अमरीका उइगरवंशियों का संहार करनेवाले चीन के शीतकालिन ओलंपिक का बहिष्कार करें – निक्की हैले, माईक पोम्पिओ समेत रिपब्लिकन सिनेटर्स की माँग

वॉशिंग्टन – ‘हिटलर ज्यू धर्मियों का हत्याकांड़ करेगा, इसकी जानकारी पहले से होती, तो क्या अमरीका सन १९३६ के बर्लिन ओलंपिक में शामिल होती? यक़ीनन ही नहीं! मौजूदा दौर में चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत खुलेआम उइगरवंशियों का संहार कर रही हैं। इसी वजह से अमरीका ने सन २०२२ में चीन में आयोजित हो रहें शीतकालिन ओलंपिक में बिल्कुल शामिल नहीं होना चाहिये’, ऐसी माँग संयुक्त राष्ट्रसंघ में नियुक्त अमरीका की पूर्व राजदूत निक्की हैले ने की है। हिटलर के नाझी जर्मनी से भी कम्युनिस्ट चीन अधिक खतरनाक है, ऐसी चेतावनी हैले ने दी है। हैले के साथ ही अमरीका के पूर्व विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ एवं रिपब्लिकन सिनेटर्स ने भी चीन के ओलंपिक का बहिष्कार करने की माँग की है।

us-uighur-china-olympicsअमरीका की पूर्व राजदूत हैले ने अमरिकी वृत्तसंस्था के लिए लिखे लेख में हिटलर और चीन की जिनपिंग हुकूमत की तुलना की है। ‘हिटलर ने तेज़ गति से अपना लष्करी सामर्थ्य बढ़ाया था और धर्म विद्वेश को कानूनन स्वरूप प्रदान किया था। वर्ष १९३६ के बर्लिन ओलंपिक तक हिटलर ने पड़ोसी देशों पर हमलें नहीं किए थे। लेकिन, जर्मनी में ज्यू धर्मियों पर अत्याचार करने के लिए उत्पीड़न केंद्रों का गठन किया था। लेकिन, विन्स्टन चर्चिल जैसें दूरंदेशी नेता ने हिटलर के खतरे को समय पर पहचाना था। अन्य लोग हिटलर के प्रचार में पागलों की तरह फंस गए थे और हिटलर सुधरेगा, यह उम्मीद वे रख रहे थे। कम्युनिस्ट चीन से ऐसी फिज़ूल की उम्मीद ना रखें’, ऐसें सख्त शब्दों में निक्की हैले ने बायडेन प्रशासन को तमाचा जड़ा है।

‘चीन ने अपने इरादे पहले ही स्पष्ट किए थे। चीन ने काफी पहले ही तिब्बत की जनता के अधिकारों को पैरों तले कुचला था। हाँगकाँग के जनतंत्र को खत्म किया। चीन अब तैवान के जनतंत्र को प्रतिदिन धमका रहा है। इसके अलावा इस सदी की सबसे भीषण महामारी साबित हुए कोरोना वायरस का उद्गम छुपाने के लिए चीन ने पुख्ता कोशिश जारी रखी है’, इस ओर हैले ने बायडेन प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया हैं।

झिंजियांग में उइगरवंशियों पर चीन द्वारा जारी अत्याचारों की पूरी जानकारी विश्‍व को है। अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने, चीन द्वारा उइगरवंशियों पर हो रहें अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाई थी, इसकी याद हैले ने कराई। वर्ष १९४० के दशक में हिटलर ने जो भी कुछ किया, उसे चीन ने पहले ही शुरू किया है। ऐसें में अगले वर्ष चीन में होनेवाले शीतकालिन ओलंपिक में शामिल होकर, अमरीका ने चीन द्वारा उइगरवंशियों पर हो रहें अत्याचारों का समर्थन नहीं करना चाहिये, ऐसा आवाहन हैले ने किया।

us-uighur-china-olympicsअमरीका के पूर्व विदेशमंत्री पोम्पिओ ने भी सन २०२२ में चीन में होनेवाले ओलंपिक में अमरीका बिल्कुल शामिल ना हों, यह माँग की हैं। यह प्रतियोगिता चीन के बाहर आयोजित किए बगैर, अमरीका को इसमें शामिल नहीं होना चाहिये, ऐसा बयान पोम्पिओ ने किया। वहीं, ओलंपिक स्पर्धा में शामिल होकर चीन द्वारा उइगरवंशियों पर हो रहें अत्याचारों का समर्थन अमरीका कर नहीं सकती, ऐसी भूमिका रिपब्लिकन सिनेटर रिक स्कॉट ने रखी है। लेकिन, बायडेन प्रशासन ने इस मुद्दे पर अभी कोई भी निर्णय ना होने की प्रतिक्रिया दर्ज़ की है।

इसके अलावा ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाड़ा में भी, चीन के ओलंपिक का बहिष्कार करने की माँग ज़ोर पकड़ रही है। ब्रिटेन की संसद में कुछ जनप्रतिनिधियों ने, उइगरवंशियों पर हो रहें अत्याचारों का मुद्दा उपस्थित करके ओलंपिक का बहिष्कार करने का आवाहन किया। वहीं, कनाड़ा की संसद में इस प्रतियोगिता का बहिष्कार करने के मुद्दे से संबंधित प्रस्ताव पेश किया गया है।

बता दें, अगले वर्ष के फ़रवरी महीने के पहले सप्ताह में चीन की राजधानी बीजिंग में शीतकालिन ओलंपिक खेलों का आयोजन हो रहा है। सन २००८ में हुई बीजिंग ओलंपिक स्पर्धा चीन की प्रतिमा को चार चांद लगाने के लिए सहायक साबित हुई थी। उसी प्रकार अगले वर्ष होनेवाली विंटर ओलंपिक प्रतियोगिता चीन की तानाशाही को बल प्रदान करेगी, ऐसी बात पश्‍चिमी माध्यमों द्वारा कही जा रही है।

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