‘आखात की अस्थिरता और युरोप में फैले आतंक के लिए अमरीका और मित्र देश ज़िम्मेदार’ : रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन

मॉस्को, दि. १३ (वृत्तसंस्था) – सीरिया और अन्य आखाती देशों की अस्थिरता के लिए अमरीका ज़िम्मेदार है| इतना ही नहीं, बल्कि इन्हीं पश्‍चिमी देशों की वजह से युरोप में आतंकवाद फैल रहा है, ऐसा सख़्त आरोप रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने किया| साथ ही, सीरिया के अलेप्पो की जनता को दी जानेवाली सहायता की रक्षा के लिए सेना को भेजने की तैयारी भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने दर्शायी| सीरिया संघर्ष के मसले पर रशिया को घेरने की कोशिश करनेवाली अमरीका और उसके मित्र देशों को पुतिन ने क़रारा जवाब दिया, ऐसा दिख रहा है|

युरोपवहीं, ‘रशिया सीरिया पर हवाई हमले कर लोगों की जानें ले रहा है| सीरिया के इन युद्धअपराधों के लिए रशिया पर आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुक़दमा चलाया जाए’ ऐसी माँग ब्रिटन और फ्रान्स ने की है| उसीके साथ, रशियन लड़ाकू प्लेन्स द्वारा सीरिया के विद्रोहियों पर हवाई हमले जारी रहे, तो उसका क़रारा जवाब देने की चेतावनी अमरीका ने दी थी| अमरीका और मित्र देशों ने किए इन आरोपों की रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने अच्छीख़ासी ख़बर ली| सीरिया के संघर्ष को टालने के लिए विकल्प बताने के बदले, अमरीका और मित्र देश इसकी राजनीति कर रहे हैं| इससे सीरिया के हालात बदलनेवाले नहीं है, ऐसी आलोचना राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने, एक फ्रेंच न्यूज चैनल से की हुई बातचीत के दौरान की|

सीरिया के साथ आखाती देशों के विद्यमान स्थिति के लिए भी अमरीका और मित्रदेश ज़िम्मेदार हैं, ऐसा इल्ज़ाम लगाते हुए पुतिन ने ‘अरब स्प्रिंग’ का दाखिला दिया| सन २०११ में अरब-आखाती देशों के तानाशाही शासनों के खिलाफ ‘अरब स्प्रिंग’ आंदोलन भड़क उठा था| उस वक्त अमरीका और मित्र देशों ने ‘अरब स्प्रिंग’ का जोरदार समर्थन किया था| इस आंदोलन से पहले, लिबिया जैसे देश में भी स्थिरता थी| लेकिन पश्‍चिमी देशों से मिल रहे समर्थन के बाद, ‘अरब स्प्रिंग’ आंदोलन तानाशाही शासन का तख्तापलट करने में सफल रहा और उसके बाद इन देशों में अस्थिरता और अराजक पैदा हुए, इस तरफ राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने ग़ौर फ़रमाया|

अरब-आखाती देशों में मचे हुए इस अराजक के कारण ‘आयएस’ जैसे आतंकी संगठन सामर्थ्यशाली हुए, ऐसा दावा भी पुतिन ने किया| अब यही आतंकी संगठन युरोप में आंतक मचा रहे हैं| ‘अरब स्प्रिंग’ से पहले आखाती देशों में प्रजातंत्र नहीं था, तानाशाही थी| मग़र तानाशाही होने के बावजूद वहाँ आतंकी संगठनों का खतरा नहीं था| इन देशों के आतंकी फ्रान्स, बेल्जियम, रशिया और अमरीका तक पहुँचे नहीं थे’ ऐसा बताते हुए राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने, युरोपीय देश और अमरीका को भी आतंकवादियों से खतरा बढ़ रहा है, जिसके लिए ग़लत नीतियाँ ज़िम्मेदार होने का इल्ज़ाम किया है| इसी कारण, अरब देशों जैसी सीरिया में भी अस्थिरता पैदा होकर नये आतंकी संगठन पैदा ना हों, इसलिए रशिया की कोशिशें जारी है, ऐसा रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने कहा|

सीरिया का यह संघर्ष रोकने के लिए रशिया ने, अमरीका की सहायता से आतंकियों के ठिकानों पर संयुक्त हवाई हमलें करने और संघर्षविराम का प्रस्ताव दिया था| अमरीका ने संयुक्त हवाई हमलों का प्रस्ताव ठुकरा दिया| वहीं, पिछले महीने सीरिया में हफ्तेभर के लिए संघर्षविराम की घोषणा की गई थी| लेकिन पाच ही दिनों के बाद, अमरिकी लड़ाकू प्लेन्स ने सीरियाई सेना के ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिससे संघर्षविराम खत्म हो गया| ये हवाई हमले ग़लती से किए गए, ऐसा अमरीका का कहना है| लेकिन अमरीका की इस भूल से ८२ सीरियन जवानों की जानें गईं, ऐसा कहते हुए रशिया के राष्ट्राध्यक्ष ने अमरीका के हमलों पर संदेह जताया|

साथ ही, सीरिया की युद्ध-गुनाहगारी के संदर्भ में रशिया पर किए गए आरोपों का भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने खंडन किया| ‘अमरीका द्वारा सीरीयन सेना पर किए गए हवाई हमलों का प्रतिशोध लेने के लिए रशिया ने हवाई हमलें करते हुए, संयुक्त राष्ट्र के २० ट्रकों को नष्ट किया| साथ ही, अलेप्पो की ईमारतों, अस्पतालों पर भी हवाई हमलें किए’ ऐसा आरोप पश्‍चिमी देशों ने किया था| लेकिन ‘संयुक्त राष्ट्र के ट्रकों पर किसने हमले किए, यह अमरीका बेहतर जानती है’ ऐसी फटकार पुतिन ने लगाई|

इसी दौरान, सीरिया के संघर्ष पर चर्चा करने के लिए इस शनिवार को रशिया और अमरीका के विदेशमंत्रियों में, स्वित्झर्लंड के ‘लूसेन’ शहर में विशेष बैठक होनेवाली है| अगर यह बैठक विफल हुई, तो फिर अमरीका और रशिया के बीच का तनाव और भी बढ़ेगा, ऐसा ड़र जताया जा रहा है| सोवियत रशिया के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष मिखाईल गोर्बाचेव्ह ने अमरीका और रशिया के राष्ट्रप्रमुखों से, चर्चा न करने की भूल ना करें, ऐसा आवाहन किया था| साथ ही, शीतयुद्धसमय की तुलना में अभी के हालात और भी ड़रावने हैं, ऐसा दावा भी गोर्बाचेव्ह ने किया था|

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