अमरीका-ग्रीस ने रक्षा सहयोग बढ़ाने से संबंधित समझौते पर किए हस्ताक्षर

वॉशिंग्टन/इस्तंबूल – अमरीका के साथ रक्षा सहयोग का दायरा बढ़ाने से संबंधित नए समझौते पर ग्रीस ने हस्ताक्षर किए हैं। नए समझौते के अनुसार इन दो देशों ने पहले किए हुए ‘म्युच्युअल डिफेन्स को-ऑपरेशन एग्रिमेंट’ की समय सीमा बढ़ाई गई है। साथ ही अमरीका को सेंट्रल ग्रीस में स्थित दो रक्षा अड्डों का इस्तेमाल करने की अनुमति प्रदान की गई है। अमरीका में आयोजित समारोह के दौरान ग्रीस के मंत्री ने तुर्की की हरकतों का ज़िक्र करते समय ‘ग्रीस इज एट वॉर’ यह दावा सरेआम किया था। उनके इस बयान पर तुर्की की तीव्र प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है और तुर्की के माध्यमों ने ग्रीस को धमकाया भी है।

US-Greece-Defenceगुरूवार के दिन वॉशिंग्टन में बैठक के दौरान अमरीका के विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन और ग्रीस के विदेशमंत्री निकॉस डेन्दिआस ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान अमरिकी विदेशमंत्री ब्लिंकन ने यह गवाही दी है कि, इस नए समझौते की वजह से भूमध्य समुद्री क्षेत्र और उसके आगे के क्षेत्र में स्थिरता एवं सुरक्षा बरकरार रखने के लिए ग्रीस और अमरीका सक्रिय रह सकेंगे। ग्रीस के साथ हुए समझौते ने दोनों देशों के रक्षाबल मज़बूत और सक्षम करने के लिए भागीदारी का दायरा भी अधिक बढ़ा हैं, यह बयान भी ब्लिंकन ने किया। इसी बीच ग्रीस के विदेशमंत्री निकॉस डेन्दिआस ने यह दावा किया है कि, अमरीका के साथ किया गया यह समझौता ग्रीस के हितों को सुरक्षित रखेगा।

इस दौरान तुर्की की उकसानेवाली हरकतों का सामना ग्रीस को हररोज़ करना पड़ रहा है, यह आरोप भी ग्रीस के मंत्री ने लगाया। इसी कारण अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए ग्रीस अब तुर्की के खिलाफ युद्ध करने के लिए भी तैयार होने का इशारा उन्होंने दिया। विदेशमंत्री निकॉस डेन्दिआस के इस इशारे पर तुर्की के माध्यमों ने तीव्र प्रतिक्रियाएँ दर्ज़ की हैं और इसके साथ ही उन्होंने ग्रीस को धमकाना शुरू किया है। ‘येनी सफक’ नामक अखबार ने अमरीका-ग्रीस समझौते का वृत्त प्रदान करते हुए ‘वुई आर रेडी फॉर वॉर’ यह शीर्षक दिया है। तकविम नामक अखबार ने इस समझौते का वृत्त प्रसिद्ध करते समय यह बयान किया है कि, तुर्की के शत्रु एक चौकोर में खड़े हैं।

ग्रीस ने कुछ दिन पहले फ्रान्स के साथ ही रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते पर भी तुर्की ने आक्रामक प्रतिक्रिया दर्ज़ करते हुए ग्रीस को धमकाया था। राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने तुर्की के जहाज़ों को फिर से भूमध्य समुद्री क्षेत्र की मुहिम के लिए रवाना करने के आदेश भी दिए थे। एर्दोगन के इन निदेशों की वजह से इस क्षेत्र में तनाव बढ़ने के संकेत प्राप्त हुए हैं।

इसी बीच, ग्रीस के साथ रक्षा समझौते का ज़िक्र करते हुए कुछ अमरिकी विश्‍लेषकों ने चीन के खतरे की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है। चीन ने ग्रीस के सबसे बड़े पिराअस बंदरगाह में काफी बड़ा निवेश करके इस पर कब्ज़ा किया है। चीन का यह कब्ज़ा कम्युनिस्ट हुकूमत की यूरोप को लेकर बनाई महत्वाकांक्षी योजनाओं का हिस्सा समझा जा रहा है। इस वजह से इस क्षेत्र में अमरीका का रक्षा तैनाती बढ़ाना अहमियत रखता है, ऐसा विश्‍लेषकों कहा है।

बीते कुछ वर्षों में किए गए अलग अलग सर्वेक्षणों से भूमध्य समुद्री क्षेत्र में र्इंधन के बड़े भंड़ार मौजूद होने की बात सामने आयी है। इनमें से अधिकाधिक भंड़ारों पर कब्ज़ा करने के लिए तुर्की ने बीते वर्ष से आक्रामक गतिविधियाँ शुरू की हैं। भूमध्य समुद्र में ग्रीस और सायप्रस की सीमा में मौजूद र्इंधन भंड़ारों पर भी तुर्की ने अपना हक जताना शुरू किया है।

बीते वर्ष अगस्त में और इसके बाद तुर्की ने ‘रिसर्च शिप’ एवं युद्धपोत भेजकर भूमध्य समुद्र में एक के बाद एक मुहिम चलाना शुरू किया था। तुर्की की इन कार्रवाईयों पर आपत्ति जताकर ग्रीस ने भूमध्य समुद्र में अपनी रक्षा तैनाती बढ़ाई थी। इसके बाद ग्रीस ने फ्रान्स, संयुक्त अरब अमिराती, इस्रायल, इजिप्ट जैसे देशों के साथ सामरिक सहयोग मज़बूत करने पर भी जोर दिया था।

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