फ्रान्स-ग्रीस समझौते को लेकर तुर्की का नाटो को इशारा – राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने दस देशों के राजदूतों को देश से बाहर खदेड़ा

इस्तंबूल – नाटो के सदस्य देशों ने उनके दायरे के बाहर जाकर गुट बनाना नाटो के लिए नुकसान देय साबित हो सकता है, ऐसा इशारा तुर्की के रक्षामंत्री हुलुसी अकार ने दिया। यह इशारा ग्रीस और फ्रान्स ने बीते महीने में किए समझौते पर होने की बात कही जा रही है। तुर्की के रक्षामंत्री नाटो को इशारे दे रहे हैं तभी राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने सात नाटो सदस्य देशों के साथ कुल १० देशों के राजदूतों को देश से बाहर निकालने के आदेश दिए है।

फ्रान्स-ग्रीसबीते कुछ वर्षों में किए गए अलग अलग सर्वेक्षणों से यह बात सामने आयी है कि, भूमध्य समुद्र में बड़ी मात्रा में र्इंधन के भंड़ार मौजूद हैं। इनमें से अधिकाधिक भंड़ारों पर कब्ज़ा करने के लिए तुर्की ने बीते वर्ष से आक्रामक गतिविधियाँ शुरू की हैं। भूमध्य समुद्र में ग्रीस और सायप्रस की सीमा में स्थित र्इंधन के भंड़ारों पर तुर्की ने अपना हक जताना शुरू किया है। तुर्की ने ‘रिसर्च शिप’ एवं युद्धपोत रवाना करके भूमध्य समुद्र में एक के बाद एक मुहिम भी चलाई थी। तुर्की की इन गतिविधियों पर आपत्ति जताकर ग्रीस ने भूमध्य समुद्र में अपनी रक्षा तैयारी बढ़ाई थी।

इसके बाद ग्रीस ने फ्रान्स, संयुक्त अरब अमीरात, इस्रायल, इजिप्ट जैसे देशों के साथ सामरिक सहयोग मज़बूत करने पर जोर दिया था। यूरोपिय महासंघ एवं नाटो के माध्यम से तुर्की पर राजनीतिक दबाव ड़ालने की कोशिश भी की थी। बीते महीने फ्रान्स के साथ किया गया गया रक्षा समझौता भी इसी का ही हिस्सा समझा जाता है। इस समझौते के अनुसार फ्रान्स ग्रीस को तीन प्रगत विध्वंसक प्रदान करेगा। इसके अलावा समझौते में ‘म्युच्युअल असिस्टन्स क्लॉज’ का भी समावेश है। इस प्रावधान के अनुसार बाहरी हमले का खतरा हो तो दोनों देश एक-दूसरे को लष्करी स्तर पर सहयोग कर सकेंगे।

फ्रान्स-ग्रीसग्रीस के इस समझौते से तुर्की काफी बेचैन हुआ है और सीधे नाटो की आलोचना शुरू कर दी है। ‘तुर्की के अलावा फ्रान्स और ग्रीस तीनों नाटो के सदस्य हैं। ऐसे में इनमें से दो देशों ने स्वतंत्र समझौता करना नाटो को नुकसान पहुँचा सकता है। इसके साथ ही द्विपक्षीय सहयोग और एक-दूसरे के विश्वास की भी क्षति हो सकती है। नाटो के दायरे के बाहर जाकर सदस्य देशों ने समझौता करना उचित नहीं होगा’, यह इशारा भी रक्षामंत्री हुलुसी अकार ने दिया है।

रक्षामंत्री अकार नाटो को चेतावनी दे रहे थे, तभी राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने नाटो के सात सदस्य देशों के साथ कुल १० देशों के राजदूतों को देश बाहर निकाल दिया है। इनमें अमरीका, फ्रान्स, जर्मनी, कनाड़ा, नेदरलैण्डस्‌, डेन्मार्क, नॉर्वे के साथ स्वीडन, फिनलैण्ड और न्यूज़ीलैण्ड का समवेश है। ओस्मान कवाला नामक उद्यमी की रिहाई की माँग को लेकर यह कार्रवाई करने की बात सामने आयी है। अमरीका के साथ अन्य देशों के राजदूतों ने कवाला की रिहाई के मुद्दे पर खुला निवेदन जारी किया था।

राजदूत ने जारी किया यह निवेदन अशिष्टता होने का दावा करके राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने इसके देश से बाहर निकालने के आदेश जारी किए हैं। विदेशमंत्री को इससे संबंधित सूचना प्रदान करने की बात भी तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने कही। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष की इस कार्रवाई के खिलाफ तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ हुई है और अमरीका एवं जर्मनी ने स्पष्ट खुलासा करने की माँग की है। तभी डेन्मार्क, नेदरलैण्ड और नॉर्वे ने तुर्की के मानव अधिकारों का मुद्दा भविष्य में भी उठाया जाएगा, ऐसा आक्रामक निवेदन किया है।

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