‘ब्लैक सी’ में युक्रैन का साहसी रवैया नाटो-रशिया युद्ध का कारण साबित होगा – रशियन सांसद का इशारा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरमास्को – नाटो से दिए जा रहे प्रोत्साहन की वजह से युक्रैन का दबाव बढ़ रहा है और उसका परिणाम नाटा-रशिया युद्ध में होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता, ऐसी चेतावनी रशियन संसद सदस्यों ने दी है| नाटो को हालही में ७० वर्ष पूर्ण हुए हैं और इस निमित्त से रशियन संसद से एक विशेष निवेदन प्रसिद्ध किया गया था| इस निवेदन में संसद सदस्यों ने यह चेतावनी देते हुए कुछ महीनों में नाटो से रशिया के विरोध में किए जानेवाले विधानों पर नाराजगी व्यक्त की है| कुछ दिनों पहले नाटो के दो युद्ध नौकाओं को यूक्रेन के ओडेशा बंदरगाह में तैनात करने का वृत्त सामने आया था|

फरवरी महीने में युक्रैन के संसद ने नाटो की सदस्यता प्राप्त करने के लिए राज्यघटना में बदलाव करने की बात घोषित की थी| युक्रैन के इस निर्णय का नाटो ने प्रशंसा की थी| इस निर्णय के बाद अमरिका के सिक्स्थ फ्लिट का भाग होनेवाले मिसाइल भेदी विध्वंसक यूएसएस डोनाल्ड कुक ने युक्रैन को भेंट दी थी| उसके बाद दो हफ्तों में नाटो के सदस्य देश होनेवाले अमरिका, कनाडा एवं यूरोपीय देशों ने युक्रैन के मुद्दे पर रशिया पर प्रतिबंध जारी किए थे| उसके बाद नाटो के प्रगत विध्वंसक कुछ दिनों पहले युक्रैन के ब्लैक सी के बंदरगाह में तैनात किए गए थे|

नाटो से युक्रैन को प्रोत्साहन देनेवाले यह निर्णय रशिया विरोधी धारणाओं का भाग माना जा रहा है| इसकी वजह से रशिया ने उसके विरोध में लगातार आक्रामक भूमिका ली है और यह नई चेतावनी का भाग है|

युक्रैन के जहाजों को कर्श की खाड़ी में घूमना, सत्ता संतुलन से अथवा नाटो के ब्लैक सी में तैनाती से संबंधित घटक नहीं हो सकता| यह सिर्फ युक्रैन की समस्या होकर उसका संबंध नियम पालने से है| युक्रैन को उसकी पूर्ण कल्पना होकर उन्होंने इससे पहले नियमों को पालन किया है| यह नियम ठुकराकर युक्रैन विरोध दिखाने का प्रयत्न करने पर, उससे युक्रैन एवं रशिया में युद्ध का भड़का उड़ सकता है और ऐसे में शायद नाटो को भी शामिल होना होगा, ऐसे शब्दों में रशियन संसद सदस्यों ने नाटो को नए युद्ध की चेतावनी दी है|

नाटो उनका सदस्य देश ना होनेवाले युक्रैन एवं जॉर्जिया जैसे देशों को लगातार समर्थन दे रहा है| जिसकी वजह से उनका नेतृत्व गैरजिम्मेदार रूप से साहस करने के लिए प्रवृत्त हो रहा है, ऐसा रशियन संसद सदस्यों ने सूचित किया है| रशियन संसद में अपने निवेदन में नाटो के रशियन सीमा के पास शुरू विस्तार पर भी आलोचना की है और तनाव कम करना है, तो दोनों तरफ से चर्चा करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है यह सूचित किया है|

पिछले वर्ष नवंबर महीने में ‘सी ऑफ ऐझोव इस सागरी क्षेत्र में रशिया ने युक्रैन की ३ गश्तीनौका और २४ नौसैनिकों को कब्जे में लिया था| उसके बाद दोनों देशों में विवाद बढ़ा था| इस पृष्ठभूमि पर क्रिमिया का निवाला निगलने के बाद रशिया युक्रैन के अधिक टुकड़े करने की तैयारी में होने का आरोप युक्रैन से किया जा रहा है| रशिया ने पिछले महीने में युक्रैन की सीमा के पास परमाणुशस्त्र वाहक बलिस्टिक मिसाइल लॉन्चर तैनात करके, तोंफ, टैंकर्स और सैनिकों की बड़े तादाद में तैनाती करने की बात उजागर हुई थी|

Leave a Reply

Your email address will not be published.