अफ़गानिस्तान में अमरीका ने की हुई गड़बड़ी की वजह से इस्रायल और खाड़ी देशों का सहयोग बढ़ेगा – इस्रायली अखबार का दावा

us-afghan-israel-gulf-countries-2जेरूसलम – इस्रायल की सुरक्षा के लिए भविष्य में अमरीका पर निर्भर रहना मुमकिन नहीं है। अफ़गानिस्तान से अमरीका की सेना वापसी करने से निर्माण हुई धांधली की स्थिति से यही सबक मिल रहा है। अफ़गानिस्तान की वजह से तालिबान जैसे आतंकी संगठन अधिक ताकतवर होंगे। साथ ही अब्राहम समझौते का हिस्सा हुए इस्रायल और खाड़ी देशों का सहयोग बढ़ेगा, यह दावा इस्रायल के शीर्ष अखबार ने किया है। अगले दिनों में सौदी अरब भी इस सहयोग का हिस्सा होने की संभावना इस्रायली अखबार ने जताई है।

तालिबान के आतंकियों ने बीते हफ्ते अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा किया था। तालिबान की इस जीत के लिए अमरीका का बायडेन प्रशासन ज़िम्मेदार है, ऐसी आलोचना हो रही है। बायडेन प्रशासन ने अफ़गान नागरिकों को पीठ दिखाई है, ऐसे आरोप अमरीका में ही लगाए जा रहे हैं। अफ़गानिस्तान से सेना हटाकर बायडेन ने अमरीका के विश्‍वभर के मित्र एवं सहयोगी देशों को गलत संदेश दिया है, ऐसे तमाचे अमरीका के पूर्व नेता एवं सिनेटर लगा रहे हैं।

ब्रिटेन ने अमरीका ने अफ़गानिस्तान को लेकर किए निर्णय की आलोचना की थी। अफ़गानिस्तान में तालिबान की जीत विश्‍वभर के आतंकी संगठनों की ताकत बढानेवाला साबित होगा, ऐसा इशारा ब्रिटेन के पूर्व गुप्तचर प्रमुख और सेवानिवृत्त लष्करी अधिकारी दे रहे हैं। अल कायदा और अल कायदा से जुड़े खाड़ी एवं अफ्रीका के आतंकी संगठनों के साथ अल कायदा से प्रभावित यूरोप के चरमपंथीयों से बना खतरा भी इससे बढ़ा है, इस पर यह लष्करी अधिकारी और विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

us-afghan-israel-gulf-countries-1इस्रायल के शीर्ष अखबार ने भी अफ़गानिस्तान में हुई गड़बड़ी की ओर ध्यान आकर्षित किया है। बायडेन प्रशासन ने अफ़गानिस्तान को लेकर किए निर्णय की वजह से इसके आगे अमरीका पर निर्भर नहीं रहा जा सकता, ऐसा बयान इस्रायल के इस अखबार ने कहा है। क्योंकि, तालिबान की जीत के कारण मोरोक्को से इजिप्ट, जॉर्डन से सौदी अरब और यूएई की सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो रहे चरमपंथियों को ताकत मिली है, यह दावा वर्णित अखबार ने किया। इसके लिए इस अखबार ने पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने चार दिन पहले सोशल मीडिया पर किए पोस्ट की जानकारी का दाखिला दिया।

वर्ष २०१३ में अमरीका के भूतपूर्व विदेशमंत्री जॉन केरी ने प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू को अफ़गानिस्तान की गुप्त यात्रा में सहयोगी होने की ऑफर दी थी। अमरीका ने अफ़गानिस्तान के स्थानीय गिरोहों को आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष के लिए तैयार किया है और इसी अफ़गान मॉडेल का इस्तेमाल इस्रायल भी वेस्ट बैंक में करे, यह सुझाव दिया था। लेकिन, तब केरी का प्रस्ताव ठुकराकर हमने उचित निर्णय किया था, ऐसा दावा नेत्यान्याहू ने अपनी पोस्ट में किया।

देश की सुरक्षा का मुद्दा उठता हैं तब इस्रायल किसी पर भी, बिल्कुल अमरीका पर भी निर्भर नहीं रह सकता, यही सबक अफ़गानिस्तान की मौजूदा स्थिति से प्राप्त होने का बयान नेत्यान्याहू ने किया। अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने वर्ष २०१५ में इस्रायल और अन्य खाड़ी देशों को भरोसे में लिए बगैर ईरान के साथ परमाणु समझौता किया। इससे इस्रायल और खाड़ी देशों के बीच सहयोग स्थापित हो सका, इस बात पर इस्रायली अखबार ने ध्यान आकर्षित किया है।

अब भी अफ़गानिस्तान में जारी गड़बड़ी की वजह से तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों का खतरा बढ़ने की स्थिति निर्माण हुई है। ऐसे में इस्रायल और खाड़ी देशों का सहयोग अधिक मज़बूत होगा, यह दावा इस्रायली अखबार ने किया। अब तक सौदी ने इस्रायल के साथ औपचारिक सहयोग स्थापित नहीं किया है, फिर भी अगले दिनों में दोनों देशों के बीच सुरक्षा से संबंधित सहयोग स्थापित होने की संभावना इस्रायली अखबार ने जताई है।

इसी बीच अफ़गानिस्तान की स्थिति पर इस्रायल, सौदी अरब, यूएई, बहरीन और कतार ने अब तक प्रतिक्रिया दर्ज़ नहीं की है, इस ओर भी अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

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