अमरीका की नयी नीति के खिलाफ भारत की लॉंबिंग

नई दिल्ली, दि. २६: ‘इसके आगे अमरिकी लोगों का रोज़गार दूसरे किसी को भी छिनने नहीं दूँगा’ ऐसा ऐलान करनेवाले अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प, विसा-संबंधित नीति में महत्वपूर्ण बदलाव करने की तैयारी में हैं| अमरिकी संसद में इस मामले में विधेयक रखा गया है| इसका भारत के आयटी और बीपीओ क्षेत्र को बहुत बड़ा झटका लग सकता है| इसलिए इसके खिलाफ भारत ने अमरीका में लॉबिंग शुरू की है|

विसा-संबंधित नीति

‘द नैशनल असोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर सर्व्हिसेस कंपनीज्’ (नैसकॉम) इस भारत की आयटी और बीपीओ कंपनियों के संगठन का प्रतिनिधिमंडल फिलहाल अमरीका में होकर, यह मंडल अमरीका के सामने अपनी भूमिका रखने की कोशिश कर रहा है| इसके लिये प्रतिनिधिमंडल के सदस्य अमरिकी लोकप्रतिनिधियों के साथ साथ, अमरिकी कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों से भी चर्चा कर रहे हैं| भारत के कुशल मानवसंसाधन को अमरीका में रोका ना जायें, ऐसा यह प्रतिनिधिमंडल अमरिकी लोकप्रतिनिधियों से मिलकर जता रहा है|

‘एच-१बी’ विसा पर अमरीका में काम करने वालों का कम से कम वार्षिक वेतन लगभग १ लाख ३० हज़ार डॉलर (८८ लाख रुपये) इतना रहना चाहिए| इतना वेतन लेनेवाले ही ‘एच-१बी’ विसा के लिये पात्र होंगे, ऐसा प्रावधान नये विधेयक में होनेवाला है| लेकिन विद्यमान शर्त ऐसी है कि ‘एच-१बी’ विसाधारकों के लिये कम से कम ६० हजार डॉलर (४०.७ लाख रूपये) इतना वार्षिक वेतन होना चाहिए| अर्थात् नये विधेयकानुसार इस वेतन में २०० प्रतिशत से अधिक बढोत्तरी करनी होगी| इस वेतनवृद्धि की वजह से, भारतीय कर्मचारियों को ‘एच-१बी विसा’ देना कंपनियों को घाटे का साबित होगा| इसलिए इसका असर भारतीय कंपनियों पर और अमरीका में ‘एच-१बी विसा’ पर काम करनेवाले भारतीयों पर पड़नेवाला है|

‘इन्फोसिस’, ‘टाटा कन्सल्टन्सी सर्व्हिसेस’, ‘विप्रो’ ये आयटी क्षेत्र की अग्रसर भारतीय कंपनियाँ १९९० के दशक से अमरीका में कार्यरत हैं| इसके अलावा अन्य भारतीय आयटी कंपनियों ने पिछले डेढ़ दशक में अमरीका में अच्छी जड़ें फ़ैलायी हैं| इसके अलावा गुगल, आयबीएम जैसी कई अग्रसर अमरिकी कंपनियों में भी भारतीय इंजीनियर काम कर रहे हैं|

फिलहाल तक़रीबन ३५ लाख भारतीय ‘एच-१बी’ पर अमरीका में काम कर रहे हैं| इसमें अमरीका हर साल लगभग ६५ हज़ार भारतीयों को ‘एच-१बी’ विसा देती है| इन्फोसिस जैसी कंपनियों के ६० प्रतिशत कर्मचारियों के पास ‘एच-१बी’ विसा है|

इस पृष्ठभूमि पर, अमरीका में रहनेवाली भारत की डेढ़सौ अरब डॉलर की आयटी इंडस्ट्री, अमरिकी जनता के लिये भी कितनी महत्वपूर्ण है, इस बात को समझाने की कोशिश भारत कर रहा है| पिछले हफ्ते भारतीय प्रधानमंत्री ने अमरीका की नयी विसा नीति के बारे में चिंता व्यक्त की थी| साथ ही, चार दिन पहले अमरिकी सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल भारत यात्रा पर आया था| उस समय, व्यापारमंत्री सितारामन ने भी भारत की चिंताएँ स्पष्ट रूप में व्यक्त की थीं|

भारतीय कंपनियों की वजह से अमरीकी जनता को भी बड़े पैमाने पर नौकरियाँ मिल रही हैं, इस बात पर भी सितारामन ने ग़ौर फ़रमाया| अमरीका भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण व्यापारी साझेदार देश है| लेकिन दोनो देशों के दौरान उत्पादनों का व्यापार बहुत कम होकर, वह ६५ अरब डॉलर पर ही पिछले कुछ सालों से स्थिर है| इस तुलना में, सॉफ्टवेअर व्यापार में हर साल दस प्रतिशत से बढ़ोत्तरी हो रही है| अमरीका की विसा नीति में लगातार बदलाव हो रहे होकर, इसके कारन साशंकता निर्माण हुई है, जिसे दूर करना आवश्यक है, ऐसा सितारामन ने कहा| भारत ‘एच-१बी’ विसा के नियमों में होने वाले राजनीतिक बदलावों को लेकर अमरीका के साथ निरंतर संपर्क में है, ऐसी जानकारी व्यापारमंत्री ने दी है|

 विदेशसचिव जयशंकर अमरीका यात्रा पर जायेंगे

हाल ही में चीन यात्रा से स्वदेश लौटे विदेशसचिव एस. जयशंकर मंगलवार से चार दिन की अमरीका यात्रा पर जाने वाले हैं| अमरीका और भारत के बीच कई द्विपक्षीय मसलों पर इस समय चर्चा होगी| इनमें ‘एच-१बी’ विसा का मसला भी जयशंकर उपस्थित करेंगे, ऐसी खबर है| हाल ही में अमरीका में, एक भारतीय इंजीनियर पर वर्णविद्वेष से हमला हुआ था| इस पृष्ठभूमि पर, अमरीका स्थित भारतीयों की सुरक्षा का मुद्दा जयशंकर उठानेवाले हैं, ऐसा कहा जाता है|

भारतीय कंपनियाँ अमरीका की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं| इस कारण, ‘एच-१बी’ यह नॉन-इमिग्रंट विसा अमरिकी की कंपनियों में काम करनेवाले भारतीय कर्मचारियों के लिये सुलभ करें, ऐसी ठोंस भूमिका जयशंकर प्रस्तुत करेंगे|

डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जयशंकर चर्चा करनेवाले हैं। इसी दौरान, अमरीकास्थित भारत के राजदूत नवतेज सरना ने शनिवार को राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प से मुलाक़ात की। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने २५ देशों के राजदूतों के लिए एक विशेष समारोह का आयोजन किया था। उसमें भारत के राजदूत सरना को आमंत्रित किया गया था।

‘मेरे अमरीका के राष्ट्राध्यक्षपद पर आने के बाद भारतीय लोग, अपना एक अच्छा मित्र व्हाईट हाऊस में आया होने का अनुभव करेंगे’ ऐसा भरोसा डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने प्रचार मुहिम में जताया था| इस पृष्ठभूमि पर, भारत द्वारा की जा रहीं इन कोशिशों को राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प की सरकार कितना प्रतिसाद देगी, इसपर भारत का तथा अमरीका स्थित भारतीय समुदाय का ध्यान लगा हुआ है|

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