हिंद महासागर क्षेत्र में अमरिकी ‘बी-2 बॉम्बर्स’ की तैनाती – चीन के लिए इशारा

नई दिल्ली/वॉशिंग्टन – अमरीका ने हिंद महासागर क्षेत्र के डिएगो गार्सिया द्विप पर ‘बी-2 स्टेल्थ बॉम्बर’ विमानों की तैनाती की है। अमरीका ने विश्‍व के सबसे घातक बॉम्बर्स विमानों की यह तैनाती करके चीन को कड़ी चेतावनी दी है, यह दावा हो रहा है। शुक्रवार के दिन अमरिकी संसद में लद्दाख में चीन ने की हुई घुसपैठ और आक्रामकता के विरोध में आलोचना करने के लिए प्रस्ताव रखा गया। साथ ही इस दौरान चीन की आक्रामकता के खिलाफ़ खड़े होनेवाले और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की संप्रभुता बरकरार रखने की कोशिश कर रहे भारत की सराहना की गई। भारत का समर्थन करना कभी नहीं था उतना अहम हुआ है, यह बयान अमरिकी सांसदों ने किया है। इस पृष्ठभूमि पर अमरीका ने हिंद महासागर क्षेत्र में की हुई तैनाती ध्यान आकर्षित कर रही है।

‘बी-2 बॉम्बर्स’

साउथ चायना सी क्षेत्र में चीन की आक्रामकता को जवाब देने के लिए अमरीका ने अपने युद्धपोत तैनात किए हैं। साथ ही तैवान के साथ अपना सामरिक सहयोग बढ़ाकर उनकी रक्षा तैयारी के लिए अमरीका कोशिश कर रही है। इसी कारण बेचैन हुए चीन ने अमरीका को चेतावनी देने के लिए साउथ चायना सी में एक युद्धाभ्यास के दौरान बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया था। साथ ही साउथ चायना सी में अपने अड्डों पर चीन ने बॉम्बर्स तैनात करने के समाचार प्राप्त हुए हैं। इसी पृष्ठभूमि पर अमरीका ने मालदीव के करीब हिंद महासागर में स्थित डिएगो गार्सिया के अपने सबसे बड़े लष्करी अड्डे पर ‘बी-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स’ की तैनाती करने की खबरें प्राप्त हुई हैं। अमरीका के ‘इंडो-पैसिफिक कमांड’ के अधिकारी ने इस तैनाती का ऐलान किया।

‘बी-2 बॉम्बर्स’

एक साथ 16 परमाणु हथियार लेकर उड़ान भरने की क्षमता रखनेवाले और शत्रु के राड़ार को चकमा देने की क्षमता रखनेवाले एवं यकायक हमला करने के लिए बड़े प्रभावी साबित हुए ‘बी-2 बॉम्बर्स’ की यह तैनाती चीन के लिए संदेश साबित होने की बात विश्‍लेषक कह रहे हैं। यह विमान हथियारों से पूरी तरह से सज्जित होकर 11 हज़ार किलोमीटर तक उड़ान भर सकते हैं। इस कारण एक ही समय पर हिंद महासागर और पैसिफिक में स्थित अपने मित्र देश और अमरीका के हितों की रक्षा करने के लिए यह तैनाती करने के दावे हो रहे हैं। साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र की इस तैनाती से हम भारत से संपूर्ण सहयोग करेंगे, यह संकेत भी अमरीका ने दिए हैं, ऐसे दावे भी किए जा रहे हैं। इस कारण इस तैनाती की ओर भारत और अमरीका के बढ़ते सामरिक सहयोग के नज़रिए से भी देखा जा रहा है।

‘बी-2 बॉम्बर्स’

लद्दाख में चीन की घुसपैठ होने के बाद भारत और चीन के सैनिक एक-दूसरे के सामने खड़े हुए 100 दिन बीत चुके हैं। गलवान में दगाबाज़ी होने के बाद भारत अब चीन के विरोध में काफी आक्रामक हुआ है और चीन को कई स्तरों पर जवाब भी दे रहा है। भारत ने चीन के खिलाफ अकेले ही खड़े होने की अपनी क्षमता भी दिखाई है, यह बात विश्‍लेषक कह रहे हैं। हाल ही में एक यूरोपियन अभ्यासगुट ने भी संज्ञान लेकर भारत ने अकेले दिखाई आक्रामकता से चीन परेशान हुआ है, यह दावा अपनी रपट में किया था। साथ ही चीन के खिलाफ अमरीका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया का सहयोग भी अधिक भक्कम हो रहा है और इस सहयोग से चीन के मन में ड़र होने की बात विश्‍लेषक कह रहे हैं।

बीते महीने में अमरीका की ‘यूएसएस निमित्झ’ इस विशाल विमान वाहक युद्धपोत ने अंडमान निकोबार द्विप के करीब भारत के साथ युद्धाभ्यास किया था। वर्ष 1971 के बाद पहली बार अमरिकी विमान वाहक युद्धपोत इस क्षेत्र में दाखिल हुई थी। इसके बाद अब अमरीका ने अपने ‘बी-2’ जैसे घातक स्टेल्थ बॉम्बर विमानों की तैनाती की है। इससे चीन को सामरिक संदेश देने की बात स्पष्ट हो रही है।

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