अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के ‘तैवान ऍश्युरन्स ऍक्ट’ पर हस्ताक्षर – चीन की आलोचना

us-taiwan-chinaवॉशिंग्टन/तैपेई – अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने तैवान को शस्त्रसहायता तथा आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मज़बूत समर्थन का यक़ीन दिलानेवाले ‘तैवान ऍश्युरन्स ऍक्ट’ पर हस्ताक्षर किये हैं। तैवान के साथ सहयोग मज़बूत करने के लिए तैयार किये इस विधेयक को अमरिकी संसद ने पिछले साल ही मंज़ुरी दी थी। अब उसका क़ानून में रूपान्तरण होने के कारण तैवान को दी जानेवाली सहायता की व्याप्ति अधिक बढ़ेगी, ऐसा कहा जाता है। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने मान्यता देने के बाद, चीन की ओर से आक्रामक प्रतिक्रिया आयी होकर, तैवान मुद्दे का इस्तेमाल करके अंतर्गत मामलों में दख़लअन्दाज़ी करना रोकें, ऐसा चीन ने अमरीका को जताया है।

व्यापारयुद्ध और कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर अमरीका ने चीन के खिलाफ़ ज़ोरदार राजनीतिक संघर्ष छेड़ा है। चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुक़ूमत के लिए संवेदनशील होनेवाले हाँगकाँग, तिब्बत और तैवान इन मुद्दों पर लगातार चीन को लक्ष्य किया जा रहा है। ‘तैवान ऍश्युरन्स ऍक्ट’ यह उसमें निर्णायक चरण साबित होता है। इस क़ानून में चार अहम प्रावधानों का समावेश है। अमरीका और तैवान के बीच द्विपक्षीय सहयोग मज़बूत करना, यह उनमें से पहला प्रावधान है।

us-taiwan-chinaतैवान की रक्षासिद्धता को प्रोत्साहन देना, यह इस क़ानून का दूसरा प्रावधान है। तीसरे प्रावधान के अनुसार, अमरीका आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न यंत्रणाओं में तैवान के सहभाग के लिए समर्थन देगी। इन यंत्रणाओं में संयुक्त राष्ट्रसंघ एवं उससे जुड़े संगठनों का समावेश होनेवाला है। ‘युएस-तैवान ग्लोबल कोऑपरेशन ऍण्ड ट्रेनिंग फ्रेमवर्क’ के लिए ३० लाख डॉलर्स की निधि को मान्यता देने के प्रावधान का भी क़ानून में समावेश है।

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने तैवान के साथ सहयोग के मुद्दे पर अधिक सक्रिय भूमिका अपनायी है। अमरीका ने तैवान में शुरू किया राजनीतिक कार्यालय, अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने की हुई तैवान के नेताओं की भेंट और बढ़ता रक्षा सहयोग ये बातें, ट्रम्प की भूमिका का भाग मानीं जातीं हैं। अमरीका के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने पिछले चार महीनों में तैवान का दौरा किया है। उसी समय, संसद में तैवान की रक्षा के लिए ‘तैवान इन्व्हेजन प्रिव्हेंशन ऍक्ट’ नाम से स्वतंत्र विधेयक भी दाख़िल किया गया है।

us-taiwan-chinaराष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने, पूरे तीन दशकों की कालावधि के बाद तैवान को लड़ाक़ू विमानों की सप्लाई करने का ऐतिहासिक निर्णय भी किया था। उसके बाद तैवान को आधुनिक क्षेपणास्त्र, टॉर्पेडो तथा प्रगत रक्षायंत्रणाएँ की भी सप्लाई की जानेवाली है। अमरीका ने तैवान के नज़दीकी सागरी क्षेत्र में तैनाती भी बढ़ायी होकर, विमानवाहक युद्धपोतों के साथ विध्वंसक, ड्रोन्स, गश्ती विमान और लड़ाक़ू विमानों की आवाजाही बढ़ी है। इस महीने की शुरुआत में ही, अमरीका के विदेश मंत्रालय ने तैवान के लिए २८ करोड़ डॉलर्स की लष्करी सामग्री की सप्लाई करने की घोषणा की थी। अमरीका के ट्रम्प प्रशासन ने तैवान के लिए मंज़ूर की हुई यह ११ वीं शस्त्रसहायता साबित हुई है।

ट्रम्प ने हस्ताक्षर किये ‘तैवान ऍश्युरन्स ऍक्ट’ के बाद अमरीका द्वारा तैवान के साथ किये जानेवाले सहयोग का दायरा और रफ़्तार अधिक बढ़ेगा, ऐसा दावा विश्‍लेषकों द्वारा किया जाता है। अमरीका-तैवान के बीच कीं ये बढ़तीं नज़दीकियाँ चीन को बहुत ही बौखलानेवाली साबित हुई होकर, नये क़ानून के विरोध में भी चीन ने आलोचना की है। ‘अमरीका ने बनाये नये क़ानून का चीन तीव्र शब्दों में निषेध करता है। चीन के अंदरूनी मामलों में दख़लअन्दाज़ी करने के लिए तैवान का इस्तेमाल करना अमरीका रोक दें’, ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने डटकर कहा।

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