चीन का प्रभाव रोकने पर अमरीका-फ्रान्स का एकमत – अमरीका के विदेश मंत्री अँथनी ब्लिंकन का ऐलान

वॉशिंग्टन/पॅरिस – ‘अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन का बढ़ता प्रभाव, उदारमतवादविरोधी जागतिक व्यवस्था के निर्माण को ताकत प्रदान कर सकता है। इस संभावना को रोकने के लिए जो कुछ भी प्रयास करने पड़ेंगे, उसके लिए अमरीका और फ्रान्स के बीच एकमत हुआ है’, ऐसा अमरीका के विदेश मंत्री अँथनी ब्लिंकन ने घोषित किया। इन दिनों ब्लिंकन युरोप के दौरे पर होकर चीन को रोकने के उद्देश्य से जारी कोशिशों को युरोपीय मित्रदेशों का साथ मिले, यह इस दौरे के पीछे का उद्देश्य बताया जाता है।

us-france-china-influenceदो हफ्ते पहले अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल समेत युरोप का दौरा किया था। इस दौरे में हुई ‘जी७’ और ‘नाटो’ की बैठकों में, अमरीका समेत सदस्य देशों ने चीन के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाई थी। ‘जी७’ और ‘नाटो’ की बैठक के तुरंत बाद ‘युएस-ईयू समिट’ भी संपन्न हुआ था। इस बैठक में अमरीका और युरोपीय महासंघ ने व्यापार और तंत्रज्ञान क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को चुनौती देने के लिए अहम निर्णय किए थे। चीन को रोकने के मुद्दे पर लगातार एक-दूसरे के संपर्क में रहने पर भी एकमत हुआ था।

इस पृष्ठभूमि पर, अमरीका के विदेश मंत्री का युरोप दौरा महत्वपूर्ण साबित होता है। ‘चीन की प्रगति रोकना अथवा उसे पीछे धकेलना ये हमारे उद्देश्य नहीं है। लेकिन जब खुली और मुक्त जागतिक व्यवस्था का मुद्दा सामने आता है, उस समय हम चीन के विरोध में खड़े रहने से नहीं हिचकिचायेंगे’, ऐसी चेतावनी अमरिकी विदेश मंत्री ने दी। किसी भी प्रकार की व्यवस्था ना होनेवाली और अराजक से भरी दुनिया नए संघर्ष की ओर ले जानेवाली साबित होगी और शायद आगे चलकर चीन का वर्चस्व होनेवाली व्यवस्था इससे देखने को मिलेगी, इस पर भी ब्लिंकन ने गौर फरमाया।

सालों से चलती आई प्रचलित जागतिक व्यवस्था के सामने खड़ी चुनौती को नष्ट करना और जनता को अधिक अच्छा विकल्प उपलब्ध करा देना, यह दुनिया के लोकतंत्रवादी देशों की ज़िम्मेदारी है, ऐसा भी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने आगे कहा। इस मुद्दे पर हमारा और फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ईमॅन्युएल मॅक्रॉन का एकमत हुआ होने का दावा अमरिकी विदेश मंत्री ने किया। अमरीका और फ्रान्स के बीच होनेवाले समान मूल्यों की डोर पकड़कर ब्लिंकन ने, चीन का प्रभाव, कोरोनावायरस तथा अन्य मुद्दों पर अमरीका और फ्रान्स के बीच सहयोग तथा समन्वय बरकरार रहेगा, ऐसा विश्वास ज़ाहिर किया।

अमरिकी विदेश मंत्री ने चीन के ‘बेल्ट ऍण्ड रोड इनिशिएटिव्ह’ की भी आलोचना की। ‘‘अमरीका और मित्र देशों ने प्रस्तुत की ‘बी३डब्ल्यू’ योजना चीन के ‘बेल्ट ऍण्ड रोड इनिशिएटिव्ह’ के लिए उचित विकल्प साबित होगी। ‘चीन द्वारा अन्य देशों को दी जाने वाली सहायता सकारात्मक और अच्छे उद्देश्यों से नहीं दी गई है। उसके पीछे कुछ छिपे हेतु विद्यमान हैं । चीन ने कोरोना टीकों का इस्तेमाल भी अन्य देशों पर दबाव बनाने के लिए किया है’’, ऐसा दोषारोपण विदेश मंत्री ब्लिंकन ने किया।

अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के बढ़ते प्रभाव को लक्ष्य करने की शुरुआत की थी। लेकिन ट्रम्प की इन कोशिशों का युरोपीय देशों ने साथ नहीं दिया था। द्वारा युरोपीय देशों में हुआ बड़ा निवेश और अग्रसर व्यापारी साझेदार के रूप में होनेवाला प्रभाव, इस कारण युरोपीय देश ट्रम्प की चीन विरोधी मुहिम में सहभागी होने के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन कोरोना की महामारी के साथ ही मानवाधिकार तथा अन्य मुद्दों पर, युरोप के देशों में चीन के विरोध में तीव्र संतोष निर्माण हुआ है। चीन को रोकना अत्यावश्यक बना होने का एहसास अब युरोपीय देशों को हो चुका है। इसी कारण चीन के साथ हो रहा व्यापार और निवेश विषयक समझौता खारिज करके युरोपीय महासंघ ने चीन को झटका दिया। अब फ्रान्स जैसा युरोप का अत्यंत महत्वपूर्ण देश चीन के विरोध में अमरीका के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हुआ है, यह बहुत बड़ी बात है। इससे पहले फ्रान्स ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के अपने हितसंबंधों की सुरक्षा के लिए भारत के साथ सहयोग करने का सामरिक फैसला किया था। चीन के कारनामों के कारण इस क्षेत्र में असंतुलन और अस्थिरता निर्माण हो रही है, यह बताकर फ्रान्स ने भारत के साथ बने अपने सामरिक सहयोग का समर्थन किया था।

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