कतार में अमरिका-तालिबान चर्चा शुरू

Third World Warदोहा: कतार की राजधानी दोहा में अमरिका और तालिबान में चर्चा शुरू हुई है| इस चर्चा में तालिबान के प्रतिनिधि में मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का समावेश है| उसका शामिल होना ध्यान देनेवाली बात होकर, इसकी वजह से यह चर्चा सफल होने की आशंका बढ़ने का दावा किया जा रहा है| इससे पहले भी पाकिस्तान में अमरिका और तालिबान में चर्चा होने वाली थी| अफगानिस्तान में पाकिस्तान के विरोध में जताया जा रहा तीव्र असंतोष नजरअंदाज करके पाकिस्तान की इस चर्चा में शामिल नहीं हो सकते ऐसा तालिबान ने घोषित किया था|

कतार में यह चर्चा अनेक बातों की वजह से ध्यान केंद्रित कर रही है| इस चर्चा पर पाकिस्तान का नियंत्रण पूर्णरूप से खतम होता दिखाई दे रहा है| आजतक पाकिस्तान तालिबान को नियंत्रित करके अफगानिस्तान को अपने पैरों तले रखने का ख्वाब देख रहा था| पर यह ख्वाब अब टूट रहा है और तालिबान ने पाकिस्तान में चर्चा में शामिल होने से इनकार करके इस देश को अपनी जगह दिखाई है| अफगानी जनभावना के विरोध में जाकर हम यह चर्चा नहीं करेंगे, ऐसा कहकर तालिबान ने अपनी राजनीतिक भूमिका अधिक सुस्पष्ट की है| उसके बाद कतार में चर्चा अधिक विश्वास से होती दिखाई दे रही है|

कतार, अमरिका, तालिबान, चर्चा, शुरू, दोहा, अफगानिस्तान, पाकिस्तानपिछले महीने कतार में अमरिका और तालिबान में सफल चर्चा होने का दावा अमरिका के विशेष दूत झाल्मे खलीलझाद ने किया था| इससे पहले भी अमरिका एवं तालिबान के नेतृत्व में चर्चा हुई थी| पर १७ वर्षों से अफगानिस्तान में शुरू संघर्ष खतम करने के लिए इतनी सफल चर्चा नहीं हुई थी, ऐसा खलिलझाद ने कहा था| तथा सोमवार से दोहा में शुरू हुए चर्चा के बारे में अमरिका के विशेष दूत ने अपेक्षा व्यक्त की है| अफगानिस्तान में शांति चर्चा के बारे में प्रस्ताव तैयार करने की जानकारी खलिलझाद ने दी है|

दौरान शांति चर्चा के प्रस्ताव में अधिकतम मुद्दों पर अमरिका और तालिबान सहमती होने का दावा किया जा रहा है| पर अमरिकी सेना की वापसी और अन्य मुद्दों पर फिलहाल चर्चा अपेक्षित होने की बात कही जा रही है| अफगानिस्तान में अमरिका के तकरीबन १४००० सैनिक तैनात होकर उनमें आधे से अधिक सैनिक वापस बुलाने की तैयारी अमरिका ने दिखाई है| तथा अफगानिस्तान का उपयोग अमरिका अथवा मित्र देशों पर आतंकवादी हमलों के लिए नहीं होगा, यह अमरिका की मांग तालिबान ने मंजूर की है|

अफगानिस्तान से अमरिकी सेना की वापसी का पाकिस्तान ने स्वागत किया था तथा भारत ने इसपर चिंता व्यक्त की थी| पर अमरिका अफगानिस्तान से पूर्णरूप से सेना की वापसी नहीं कर रही है और अफगानिस्तान में अमरिका के अड्डे आगे चलकर सक्रिय रहेंगे तथा खाड़ी क्षेत्र के अड्डों पर अमरिकन रक्षा दल की बड़ी तादाद में तैनाती है| इसका उपयोग करके कुछ ही मिनटों में अमरिका अफगानिस्तान में कार्रवाई कर सकता है, इसकी तरफ विश्‍लेषक ध्यान केंद्रीत कर रहे हैं| साथ ही तालिबान को भी अब अमरिका से संघर्ष करने की इच्छा नहीं रही, इसकी तरफ भी पत्रकार ध्यान केंद्रित कर रहे हैं|

इस वजह से अमरिकी सेना की अफगानिस्तान से तथाकथित वापसी का लाभ लेने का सोचनेवाला पाकिस्तान इस बारे में कोई भी भ्रम न रखे ऐसी चेतावनी कई विश्‍लेषकों ने पाकिस्तान को दी है| इसके विपरीत अफगानिस्तान से अमरिकी सेना की वापसी पाकिस्तान के लिए समस्या बन सकती है, इसका एहसास यह विश्‍लेषक दिला रहे हैं|

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