगाने की धमकी अमरिका ने जारी की है| इस विषय पर एक विधेयक भी अमरिकी संसद ने मंजूर किया है| यह विधेयक यानी चीन को तिब्बत में हस्तक्षेप करने के विषय पर दिया स्पष्ट इशारा होने का दावा अमरिका के वरिष्ठ सांसद और सभापति नैन्सी पेलोसी ने किया|

तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा यह तिब्बती बौद्ध धर्मियों की परंपरा के १४ वे ‘दलाई लामा’ है और वह फिलहाल ८४ वर्ष के है| तिब्बती परंपरा में उनका वारिस यानी १५ वां दलाई लामा का चयन करने की प्रक्रिया शुरू हुई है| इस बारे में पिछले हुई एक बैठक के दौरान तिब्बती बौद्ध लोगों के ज्येष्ठ धार्मिक लोगों ने वारिस का चयन करने के सभी अधिकार ‘१४ वें दलाई लामा’ के ही होंगे, यह निर्णय किया था|

पर, वर्ष १९५९ में तिब्बत में हुई बगावत के बाद चीन की हुकूमत ने तिब्बती बौद्धधर्मियों पर अत्याचार शुरू किए और उनका दमन करना जारी रखा है| तिब्बत की संस्कृति बदल ने की कोशिश भी इसी का हिस्सा है और इसी के तहेत तिब्बती बौद्धधर्मियों के ‘दलाई लामा’ का चयन करने का अधिकार भी चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को ही चाहिए, यह भूमिका चीन ने डटकर रखी है| इसके लिए तिब्बत में बौद्ध धर्मियों के कुछ गुटों को जबरन अपने पक्ष में खडा करके उनके जरिए नए ‘दलाई लामा’ का चयन करने की गतिविधियां शुरू की गई है|

चीन की इन गतिविधियों को ‘दलाई लामा’ ने विरोध किया है और लगातार अपनी नाराजगी भी व्यक्त की है| १४ वें दलाई लामा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी इस विषय में निवेदन किया है और अमरिका में पारित हुआ यह विधेयक इसी कडी का हिस्सा दिख रहा है| इससे पहले अमरिका ने कई बार तिब्बत में जारी चीन की हरकतों पर आवाज उठाई है| तिब्बती जनता के समर्थन में अमरिका ने पहले भी ‘तिब्बत पॉलिसी एक्ट ऑफ २००२’ पारित किया है|

पर, चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने पिछले कुछ वर्षों में चीन में धार्मिक आजादी का गला घोंटना शुरू किया है| दो वर्ष पहले चीन ने झिंजिआंग प्रांत के उघुरवंशी लोगों पर किए अत्याचारों का संज्ञान सीधे संयुक्त राष्ट्रसंघ में लिया गया ता| इसके बाद दुनिया की अलग अलग मानव अधिकार संगठनों ने चीन में ख्रीस्त धर्मियों पर लगाए जा रहे कडे नियमों के विरोध में भी आवाज उठाया था| इस पृष्ठभूमि पर दलाई लामा का चयन करने में हो रहा हस्तक्षेप बौद्धधर्मियों पर नियंत्रण पाने की कोशिश का हिस्सा समझा जा रहा है|

इसी कारण अमरिका ने आक्रामक रवैया अपनाकर सीधे चीन पर कार्रवाई करने के संकेत देनेवाला विधेयक पेश किया है| इस विधेयक को संसद के वरिष्ठ सभागृह ने मंजूरी देने पर यह विधेयक कानून में परावर्तित होगा और इस नए कानुन के अनुसार दलाई लामा की चयन प्रक्रिया में हस्तक्षेप करनेवाले चीन के अफसरों को अमरिका में प्रवेश करने से मनाई की जाएगी एवं उनकी संपत्ति भी जब्त होगी| इस कानुन में तिब्बत में अमरिका के राजनयिक दफ्तर शुरू करने का प्रावधान भी है| इस दफ्तर को अनुमति प्राप्त नही होती तो चीन को भी अमरिका में नया राजनयिक दफ्तर खोलने से प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई हो सकेगी|

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