भारत-जापान ‘टू प्लस टू’ बातचीत जल्द ही

नई दिल्ली: भारत और अमरिका में प्रतिवर्ष संपन्न होती है, वैसी ‘टू प्लस टू’ चर्चा आगे चलकर भारत और जापान में भी होनेवाली है| इस वर्ष से इस बातचीत की शुरुआत होगी| द्विपक्षीय संबंधों की दृष्टि से एशियां में प्रमुख वित्त व्यवस्था एवं जनतंत्रशाही देशों में यह चर्चा अत्यंत महत्वपूर्ण होनेवाली है| भारत के नए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यह जानकारी दी है| जापान की विदेशमंत्री तारों कोनो इनके साथ फोन पर हुई चर्चा के बाद विदेशमंत्री जयशंकर ने इस बारे में जानकारी उजागर की है|

जयशंकर विदेशमंत्री पद पर आने के बाद जापान के विदेशमंत्री ने उनका अभिनंदन करने के लिए फोन किया था| उस समय हुई चर्चा में इंडो पैसिफिक क्षेत्र मुक्त एवं खुला रहे इसके लिए भारत की भूमिका एवं जिम्मेदारी महत्वपूर्ण होगी, ऐसा विश्वास जापान के विदेशमंत्री ने व्यक्त किया है| इस पृष्ठभूमि पर दोनों देशों में ‘टू प्लस टू’ चर्चा होने की अहमियत अधिक बढ़ रही है| भारत एवं अमरिका के विदेशमंत्री एवं रक्षा मंत्रियों में ‘टू प्लस टू’ चर्चा होती है| उसी तरह अब भारत एवं जापान में भी चर्चा होगी|

दौरान भारत एवं जापान के संबंधों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री शिंजो एबे विशेष नजरिया रखते है| वह वास्तव में उतारने के लिए प्रयत्न किए जाएंगे, ऐसी गवाही विदेशमंत्री जयशंकर ने इस चर्चा में दी है| नवंबर महीने में जापान में जी-२० देशों की बैठक होगी| इस बैठक का निमंत्रण विदेशमंत्री कोनो ने जयशंकर को दिया है| तथा इस वर्ष जापान के प्रधानमंत्री भारत को भेंट देंगे, यह बात कही जा रही है| इन दोनों दौरों में दोनों देशों में महत्वपूर्ण सहयोग स्थापित करने के लिए समझौते होंगे, ऐसा दावा किया जा रहा है|

इंडो पैसिफिक क्षेत्र में चीन का वर्चस्ववाद बढ़ते समय भारत और जापान के इस सहयोग को बहुत बड़ा सामरिक महत्व प्राप्त हुआ है| उस समय भारत की जापान के साथ आर्थिक साझेदारी बढ़ाने के लिए दोनों देशों में विशेष प्रयत्न किए जा रहे हैं| तथा भारत एवं जापान में रक्षा विषयक सहयोग दृढ़ करते समय चीन की चुनौतियों का सामना करने के लिए यह सहयोग अत्यंत आवश्यक होने की बात समझी जाती है| एवं उसे अमरिका और ऑस्ट्रेलिया का भी पूर्ण समर्थन है|

कुछ दिनों पहले अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प जापान के दौरे पर गए थे| उस समय संयुक्त पत्रकार परिषद में संबोधित करते हुए राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प एवं प्रधानमंत्री एबे ने इंडो-पैसिफिक सागरी क्षेत्र सभी के लिए खुला एवं मुक्त रहें, ऐसी आग्रही भूमिका रखी थी| इसके लिए भारत का सहयोग लिया जाएगा, ऐसे संकेत भी दोनों नेताओं ने दिए थे|

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