दूरसंचार क्षेत्र के अहम सुधारों को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी – विशेष मोरेटोरियम पैकेज से संकट से घिरी दूरसंचार कंपनियों को बड़ी राहत

स्वयंचलित पद्धती से १०० प्रतिशत एफडीआय, दूरसंचार सेवा के प्रदाताओं के स्पेक्ट्रम शुल्क के बकाया के लिए मोरेटोरियम सुविधाओं के साथ नौं संरचनात्मक और पांच प्रक्रियाओं से संबंधित सुधारों का उद्योग जगत ने किया स्वागत

केवायसी डिजिटल किया जाएगा, कागजात देने की आवश्‍यकता नहीं रहेगी

नई दिल्ली – भविष्य में दूरसंचार क्षेत्र का विस्तार सामने रखकर सरकार ने निवेश के अवसरों को देखते हुए इस क्षेत्र में बड़े सुधार करने का निर्णय किया है। बुधवार के दिन केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इन सुधारों के लिए मंजूरी प्रदान की। इसके अनुसार दूरसंचार सेवा प्रदाती कंपनियों के ‘एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू’ (एजीआर) यानी समायोजित सकल महसूल का बकाया चार वर्ष देरी से अदा करने की सहुलियत प्रदान की है। ‘एजीआर’ के मोरेटोरियम पैकेज की वजह से बड़े बकाया वाली दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों को बड़ी राहत मिली है। साथ ही इस क्षेत्र में सीधा विदेशी निवेश अब १०० प्रतिशत ‘ऑटोमेटिक रूट’ (स्वचालित मार्ग) से किया जाएगा। इससे इस क्षेत्र में विदेशी निवेश होगा। साथ ही ‘एजीआर’ देरी से भरने की सुविधा प्राप्त होने से दूरसंचार कंपनियों के लिए इस पैसे को बुनियादी सुविधाओं के निर्माण के लिए खर्च कर पाना संभव होगा। ५ जी तकनीक की दिशा में भी इससे तेज गति से बढ़ना संभव होगा, यह विश्‍वास व्यक्त किया जा रहा है।

Ashwini-Vaishnav-1प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार के दिन केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इस दौरान भारत में दूरसंचार क्षेत्र में विदेशी निवेश और इस क्षेत्र के विस्तार को गति प्रदान करने के लिए आवश्‍यक रचनात्मक एवं प्रक्रियात्मक सुधारों को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी। कुल ९ रचनात्मक सुधार और ५ प्रक्रियात्मक सुधारों का निर्णय सरकार ने किया है। रचनात्मक सुधार में ‘एजीआर’ महसूल की व्याख्या से बगैर दूरसंचार के महसूल को हटाया गया है। साथ ही परवाना शुल्क के लिए बैंक गारंटी से संबंधित शर्त कम की गई है। इससे पहले अलग अलग विभागों से परवाने पाने के दौरान कंपनियों को अलग अलग बैंकों की गारंटी देनी पड़ती थी। इसके बजाय अब एक ही बैंक की गारंटी देनी पड़ेगी। नीलामी की प्रक्रिया में किश्‍त अदा करने के लिए अब किसी भी बैंक गारंटी की ज़रूरत नहीं रहेगी।

विशेष बात तो यह है कि, अगली नीलामी प्रक्रिया में ‘स्पेक्ट्रम’ की अवधि २० वर्ष के बजाय ३० वर्ष होगी। इसके अलावा स्पेक्ट्रम खरीदनेवाली कंपनी को यदि इसे लौटाना पड़े तो १० वर्ष बाद लौटाने की अनुमति प्रदान की गई है। यानी की इसकी ‘लॉकईन’ अवधि १० वर्ष की होगी। इसके बाद कंपनियों को बदलती स्थिति और तकनीक के अनुसार मौजूदा स्पेक्ट्रम लौटाना हो तो ‘स्पेक्ट्रम’ शुल्क अदा करके इसे लौटाया जा सकता है। साथ ही स्पेक्ट्रम खरीदनेवाली कंपनियों को इसके आगे स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करने का शुल्क अदा करने की आवश्‍यकता नहीं रहेगी। स्पेक्ट्रम शुल्क और एजीआर का बकाया अब देरी से भरने की भी सुविधा दी गई है। इसके लिए चार वर्ष के मोरेटोरियम की सुविधा प्रदान की गई है और इस पर पेनल्टी अदा करने की आवश्‍यकता नहीं रहेगी। इसके अलावा चार वर्ष बाद इक्विटी के माध्यम से भी यह शुल्क अदा करने की सुविधा इन कंपनियों दी गई है।

telecom-2रचनात्मक बदलाव में सबसे बड़ा सुधार १०० प्रतिशत विदेशी निवेश स्वचालित मार्ग से करने की सुविधा प्रदान करके किया गया है। इससे पहले इस क्षेत्र में १०० प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति थी, फिर भी इनमें से ४९ प्रतिशत निवेश ही स्वचालित पद्धती से करने की अनुमति थी। शेष निवेश सरकारी मंजूरी से ही किया जा रहा था। इस वजह से भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में अधिक निवेश आने के लिए दरवाज़े खुल गए हैं और भारतीय कंपनियों को इस क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के साथ अपना विस्तार अधिक जोरों से करना मुमकिन होगा। इससे इन कंपनियों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा। ‘५ जी’ सेवा में निवेश के लिए लाभदायी माहौल तैयार होगा, यह उम्मीद जताई जा रही है।

इसके अलावा सरकार ने ‘टेलिकॉम टॉवर’ के लिए ‘रेडियो फ्रिक्वेन्सि’ से संबंधित स्थायी सलाहकार समिती की मंजूरी से संबंधित नियम शिथिल किए हैं। अब दूरसंचार कंपनियों को टॉवर लगाने के लिए अलग अलग विभागों की अनुमति की ज़रूरत नहीं रहेगी। एक पोर्टल के माध्यम से यह काम होगा। इससे परवाना प्राप्त करते समय होनेवाला भ्रष्टाचार बंद हो सकेगा। तथा टॉवर का नेटवर्क स्थापित करने में कंपनियों को बड़ी आसानी होगी। इसके अलावा ‘ऐप’ पर आधारित केवायसी प्रक्रिया को अनुमति प्रदान की गई है। नया ‘सिम’ लेने के लिए किसी भी तरह के दस्तावेज़ों की आवश्‍यकता नहीं रहेगी। आधार नंबर के ज़रिये डिजिटल केवायसी की जाएगी। यह प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाईन रहेगी।

इसी बीच, इन सुधारों की वजह से स्वस्थ स्पर्धा को गति मिलेगी। ग्राहक, कंपनियों के हितों की रक्षा होगी। भारत में अधिक विदेशे निवेश होगा और साथ ही दूरसंचार कंपनियों पर जटिल नियमों का भार कम करने में सहायता मिलेगी। दूरसंचार कंपनियों की नकद की किल्लत भी दूर होगी, ऐसा दूरसंचारमंत्री अश्‍विनी वैष्णव ने कहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.