अमरीका ने ‘साउथ चायना सी’ पर चीन ने किए दावे ठुकराएँ – फिलिपाईन्स एवं जापान भी चीन के विरोध में आक्रामक हुए

वॉशिंग्टन/बीजिंग – अमरीका मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का कड़ा समर्थक है और इस क्षेत्र का हिस्सा होनेवाले ‘साउथ चायना सी’ पर चीन ने किए सभी दावें पूरी तरह गैरकानूनी हैं, ऐसें स्पष्ट एवं कड़े शब्दों में अमरीका ने, साउथ चायना सी पर चीन ने जताया हक ठुकराया है। अमरीका की इस भूमिका पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज़ की हैं। ‘अमरीका की भूमिका साउथ चायना सी में शांति एवं स्थिरता को सुरंग लगानेवाली है और इस क्षेत्र के देश और चीन के संबंध बिगाड़ने के लिए बेवजह उकसानेवाली साबित हो रही है’, यह आरोप चीन ने किया है। लेकिन, चीन के इस बयान को आसियान देशों ने ही चुनौती दी है और सन २०१६ में आंतर्राष्ट्रीय पंचाट ने साउथ चायना सी को लेकर किए निर्णय का चीन पालन करें, यह माँग फिलिपाईन्स ने की हैं। फिलिपाईन्स की इस माँग की वजह से, अमरीका की ओर उँगली दिखा रहे चीन की ही अब साउथ चायना सी के मुद्दे पर घेराबंदी होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने सोमवार के दिन ‘साउथ चायना सी’ के बारे में अमरीका की भूमिका स्पष्ट करनेवाला निवेदन जारी किया। ‘चीन की हुकूमत ने साउथ चायना सी पर जताया हक और इससे संबंधित किए सभी दावें पूरी तरह से गैरकानूनी होकर, इस क्षेत्र पर नियंत्रण पाने के लिए चीन ने शुरू की हुईं हरकतों को भी अमरीका का कड़ा विरोध है’, इन शब्दों में अमरिकी विदेशमंत्री ने चीन के आक्रामक रवैये को खुली चुनौती दी। आंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार, समुद्री यातायात की आज़ादी एवं मुक्त व्यापार को अमरीका का समर्थन है। साउथ चायना सी में बना किसी भी विवाद का हल यदि ज़बरन या लष्करी ताकत के आधार पर निकालने की कोशिश हुई, तो अमरीका उसका कड़ा विरोध करेगी, यह कहकर, इस क्षेत्र में चीन के विरोध में खड़े हुए देशों को अमरीका का समर्थन होने के संकेत दिए गए हैं।

चीन की हुकूमत ने सन २००९ में ‘नाईन डैश लाईन’ तक अपनी सीमा होने का बयान करके, लगभग ९० प्रतिशत से अधिक साउथ चायना सी का क्षेत्र अपना होने का इकतरफा दावा करके सनसनी मचाई थी। चीन ने किए इस इकतरफा ऐलान को, साउथ चायना सी का अंग होनेवाले वियतनाम, फिलिपाईन्स, इंडोनेशिया, मलेशिया और ब्रुनेई इन आग्नेय एशियाई देशों के साथ ताइवान ने भी चुनौती दी थी। इनमें से फिलिपाईन्स ने, संयुक्त राष्ट्रसंघ के वर्ष १९८२ में बने कानून का आधार लेकर, आंतर्राष्ट्रीय पंचाट के सामने चीन के विरोध में याचिका दाखिल की थी। आंतर्राष्ट्रीय पंचाट ने वर्ष २०१६ में अपना निर्णय घोषित करते समय, ‘साउथ चायना सी पर चीन का किसी भी प्रकार से अधिकार ना होने की बात स्पष्ट की थी। आंतर्राष्ट्रीय पंचाट का निर्णय अमरीका के लिए अंतिम होने की स्पष्ट और सख़्त भूमिका निवेदन में रखी गई है। साउथ चायना सी क्षेत्र में ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ ऐसी चीन की आक्रामकता बर्दाश्‍त नही करेंगे, ऐसी कड़ी चेतावनी अमरिकी विदेशमंत्री ने दी।

अमरीका ने साउथ चायना सी को लेकर अपनाई स्पष्ट भूमिका और इसके बाद दी चेतावनी पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। ‘प्रादेशिक संप्रभुता से संबंधित विवादों में, किसी भी देश के पक्ष में खड़े ना होने के वचन का अमरीका पालन करें। साउथ चायना सी क्षेत्र के देश, स्थिरता और शांति कायम रखने के लिए कोशिश कर रहे हैं, इस बात का अमरीका सम्मान करें। अमरीका के विदेश विभाग ने निवेदन जारी करके रखी भूमिका का चीन स्पष्ट विरोध कर रहा है। इसमें चीन के विरोध में बेवजह आरोप रखे गए हैं और इससे चीन एवं आग्नेय एशियाई देशों के बीच तनाव निर्माण होने के लिए बढ़ावा मिल सकता है’, ऐसा आरोप चीन ने रखा है। अमरीका में स्थित चीन के दूतावास ने यह निवेदन जारी किया है और इसमें अमरीका ने ‘साउथ चायना सी’ के क्षेत्र में बढ़ाई तैनाती और गश्‍त की भी आलोचना की गई है।

साउथ चायना सी क्षेत्र के मुद्दे पर, अमरीका और चीन के बीच यह विवाद बढ़ रहा है, तभी फिलिपाईन्स भी अब इस विवाद में कूद चुका है। फिलिपाईन्स के विदेशमंत्री तिओदोरो लॉक्सिन ज्यु. ने सोमवार के दिन इससे संबंधित निवेदन जारी किया। आंतर्राष्ट्रीय पंचाट ने साउथ चायना सी के बारे में किए निर्णय से हम बंधे हैं और इसमें किसी भी तरह से समझौता या बदलाव करने का सवाल ही नहीं बनता। साउथ चायना सी पर दावा जतानेवालों में किसका पक्ष गलत है, यह बात इस निर्णय ने स्पष्ट दिखाई है। इस वजह से चीन भी अब इस निर्णय का पालन करें, यह चेतावनी फिलिपाईन्स ने दी है। फिलिपाईन्स के राष्ट्राध्यक्ष रॉड्रिगो दुअर्ते ने अबतक साउथ चायना सी के मुद्दे पर चीन के पक्ष में भूमिका अपनाई थी। लेकिन, सोमवार के निवेदन से फिलिपाईन्स की सरकार ने इस मुद्दे पर पूरी तरह से ‘यू टर्न’ लेकर, चीन के विरोध में ड़टकर खड़े रहने का निर्णय किया हुआ दिख रहा है।

फिलिपाईन्स के साथ ही जापान ने भी, चीन के साथ जारी विवादों में स्पष्ट आक्रामक भूमिका अपनाने के संकेत दिए हैं। जापान के रक्षा विभाग ने मंगलवार के दिन चीन की बढ़ती गतिविधियों के विरोध में अपनी भूमिका स्पष्ट करनेवाली श्‍वेतपत्रिका जारी की। इसमें कोरोना की महामारी का ज़िक्र करके, इस महामारी की पृष्ठभूमि पर, चीन अपने हितसंबंध एवं महत्त्वाकांक्षा आगे बढ़ाने के लिए तेज़ गतिविधियाँ कर रहा है, यह आरोप किया गया है। ये गतिविधियाँ जापान की सुरक्षा के लिए भी खतरनाक होने से, इस मुद्दे पर भूमिका स्पष्ट की जा रही है, यह बयान इस श्‍वेतपत्रिका में किया गया है।

चीन ने ‘ईस्ट चायना सी’ क्षेत्र में स्थित जापान के सेंकाकू द्विपों के सरहदी क्षेत्र में लगातार घुसपैठ करने की कोशिश शुरू रखी है। इस क्षेत्र में वर्तमान में बनी स्थिति में बदलाव करने के लिए चीन की ये हरकतें जारी हैं। इस मामले मे जापान का स्पष्ट विरोध होने के बावजूद चीन ने इसपर ध्यान नहीं दिया है, ऐसी नाराज़गी स्पष्ट तौर पर जापान ने व्यक्त की है। ईस्ट चायना सी में घुसपैठ करने के साथ ही, चीन की साउथ चायना सी में जारी हरकतों का ज़िक्र भी जापान के रक्षा विभाग ने किया है। लष्करी ताकत के बल पर चीन इस क्षेत्र की ‘जैसे थे’ स्थिति में बदलाव करने की कोशिश कर रहा है और सुरक्षा के नज़रिये से यह बड़ी चिंता की बात है, इस ओर जापान ने ध्यान आकर्षित किया है। अमरीका, जापान और फिलिपाईन्स इन देशों ने चीन के साथ जारी विवाद में रखी आक्रामक भूमिका चीन की हुकूमत की और भी अधिक घेराबंदी कर सकती है।

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