अफगानिस्तान से सेनावापसी के बाद भी अमरीका को आतंकवादी हमलों से सुरक्षित रखेंगे – राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन का आश्‍वासन

वॉशिंग्टन – अफगानिस्तान से अमरीका की सेनावापसी अमरीका को असुरक्षित बनानेवाली साबित होगी। इस सेनावापसी के कारण तालिबान और अलकायदा अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करेंगे और अमरीका पर नए आतंकवादी हमले की साजिश रचेंगे, ऐसी चेतावनी अमरिकी लोकप्रतिनिधी, गुप्तचर विभाग के और लष्कर के विद्यमान और पूर्व अधिकारी दे रहे हैं। पूर्व विदेश मंत्री ने भी यह जताया है कि अफगानिस्तान से सेनावापसी के अमरीका की सुरक्षा पर गंभीर परिणाम होंगे। लेकिन अमरीका आतंकवादी हमला होने से पहले ही उसे रोककर, अपनी जनता को सुरक्षित रखने के मामले में हरगिज़ टालमटोल नहीं करेगा, ऐसा यकीन ज्यो बायडेन ने दिलाया है।

१ मई २०११ को पाकिस्तान के ऍबोटाबाद शहर में घुसकर अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था। उसे दस साल पूरे हुए हैं। लादेन को खत्म करनेवाली मुहिम जब अमरीका ने चलाई, उस समय ज्यो बायडेन अमरीका के उपराष्ट्राध्यक्ष के तौर पर कार्यरत थे। लादेन को खत्म करने की मुहिम पर अमल करनेवाली नॅशनल सिक्युरिटी टीम की सिच्युएशन रूम में बायडेन भी थे, उसकी यादें बायडेन ने ताज़ा कीं। लादेन को मार गिराकर, ९/११ हमले के मृतकों को इन्साफ दिलाने का वचन अमरीका ने पूरा किया। आनेवाले दौर में भी, आतंकवादी हमला होने से पहले ही उसे रोकने के प्रयासों में और अमरीका को सुरक्षित रखने के मामले में टालमटोल नहीं की जाएगी, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने कहा है।

१ मई से ही अफगानिस्तान से अमरिकी सेना की वापसी की प्रक्रिया शुरू हुई है। फिलहाल अफगानिस्तान में अमरीका के २५०० से ३५०० सैनिक और नाटो के सात हजार सैनिक तैनात हैं। ११ सितंबर तक अमरीका और नाटो के सैनिक अफगानिस्तान से पूरी तरह वापसी करनेवाले हैं, ऐसी घोषणा की गई है। इस सेनावापसी की घोषणा की अमरीका में आलोचना हो रही है। अमरीका के लोकप्रतिनिधी, गुप्तचर विभाग और लष्कर के विद्यमान और पूर्व अधिकारी तथा राजनयिक भी इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। अमरीका की सेनावापसी के बाद अफगानिस्तान, तालिबान और अलकायदा के कब्ज़े में चला जाएगा। उसके बाद अमरीका पर नए आतंकवादी हमले की साज़िश रची जाएगी। इससे अमरीका असुरक्षित बनेगी, ऐसी चेतावनी पूर्व विदेश मंत्री कॉन्डोलिसा राईस और हिलरी क्लिंटन ने दी है।

इस पृष्ठभूमि पर, अमरीका की सुरक्षा को लेकर बायडेन को जनता को आश्वस्त करना पड़ा, ऐसा दिखाई दे रहा है। लेकिन यह आश्वासन देते समय राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने ग़ौरतलब बयान किया है। हालांकि अफगानिस्तान से अमरीका वापसी कर रही है, फिर भी अपने सहयोगी और साझेदार देशों की सहायता से, आतंकवादियों से होनेवाले खतरे के विरोध में अमरीका और अमरीका के हितसंबंध महफ़ूज़ रखने के लिए आवश्यक कार्रवाई करेंगे, ऐसा दावा बायडेन ने किया है। अफगानिस्तान से सेना हटाकर अमरीका वह सेना पाकिस्तान में तैनात करेगी और उसके लिए अमरीका ने पाकिस्तान के पास लष्करी अड्डों की माँग की है। उस संदर्भ में पाकिस्तान के माध्यमों में खबरें जारी हो रहीं हैं। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष के बयान से इन खबरों की पुष्टि हो रही है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने, उन पर बहुत बड़ा दबाव है, ऐसा कहा था। यह दबाव किससे डाला जा रहा है, इस बारे में माध्यम और विश्लेषक अलग-अलग दावे कर रहे हैं। लेकिन कुछ पत्रकारों ने यह जानकारी दी कि प्रधानमंत्री इम्रान खान पर, अमरीका को लष्करी अड्डे देने के संदर्भ में दबाव आ रहा है। यदि यह फैसला किया, तो पाकिस्तान में उसकी बहुत बड़ी गूंजे सुनाई दे सकती हैं। इससे तालिबान पाकिस्तान पर पलट सकता है और उससे पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों का भयंकर सत्र शुरू हो सकता है। उसी के साथ चीन, ईरान इन देशों का विरोध पाकिस्तान को सहना पड़ सकता है। लेकिन अगर अमरीका को अड्डे देने से इन्कार किया, तो उसके भयंकर आर्थिक परिणाम पाकिस्तान को भुगतने पड़ेंगे। फिलहाल बायडेन के प्रशासन ने पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाकर इन परिणामों की झलक दिखाई सामने आ रही है। इससे पाकिस्तान सरकार की घेराबंदी हुई है।

इसी कारण, तालिबान की माँग के अनुसार अमरीका हालाँकि अफगानिस्तान से सेना वापसी कर रही है, फिर भी अफगानिस्तान के आतंकियों पर हमले करने की अपनी क्षमता कम नहीं होगी, इसके एहतियात अमरीका द्वारा बरते जा रहे हैं, यह इससे स्पष्ट हुआ है। अत्याधुनिक ड्रोन्स तथा लड़ाकू विमान और अन्य अद्यतन शस्त्रास्त्र एवं रक्षा सामग्री होते हुए, अमरीका को अफगानिस्तान में सैनिक तैनात रखने की आवश्यकता नहीं है। उल्टा उसपर खर्च कम करके अमरीका अफगानिस्तान में अपने हेतु आसानी से साध्य कर सकेगी, ऐसा अनुमान इस सेना वापसी के उपलक्ष्य में जताया जा रहा है। लेकिन उसके लिए अमरीका को पाकिस्तान में लष्करी अड्डा बनाना पड़ेगा। यह अड्डा अमरीका को देना है या नहीं, यह पाकिस्तान के लिए अब जिंदगी और मौत का सवाल बना दिख रहा है।

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