हिमाचल प्रदेश में दो जगहों पर प्राप्त हुए युरेनियम के भंड़ार

नई दिल्ली – हिमाचल प्रदेश में दो जगहों पर युरेनियम के भंड़ार प्राप्त हुए हैं। परमाणु ऊर्जा के लिए ईंधन के तौर पर इस्तेमाल हो रहा युरेनियम प्राप्त करने के लिए भारत अन्य देशों पर निर्भर रहने के लिए मज़बूर है। लेकिन, भारत में भी कुछ मात्रा में युरेनियम के भंड़ार मौजूद हैं और इनकी खोज़ हो रही है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश में बड़ी मात्रा में युरेनियम के भंड़ार होने के दावे किए गए थे। इस राज्य के कुछ हिस्सों में मौजूद भूमिगत जल में युरेनियम की मात्रा होने की रपट कुछ दिन पहले प्रसिद्ध हुई थी। इस पृष्ठभूमि पर हिमाचल प्रदेश में दो जगहों पर युरेनियम के भंड़ार प्राप्त होने की खबर परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के दाखिले से प्राप्त हो रही है।

himachal-pradesh-uraniumहिमाचल प्रदेश में शिमला के करीब काशा कलाडी और मंड़ी जिले के तिलेई में युरेनियम के इन भंड़ारों की खोज़ हुई है। काशा कलाड़ी में २०० टन ‘ट्रियुरेनियम ऑक्टॉक्साईड’ का भंड़ार प्राप्त हुआ है। इस जगह से तकरीबन १७० टन युरेनियम प्राप्त हो सकता है। इसके अलावा मंड़ी के तिलेई में २२० टन ‘ट्रियुरेनियम ऑक्टॉसाईड’ के भंड़ार की खोज़ हुई है और इससे १८६ टन युरेनियम प्राप्त हो सकता है। हिमाचल प्रदेश में इससे पहले भी युरेनियम के भंड़ार बरामद हुए हैं। हिमाचल प्रदेश के उनान में स्थित राजपुरा में ‘ट्रीयुरेनियम ऑक्टॉसाईड’ का सबसे बड़ा ३८४ टन का भंड़ार प्राप्त हुआ था।

हिमाचल के औद्येगिक विभाग के दावे के अनुसार हमिरपुर जिले में ११ स्थानों पर युरेनियम के भंड़ार बरामद हुए हैं। लेकिन, यह भंड़ार कौनसे गांव या क्षेत्र में बरामद हुए, इस बात का खुलासा अभी ‘अटॉमिक मिनरल्स डायरेक्टोरेट फॉर एक्सप्लोरेशन ऐण्ड रिसर्च’ (हैद्राबाद) ने किया नहीं है।

‘आयआयटी’ के विशेषज्ञों ने बीते वर्ष हिमाचल प्रदेश के अलग अलग जिलों के भूमिगत जल का परीक्षण किया था। उना, बिलासपुर, सोलान, सिरमौर, मंडी, कुल्लू, हमीरपुर, शिमला और किनौर में ‘आयआयटी’ ने जल परीक्षण किया गया था। इनमें से कुठ ठिकानों के जल परीक्षण में युरेनियम की मात्रा आम तौर से चार गुना अधिक पाई गई है। ‘आयआयटी ने इससे संबंधित रपट कुछ दिन पहले ही ‘बोर्ड ऑफ रिसर्च इन न्युक्लिअर सायन्स’ (बीआरएनएस) को दिया था, ऐसी खबरें प्राप्त हुई हैं।

भारत में अब तक बरामद हुए युरेनियम के भंड़ारों को लेकर हिमाचल प्रदेश १०वें स्थान पर है। इससे पहले भारत के ११ राज्यों में युरेनियम की खदानों की खोज़ हुई है। सबसे अधिक युरेनियम के भंड़ारों की खोज़ हुए राज्यों की सूचि में आंध्र प्रदेश, झारखंड़ और मेघायल इन तीन राज्यों ने पहले तीन स्थान प्राप्त किए हैं।

इसी बीच, भारत युरेनियम प्राप्त करने के लिए काफी हद तक अन्य देशों पर निर्भर है। ऑस्ट्रेलिया, कज़ाकिस्तान, कनाड़ा जैसे देशों से भारत को युरेनियम की आपूर्ति होती है।

इस पृष्ठभूमि पर भारत में युरेनियम भंड़ारों की हो रही खोज़ अहमियत रखती है। भविष्य में परमाणु ईंधन की सुरक्षा के नज़रिये से यह बात अहम साबित होगी। भारत ने वर्ष २०३१-३२ तक युरेनियम की अपनी ज़रूरतें पूरी करने में आत्मनिर्भर होने का लक्ष्य तय किया है। युरेनियम के नए भंड़ारों की खोज़ होने से यह लक्ष्य प्राप्त करना भारत के लिए अधिक आसान होगा। लेकिन, इसके लिए भारत को युरेनियम का खनन की गति बढ़ानी होगी, ऐसा कहा जा रहा है।

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