पाकिस्तान अमरिकी तंत्रज्ञान चीन को देगा : ‘सीआयए’ की चिंता

नई दिल्ली, दि. २९: अमरीका ने अब तक बड़े भरोसे के साथ पाकिस्तान को हथियार सप्लाई किये हैं| लेकिन यह देश इसका तंत्रज्ञान चीन को दे सकता है, ऐसी चिंता अमरिकी खुफिया एजन्सी ‘सीआयए’ को सता रही है| ‘सीआयए’ के गोपनीय रिपोर्ट हाल ही में जारी हुए है| उसको देखते हुए अमरीका का पाकिस्तान के सिलसिले में अविश्‍वास फिर एक बार सामने आया है|

‘सीआयए’पाकिस्तान और अमरीका के बीच के संबंध पहले जैसे मज़बूत नहीं रहे हैं| पाकिस्तान यह दिखा रहा है कि अफगानिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ सहायता के लिए वह अमरीका का सहकारी है| दोनों देशों के संबंध ऊपरी तौर पर अच्छे दिखाई दे रहे हैं, लेकिन अंदरूनी तौर पर ये संबंध टूटने की कग़ार पर हैं, ऐसे दावे किए जा रहे हैं| अमरीका का कड़ा प्रतिस्पर्धी रहनेवाले चीन के साथ पाकिस्तान के बढ़ते रिश्ते इसी बात को दर्शाते हैं| पाकिस्तान के सामरिक विश्‍लेषक तो चीन की ओर, ‘अमरीका की जगह लेनेवाला पाकिस्तान का सबसे बड़ा भरोसेमंद और समर्थ मित्रराष्ट्र’ के तौर पर देख रहे हैं| लेकिन ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान चंद कुछ दिनों से अमरीका का विश्‍वासघात कर रहा है| इससे पहले भी पाकिस्तान ने अमरीका को ऐसे झटके दिए हैं, ऐसा दावा करनेवाली अहम जानकारी सामने आ रही है|

१९८० के दशक में शीतयुद्ध के समय अमरीका और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंध अच्छे होने के बावजूद भी, ‘पाकिस्तान अमरीका का विश्‍वासघात कर रहा है’ ऐसा शक ‘सीआयए’ के उस समय के अहवाल में दर्ज़ किया गया था| उस समय अमरीका ने पाकिस्तान पर भरोसा जताते हुए, कुछ संवेदनशील टेक्नॉलॉजी से बने हथियारों की पाकिस्तान को सप्लाई की थी| लेकिन अमरीका का यह तंत्रज्ञान पाकिस्तान ने चीन को दिया होगा, ऐसी आशंका इस रिपोर्ट में जताई गई है|

अमरीका ने १९८० के दशक में पाकिस्तान को लगभग ४५ ‘एफ-१६’  लडाकू विमानों की सप्लाई की थी| उस समय इन विमानों का तंत्रज्ञान सबसे अच्छा था| साथ ही, रडार यंत्रणा और अन्य आधुनिक रक्षाविषयक यंत्रणा की सप्लाई भी अमरीका ने पाकिस्तान को की थी|

अमरीका और पाकिस्तान के बीच के संबंध अभी भी १९८० के दशक जैसे मज़बूत होते, तो भी पाकिस्तान पर भरोसा जताया नहीं जा सकता था| इन हालातों में भी पाकिस्तान की ओर से चीन को यह तंत्रज्ञान देने का ख़तरा था, ऐसा भी अहवाल से स्पष्ट होता है| चीन और पाकिस्तान के बीच के द्विपक्षीय संबंध अमरीका से ज़्यादा टिकाऊ हैं ऐसा पाकिस्तान को लग रहा है, ऐसा भी इस रिपोर्ट में कहा गया है|

इसी दौरान ‘सीआयए’ के एक और रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने पाकिस्तान को परमाणुताकत बनाने के लिए हर संभव सहायता की है, ऐसा सामने आ रहा है| इसके लिए चीन किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार था| पाकिस्तान को परमाणु तंत्रज्ञान देने के लिए चीन ने अमरीका के साथ के अपने रिश्तों को भी दाँव पर लगाया था, ऐसा ‘सीआयए’ के इस रिपोर्ट में कहा गया है| इस रिपोर्ट के अनुसार, चीन और पाकिस्तान के बीच परमाणु समझौता हुआ था| उस समय, ‘आंतर्राष्ट्रीय परमाणुऊर्जा एजन्सी’ (आयएईए) के विशेषज्ञों को जाँच के लिए पाकिस्तान अपनी परमाणु परियोजना खुली न करें, ऐसी सलाह चीन ने पाकिस्तान को दी थी, ऐसा दावा ‘सीआयए’ के रिपोर्ट में किया गया है|

पाकिस्तान यह विश्‍वासघातकी देश होकर, उसपर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता, ऐसा अमरीका के ज़िम्मेदार लोकप्रतिनिधियों तथा सेना के अधिकारियों ने अपने देश को बार बार आगाह किया था| फिलहाल अमरीका के रक्षामंत्रीपद पर नियुक्त हुए जेम्स मॅटिस ने लष्करी अधिकारी के तौर पर इस सिलसिले में ठोस भूमिका अपनाई थी| अमरीका और नाटो की, अफगानिस्तान की आतंकवादविरोधी मुहिम के प्रमुख के तौर पर जनरल मॅटिस ने काफ़ी समय तक काम किया है| उस समय भी उन्होंने पाकिस्तान के सिलसिले में आक्रामक भूमिका अपनाई थी| इसीलिए जेम्स मॅटिस का अमरीका के रक्षामंत्रीपद पर हुआ चुनाव पाकिस्तान को बेचैन करनेवाला है|

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