इराक में स्थित कुर्द विस्थापितों के शिविर पर तुर्की के हवाई हमलें – तीन की मौत

कुर्द विस्थापितअर्बिल – इराक की उत्तर दिशा में कुर्द विस्थापितों के लिए बनाए शिविर पर तुर्की ने ड्रोन हमला किया और इससे तीन लोग मारे गए एवं दो घायल हुए हैं। तुर्की की एर्दोगन हुकूमत के उत्पीड़न से तंग होकर आश्रय लेने इराक पहुँचे कुर्द नागरिकों के लिए यह शिविर स्थापित किया गया था। दो दिन पहले तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने कुर्दों का यह शिविर नष्ट करने की धमकी दी थी। विस्थापितों के शिविर पर हमलें करनेवाले तुर्की को, इस कार्रवाई के लिए अन्तर्राष्ट्रीय आलोचना का मुकाबला करना पड़ सकता है।

तुर्की के दक्षिण और आग्नेय हिस्से में कुर्दों के बड़े इलाके थे। लेकिन, वर्ष १९९८ से तुर्की के चरमपंथियों के उत्पीड़न से तंग होकर हज़ारों कुर्द विस्थापित इराक पहुँचे थे। तुर्की की सीमा से १८० किलोमीटर दूरी पर इराक में स्थापित किए ‘मखमूर’ शिविर में करीबन १२ हज़ार कुर्द नागरिक रह रहे हैं। लेकिन मखमूर शिविर यानी हमारी सुरक्षा के लिए चुनौती दे रहीं ‘कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी-पीकेके’ इस तुर्की के विद्रोही संगठन का आश्रय स्थान होने का आरोप तुर्की लगा रहा है।

कुर्द विस्थापिततुर्की ने ‘पीकेके’ को आतंकी संगठन घोषित किया है। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप तय्यीप एर्दोगन ने दो दिन पहले ही, मखमूर शिविर की तुलना ‘पीकेके’ के माउंट कंदील में स्थित लष्करी अड्डे से की थी। ‘मखमूर पर समय पर कार्रवाई नहीं की, तो यह स्थान ‘पीकेके’ के आतंकियों का बड़ा केंद्र बनेगा’, यह दावा करके राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने इराक में स्थित इस शिविर पर हमलें करने की धमकी दी थी। गुरुवार के दिन यहाँ पर हमलें करके तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने अपनी धमकी सच्चाई में उतारी है।

तुर्की के ड्रोन ने इस शिविर में शिशु केंद्र के करीब हमला किया है, ऐसा आरोप इराक के कुर्द सांसद ने किया है। इस हमलें में मारे गए लोगों में बच्चों का भी समावेश है या नहीं, यह स्पष्ट नहीं हो सका है। लेकिन, विस्थापितों के शिविर पर हमला करके तुर्की ने भयंकर गलती की है, ऐसी आलोचना इस कुर्द नेता ने की है। विस्थापितों के कुर्द विस्थापितशिविर पर किए गए इस ड्रोन हमले के लिए तुर्की की, कुर्दों के साथ अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी आलोचना हो सकती है। बीते महीने में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने अपनी रिपोर्ट में, तुर्की के अनियंत्रित ड्रोन्स ने लीबिया में रिहायशी इलाकों पर हमलें किए होने का आरोप लगाया था। इस वजह से तुर्की का सिरदर्द बढ़ सकता है।

इसी बीच, दूसरे विश्‍वयुद्ध के बाद के दौर में कुर्द समुदाय का पाँच देशों में बँटवारा हुआ। इराक, ईरान, तुर्की, सीरिया और आर्मेनिया इन देशों में फैलें कुर्द वंशीय नागरिक स्वतंत्र कुर्दिस्तान की माँग कर रहे हैं। बीते छह दशकों से अधिक समय तक पश्‍चिमी देशों ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए कुर्दों का इस्तेमाल किया, यह आरोप किया जा रहा है।

लेकिन, अब स्वतंत्र कुर्दिस्तान का निर्माण किए बगैर कुर्द शांत नहीं बैठेगा, यह बात कुर्दों का विद्रोही संगठन आत्मविश्‍वास के साथ कहने लगा है। इराक और सिरिया के कुर्द वंशीय इस दिशा में ज़ोरदार कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच, इन गतिविधियों से तुर्की की अखंड़ता को ख़तरा होने की सोच रखनेवाले तुर्की ने, इराक में घुसकर कुर्दों पर हमलें करने का सिलसिला शुरू किया है। अगले दिनों में तुर्की को इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे, ऐसे संकेत कुर्दों के नेता दे रहे हैं।

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