चीन के लष्करी सामर्थ्य को झटका देने के लिए अमरीका को तैवान समेत अन्य सहयोगी देशों की सुरक्षा मज़बूत करनी पड़ेगी – तैवान के पूर्व रक्षाबलप्रमुख की सलाह

तैपेई/वॉशिंग्टन/बीजिंग – तैवान पर चीन का हमला होने का खतरा प्रति दिन बढ़ रहा है। चीन ने ‘ग्रे ज़ोन वॉरफेअर’ की तीव्रता बढ़ाई है और यह सर्वंकष हमले में तब्दिल होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। इसे रोकने के लिए चीनी हुकूमत के हमलों के परिणामों को लेकर अनिश्‍चितता निर्माण करना ज़रूरी है। इसके लिए अमरीका ने तैवान के साथ ही अन्य सहयोगी देशों की सुरक्षा क्षमता मज़बूत करके चीन के लष्करी सामर्थ्य को झटके देने पड़ेंगे, ऐसी सलाह तैवान के पूर्व रक्षाबलप्रमुख ली सी-मिन ने प्रदान की है। 

कुछ दिन पहले ही कम्युनिस्ट पार्टी के सर्वेसर्वा एवं चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने तैवान के विलय के मुद्दे पर आक्रामक शब्दों में इशारा दिया था। ‘तैवान की आज़ादी के लिए कोई भी कोशिश पुख्ता निर्धार के साथ कार्रवाई करके नाकाम की जाएगी। संप्रभूता और एकजूट बरकरार रखने के लिए चीनी जनता की क्षमता और इच्छा को अनदेखा करने की गलती कोई भी ना करे’, ऐसा इशारा देकर तैवान का मुद्दा चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत कभी भी नहीं छोड़ेगी, यह इशारा जिनपिंग ने दिया था।

जिनपिंग के इस इशारे से पहले चीन ने तैवान की खाड़ी समेत ‘ईस्ट चायना सी’ क्षेत्र में कुल डेढ़ सौ ‘स्टेल्थ’ लड़ाकू विमान तैनात करने की बात सामने आयी थी। चीन के रक्षाबलों ने तैवान के क्षेत्र में गतिविधियाँ बढ़ाई हैं और युद्धपोत, पनडुब्बियाँ एवं लड़ाकू विमानों ने लगातार आक्रामकता दिखाना शुरू किया है। बीते महीने चीन ने तैवान पर हमला करने की रिहर्सल के तौर पर ‘साउथ चायना सी’ में युद्धाभ्यास करने की बात सामने आयी थी।

ऐसी पृष्ठभूमि पर तैवान के पूर्व रक्षाबलप्रमुख ने प्रदान की हुई सलाह ध्यान आकर्षित करती है। ली सी-मिन ने अमरीका की ‘एनबीसी न्यूज’ नामक वेबसाईट के लिए लिखे लेख में चीन द्वारा तैवान पर हमला करने की प्रतिक्षा ना करें, यह चेतावनी दी है। बल्कि, तैवान के खिलाफ संघर्ष के लिए चीन विकसित कर रहे सामर्थ्य को झटके देना ही चीन के हमले के रोकने का सबसे अच्छा विकल्प होगा, यह बयान भी उन्होंने किया है। इसके लिए अमरीका ने तैवान की रक्षा क्षमता अधिक मज़बूत करना अहम है और इस्रायल की तरह ‘वॉर रिज़र्व स्टॉक्स फॉर अलाईज्‌’ की बुनियाद पर योजना बनानी चाहिए, यह आवाहन तैवान के पूर्व रक्षाबलप्रमुख ने किया है। तैवान को हमेशा तैयार रखना अमरीका की ज़िम्मेदारी होने का अहसास भी ली सी-मिन ने कराया है।

अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने राजनीतिक स्तर पर एवं रक्षा क्षेत्र में तैवान को भारी सहयोग प्रदान करने की नीति अपनाई थी। अमरीका की इस नीति में इंडो-पैसिफिक के अन्य प्रमुख देशों ने भी तैवान के साथ सहयोग बढ़ाने का मुद्दा शामिल था। अमरीका ने मित्रदेशों के साथ इस क्षेत्र में लष्करी मौजूदगी बढ़ाकर चीन को स्पष्ट इशारा भी दिया है। लेकिन, यह पर्याप्त नहीं हैं और अमरीका के नए प्रशासन ने अधिक आक्रामक नीति अपनाकर चीन को रोकने की ज़रूरत होने के संकेत तैवान के पूर्व अधिकारी के लेख से प्राप्त हो रहे हैं।

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