चीन, उत्तर कोरिया से खतरे की पृष्ठभूमि पर अमरीका-जापान का ‘रिसायलंट शिल्ड’ युद्धाभ्यास

टोकिओ – अमेरिका और जापान की रक्षा बलों में पाँच दिन का युद्धाभ्यास शुरू हुआ है। चीन और उत्तर कोरिया से बने बढ़ते खतरे की पृष्ठभूमि पर इस युद्धाभ्यास का आयोजन किया गया, ऐसी जानकारी अमरीका ने दी। यह युद्धाभ्यास शुरू होने से कुछ घंटे पहले चीन ने जापान के सेंकाकू द्विपसमूह कि नजदीक दो गश्ती पोत रवाना किए थे। उसके बाद यह युद्धाभ्यास शुरू हुआ, इसपर आन्तर्राष्ट्रीय माध्यम गौर फरमा रहे हैं ।

rescilient-shieldजापान में मुख्यालय होनेवाला अमरीका का सातवां बेड़ा और जापान की नौसेना के बीच सोमवार से ‘रिसायलन्ट शिल्ड २०२१’ वार्षिक युद्धाभ्यास शुरू हुआ है। इस 5 दिन के युद्धाभ्यास में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के अमरीका और जापान के लगभग ७७ कमांड सेंटर्स सहभागी हुए हैं। दुश्मन के बैलिस्टिक क्षेपणास्त्रों को जवाब देने के लिए यह युद्धाभ्यास आवश्यक है, ऐसा अमरीका की नौसेना ने स्पष्ट किया। उसी समय, इस युद्धाभ्यास से अमरीका और जापान की नौसेनाओं के बीच समन्वय, संपर्क अधिक मजबूत होगा, ऐसा विश्वास भी और मारी का के वरिष्ठ अधिकारी ने व्यक्त किया।

rescilient-shieldइस युद्धाभ्यास के कुछ घंटे पहले चीन के गश्ती पोतों ने जापान के सेंकाकू द्विपसमूह की सीमा में घुसपैठ की थी फूड शॉप। शनिवार और रविवार ऐसे लगातार दो दिन चीनी गश्ती पोतों ने सेंकाकू के पास विचरण किया था। जापान के तटरक्षक बल ने समय पर ही एतिहाद बरतकर चीन के गश्ती पोतों को खदेड़ दिया। लेकिन पिछले दस दिनों में चीन ने तीसरी बार जापान की सागरी सीमा में घुसपैठ की है। सेंकाकू यह अपना ही द्वीपसमूह होने का दावा चीन कर रहा है।

rescilient-shieldसेंकाकू ही नहीं, बल्कि ताइवान और ‘साऊथ चायना सी’ के सागरी क्षेत्र में होनेवाले स्प्रार्टले, पॅरासेल, स्कारबोरो इन द्वीपों पर भी चीन अधिकार जता रहा है। ताइवान यह अपना अविभाज्य भूभाग है, ऐसा बता कर चीन ने इस देश की हवाई सीमा में अपने विमानों की घुसपैठ बढ़ाई है। पिछले दस दिनों में चीन के विमानों ने ताइवान की सीमा में पाँच बार घुसपैठ की। इस कारण इस पूरे सागरी तथा हवाई क्षेत्र में तनाव निर्माण हुआ है।

इसी बीच, ‘ईस्ट और साऊथ चायना सी’ में चीन की आक्रामकता को चुनौती देने के लिए फ्रान्स, ब्रिटन इन देशों ने अपने युद्धपोत रवाना करने की घोषणा की है। इससे चीन आगबबूला हुआ होकर, पश्चिमी देश अपने सागरी क्षेत्र में दखलअंदाजी ना करें, ऐसी धमकियाँ चीन दे रहा है।

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