अमरिकाने तैवान के लिए लडाकू विमान दिए तो चीन-अमरिका संबंधों पर कडा असर होगा – चीन ने अमरिका को धमकाया

Third World Warतैपेई/वॉशिंगटन/बीजिंग: चीन की बढ़ती लष्करी गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर तैवान ने अमरिका के पास ६६ लड़ाकू विमानों की मांग की है| तैवान के साथ बनाया सुरक्षा विषयक सहयोग ट्रम्प प्रशासन की नीति का भाग होने का बताकर अमरिका के वरिष्ठ अधिकारी ने वर्णित मांग को स्वीकृति देता दिखाई देता हैं| इस कारण अस्वस्थ हुए चीन ने अमरिका को द्विपक्षीय संबंध खराब होंगे, ऐसी चेतावनी दी हैं|

पिछले कुछ सप्ताह से चीन से तैवान को धमकियां दी जा रही है और चीन ने तैवान की दिशा में मिसाइल भी तैनात किए हैं| साथ ही एस-४०० हवाई सुरक्षा यंत्रणा का परीक्षण करके तैवान की खाड़ी में मिसाइल प्रक्षेपित किए थे| चीन के विध्वंसक और लड़ाकू विमानों ने तैवान की सीमा में गश्त भी की थीं| लष्करी गतिविधियों द्वारा चीन दबाव निर्माण करते हुए तैवान ने अमरिका के साथ राजनीतिक तथा लष्करी सहयोग शुरू रखा था|

अमरिकाने, तैवान, लडाकू विमान, दिए, चीन, अमरिका, संबंधों, कडा असर, होगा, धमकायाइस पृष्ठभूमि पर, चार दिनों पहले अमरिका के वरिष्ठ अधिकारियों ने तैवान की यात्रा करते हुए तैवान के अधिकारियों से मुलाकात की थीं| उनके इस मुलाकात के विषय में चीन के माध्यमों से आलोचना होते हुए अमरिका तथा तैवान में नए सहयोग के बारे में खबरें सामने आई हैं|

तैवान की राष्ट्राध्यक्षा ‘त्साई ईंग-वेन’ ने अमरिका के पास ६६ ‘एफ-१६ वाइपर’ लड़ाकू विमान देने की मांग रखी हैं| तैवान के बेड़े में पहले से ही अमरिका के ‘एफ-१६’ विमान हैं| परंतु वाइपर श्रेणी का उन्नत विमान होते हुए तैवान को अपनी वायुसेना का बेड़ा अद्ययावत करना हैं| इसलिए अमरिका के पास यह मांग करने की जानकारी तैवान की सुरक्षा मंत्रालय ने दी है| तैवान ने अमरिका के पास उन्नत रडार यंत्रणा की भी मांग की हैं| अमरिका के विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने तैवान के इस मांग पर प्रतिक्रिया दी हैं|

वर्ष १९७९ में अमरिका और चीन में हुए समझौते के अनुसार, तैवान को शस्त्र सहायता प्रदान करना अमरिका ने स्वीकार करना ‘वन चायना पॉलिसी’ के विरोध में नहीं जाएगा| इसकी चौखट कायम रख कर अमरिका तैवान को सुरक्षा सहयोग कर सकता हैं, ऐसी जानकारी अमरिका के विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ‘पैट्रिक मर्फी’ ने दी हैं| लष्करी दबाव का उपयोग कर तैवान के अन्य देशों के साथ सहयोग तोड़ने की चीन की गतिविधियों पर भी मर्फी ने टीका की हैं| चिकित्सा सुविधाएं, नागरिक उड्डयन और तंत्रज्ञान क्षेत्र में तैवान के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता हैं, ऐसा मर्फी ने रेखांकित किया हैं|

परंतु तैवान यह अपनी ही संप्रभु भूमि होने का दावा करने वाले चीन ने तैवान के लड़ाकू विमानों की मांग पर जोरदार आलोचना की है| ‘तैवान के साथ अमरिका के सुरक्षा विषयक सहयोग को चीन का कठोर विरोध है| अमरिका को चीन की यह भूमिका ज्ञात है| इस कारण अमरिका तैवान के साथ के इस सहयोग से पीछे हट जाए अन्यथा इसके गंभीर परिणाम अमरिका और चीन के संबंधों पर होंगे’, ऐसी चेतावनी चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ‘गेंग शुआंग’ ने दी हैं|

दौरान, गुरुवार को तैवान की राष्ट्राध्यक्षा ‘त्साई ईंग-वेन’ प्रशांत महासागर के देशों की यात्रा पर रवाना हो गई है और २७ मार्च को अमेरिका का लष्करी अड्डा होने वाले ‘हवाई’ द्वीपों को भेंट देने वाली हैं| उनकी इस यात्रा पर चीन से तीव्र प्रतिक्रिया उमड़ सकती हैं|

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