‘साऊथ चायना सी’ के सागरी क्षेत्र में अमरिकी नौसेना चीन को चुनौती देगी

वॉशिंग्टन, दि. १३:  ‘साऊथ चायना सी’ में चीन द्वारा निर्माण किये गए अप्राकृतिक द्वीपों को घेरने के लिए इस सागरी क्षेत्र में बड़ी संख्या में युद्धपौत तैनात करने की योजना अमरिकी नौसेना ने बनायी है| इसके लिए अमरीका के विमानवाहक युद्धपौत का काफिला ‘साऊथ चायना सी’ के लिए रवाना हो चुका है, ऐसा दावा किया जा रहा है| कुछ ही दिन पहले अमरीका के विदेशमंत्री ‘रेक्स टिलरसन’ ने, चीन की नौसेना को इस अप्राकृतिक द्वीप के पास जाने का मौका नहीं मिलना चाहिए, ऐसे अमरिकी संसद की समिती के सामने कहा था| इस पृष्ठभूमि पर, अमरिकी नौसेना की बढती गतिविधियों का महत्त्व बढ गया है|

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प्रशांत महासागर में तैनात रहनेवाला ‘युएसएस कार्ल विन्सन’ यह विमानवाहक युद्धपौत और उसके सहाय्यक युद्धपौत तथा पनडुब्बिया ‘साऊथ चायना सी’ की ओर रवाना हो चुकी हैं, ऐसी जानकारी अमरीका के रक्षादल के तीन अधिकारियों ने दी| ‘सागरी परिवहन की स्वतंत्रता’ के लिए अमरिकी युद्धपौत का काफिला ‘साऊथ चायना सी’ में तैनात रहेगा, ऐसे इन अधिकारियों ने स्पष्ट किया| इस सागरी क्षेत्र के ‘स्प्रार्टले’ और ‘पॅरासेल’ द्वीपसमूहों के इलाके में चीन द्वारा निर्माण किये गए अप्राकृतिक द्वीपों से सटकर अमरीका का यह युद्धपौत तैनात होगा|

अमरिकी नौसेना की इन गतिविधियों के लिए जल्द ही राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प की मंज़ुरी मिलेगी, ऐसा बताया जाता है| राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प की वजह से अमरीका की एशिया-प्रशांत और ‘साऊथ चायना सी’ विषयक नीति में बदलाव हुआ, यह दावा अमरिकी नौसेना के संबंधित अधिकारियों ने किया है| इससे पहले राष्ट्राध्यक्ष ओबामा के समय में ‘साऊथ चायना सी’ में अमरिकी नौसेना की गतिविधियों पर मर्यादा डाल दी गयी थी| साथ ही, चीन ने इस सागरी क्षेत्र में अप्राकृतिक द्वीपों का निर्माण करते हुए इस जगह सेना की गतिविधियाँ बढाई थीं|

लेकिन विद्यमान राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने ‘साऊथ चायना सी’ संदर्भ में चीन के खिलाफ स्पष्ट भूमिका अपनायी है| इसी कारण अमरिकी नौसेना की बढ़तीं गतिविधियाँ, इस सागरी क्षेत्र में चीन के दावे को चुनौती देनेवाली साबित होंगी, ऐसा अमरीका के नौसेनाविशेषज्ञों का कहना है| इसी कारण, आनेवाले समय में अमरीका और चीन के बीच की अनबन बढ़ सकती है, ऐसा दावा विशेषज्ञों ने किया|

इस दौरान, कुछ सप्ताह पहले अमरीका के विदेशमंत्री ‘रेक्स टिलरसन’ ने, चीन द्वारा इस सागरी इलाके का सैनिकीकरण किये जाने पर रोक लगाने की घोषणा की थी| यहाँ के अप्राकृतिक द्वीपों के पास से चीन के युद्धपौतों को गुज़रने ना दें, ऐसी फटकार टिलरसन ने लगायी थी| लेकिन उसके बाद चीन ने इस सागरी क्षेत्र में ‘लिओनिंग’ विमानवाहक युद्धपौत समेत अन्य जहाजों को रवाना करते हुए युद्धाभ्यास का आयोजन किया था| साथ ही, इस सागरी क्षेत्र में अमरीकी युद्धपौत को चुनौती दी थी|

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