अमरीका-तैवान सहयोग से बेचैन हुए चीन की, तैवान पर दबाव बढ़ाने की कोशिश

बीजिंग/वॉशिंग्टन – अमरीका अब तैवान के साथ जारी सहयोग अधिक से अधिक मज़बूत करने के लिए तेज़ कदम उठा रही है। इससे चीन काफी बेचैन होने की बात सामने आ रही है। इसी बेचैनी में से चीन ने तैवान पर दबाव बढ़ाने के लिए व्यापक लष्करी गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। नवंबर महीने में चीन ने तैवान की हवाई सीमा में २६ बार घुसपैठ करने की बात सामने आयी है। साथ ही, चीन ने अपने नए ‘स्टेल्थ बॉम्बर’ एवं प्रगत ‘हायपरसोनिक इंजन’ की जानकारी सार्वजनिक की है। ये गतिविधियाँ तैवान के खिलाफ बनाई दबावनीति का हिस्सा होने का दावा विश्‍लेषकों ने किया है।

अमरीका-तैवान

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले साल से ही तैवान के साथ सहयोग बढ़ाने के मुद्दे पर अधिक सक्रिय भूमिका अपनाई है। तैवान को बड़ी मात्रा में रक्षा सामान की आपूर्ति करनेवाली अमरीका ने, राजनीतिक एवं व्यापारी स्तर पर भी अपनी गतिविधियाँ तेज़ की हैं। बीते चार महीनों में अमरीका के तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने तैवान की यात्रा की है। इनमें अमरिकी विदेश विभाग एवं रक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ स्वास्थ्यमंत्री का भी समावेश है। साथ ही, अमरीका और तैवान ने कुछ अहम समझौते भी किए हैं और इसमें चीन के प्रभाव को चुनौती देनेवाली ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर डील’ का भी समावेश है।

अमरीका-तैवान

इस समझौते के अनुसार, आग्नेय एशिया समेत लैटिन अमरीका में बुनियादी सुविधाओं का विकास करने के लिए अमरीका और तैवान ने एक साथ कोशिश करना शुरू किया है। अगले वर्ष में संयुक्त प्रकल्प की शुरुआत होगी, ऐसे संकेत तैवान के वरिष्ठ मंत्री ने हाल ही में दिए थे। ‘ग्लोबल सप्लाय चेन’ में बना चीन का वर्चस्व तोड़ने के लिए, विकल्प के तौर पर व्यवस्था खड़ी करने के लिए कोशिश हो रही है, ऐसे संकेत भी तैवान ने दिए हैं। यह सब शुरू है कि तभी अमरिकी संसद में, तैवान के साथ व्यापारी समझौता करने की एवं तैवान में नियुक्त अमरिकी प्रतिनिधि को अधिकृत स्तर पर ‘राजदूत’ का दर्जा प्रदान करने की माँग ज़ोर पकड़ रही है। अमरीका के संसदीय आयोग ने इससे संबंधित सिफारीश करने की खबर भी प्रकाशित हुई है।

अमरीका-तैवान

इसी बीच, अमरीका के ‘मरिन्स’ का दल, तैवान की सेना को प्रशिक्षण देने के लिए पिछले महीने में तैवान पहुँचा है, यह जानकारी भी सामने आयी है। अमरिकी सेना ने इस तरह से तैवान को खुलेआम लष्करी प्रशिक्षण देना, यह बीते चार दशकों में पहला अवसर होने की बात कही जा रही है। अमरीका-तैवान के इस बढ़ते सहयोग से चीन काफी बेचैन हुआ है और तैवान पर लगातार दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

नवंबर महीने में चीन के लड़ाकू विमानों ने, तैवान की सीमा में घुसपैठ करने की तादाद बढ़ाई है, यह बात स्पष्ट हुई है। चीन के लड़ाकू विमानों ने २६ बार तैवान की हवाई सीमा का उल्लंघन किया है, यह जानकारी भी प्रसिद्ध हुई है। चीन के लष्करी सूत्रों ने ही यह जानकारी सार्वजनिक की है। इसके बाद चीन ने अपने नए प्रगत ‘स्टेल्थ बॉम्बर’ की जानकारी प्रसिद्ध की है और ये बॉम्बर पैसिफिक महासागर में मौजूद अमरिकी ठिकानों को लक्ष्य करने की क्षमता रखते हैं, ऐसा दावा भी किया है। यह दावा अमरीका की सहायता प्राप्त कर रहें तैवान पर दबाव बढ़ाने की नीति का हिस्सा होने की बात विश्‍लेषक कह रहे हैं।

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