अमरिकी प्रतिनिधीगृह से ट्रम्प की नाटो ‘एग्जिट’ पर रोक

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरवॉशिंगटन – अमरिका नाटो से बाहर निकली तो वह राशिया के लिए गिफ्ट होगा, ऐसा कहकर अमरिका के प्रतिनिधिगृहने अमरिका को नाटो से बाहर नहीं लाया जा सकता, ऐसे प्रावधान होनेवाला विधेयक मंजूर किया हैं| नाटो के खर्च का भार बड़ी तादाद में अमरिका को सहन करना पड़ रहा है, इसकी तरफ ध्यान केंद्रित करके राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने नाटो को चेतावनी दी थी| पर प्रतिनिधि गृह नाटो से बाहर निकलने का मार्ग बंद करते दिखाई दे रहा हैं| उसमें नाटो के सदस्य देशों ने खर्च का भार उठाकर अपनी जिम्मेदारी निभाएं, ऐसी सूचना भी प्रतिनिधिगृह ने इस विधेयक में की है|

अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने पिछले वर्ष ब्रुसेल्स में नाटो के मुख्यालय से यूरोपीय मित्र देशों को फटकारा था| अमरिका से लष्करी सुरक्षा स्वीकारने वाले यूरोपीय देश इसके लिए आर्थिक योगदान अगर नहीं दे रहे, तो अमरिका इस लष्करी संगठन से बाहर निकलेगा, ऐसी चेतावनी ट्रम्प ने यूरोपीय मित्र देशों को दी थी| पिछले हफ्ते में सोशल मीडिया से राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने नाटो सदस्य यूरोपीय देशों को फिर एक बार अपने चेतावनी की याद दिलाई| अमरिका भविष्य में १०० प्रतिशत नाटो के साथ होगा और इसके लिए सदस्य देशों ने इस लष्करी संगठन को आर्थिक रूप से उठाना चाहिए, ऐसा ट्रम्प ने सूचित किया था| अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष के इस चेतावनी पर प्रतिनिधिगृह ने मंगलवार को ‘नाटो सपोर्ट एक्ट’ विधेयक मंजूर किया है| प्रतिनिधि गृह में ३५७ सदस्यों ने इसे समर्थन दिया है| तथा २२ सदस्यों ने इसके विरोध में मतदान किया है|

‘नाटो सपोर्ट एक्ट’ का प्रस्ताव प्रस्तुत करने वाले वरिष्ठ सीनेटर स्टैंनी होयर, जिमी पैनेट्टा, एलियट एंजल इनके समिति ने प्रतिनिधिगृह के इस निर्णय का स्वागत किया है| शीतयुद्ध के समय में नाटो ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी| साथ ही इराक और अफगानिस्तान के युद्ध में भी नाटो आज भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, ऐसा होते हुए अमरिका नाटो से बाहर ना निकले, ऐसा आवाहन होयर ने उस समय किया|

नाटो से अमरिका अगर बाहर आती है, तो रशिया के लिए वह गिफ्ट होगा, इसकी तरफ प्रतिनिधि गृह के सदस्यों ने ध्यान केंद्रित किया है| तथा जर्मनी भी इसकी प्रतीक्षा कर रहा है, ऐसा इन सदस्य ने ट्रम्प प्रशासन को सूचित किया है| पर नाटो के खर्च का जिम्मा उठाने के लिए अपनी जिम्मेदारी सदस्य देशों द्वारा निभानी चाहिए ऐसा सदस्यों ने कहा है| दौरान जर्मनी ने यूरोपीय देशों के संयुक्त लष्कर का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है| जिसके लिए प्रयत्न शुरू किए हैं| उजागर तौर पर नाटो के विरोध में भूमिका लेने की जर्मनी के चांसलर मर्केल ने बात टाली है| फिर भी उनके कदम इस दिशा से उठते दिखाई दे रहे हैं|

आने वाले समय में यूरोपीय देशों ने अपनी सुरक्षा के लिए नाटो पर निर्भर नहीं रहा जा सकता, ऐसा चांसलर मर्केल ने यूरोपीय देशों को सूचित किया था|

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