धर्मोपदेशक की गिरफ़्तारी के खिलाफ अमरिका के तुर्की के नेताओं पर प्रतिबन्ध

तुर्की की मुद्रा ‘लिरा’ में गिरावट

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वॉशिंग्टन – सीरिया का संघर्ष और रशिया के साथ सहकार्य इस वजह से अमरिका और तुर्की के बीच निर्माण हुआ तनाव अधिक बढ़ गया है। अमरिका की सुचना के बाद भी ख्रिस्त धर्मी ‘पास्टर एंड्रयू ब्रुन्सन’ को नजरबंदी में रखने वाले तुर्की पर अमरिका ने प्रतिबन्ध घोषित किए हैं। अमरिका के राज्यकोष विभाग ने तुर्की के कानून मंत्री और अंतर्गत रक्षा मंत्री पर प्रतिबन्ध लगाए हैं। अमरिका के इन प्रतिबंधों पर तुर्की के नेताओं ने तीव्र क्रोध व्यक्त किया है और इस्तांबुल में स्थित ‘ट्रम्प टावर’ जब्त करें, ऐसी माँग इन नेताओं ने राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन से की है।

तुर्की के कानून मंत्री अब्दुलहमित गुल और अंतर्गत रक्षा मंत्री सुलेमान सोयलू पर अमरिका के राज्यकोष विभाग ने प्रतिबन्ध लगाए हैं। व्हाईट हाउस की प्रवक्ता साराह सैंडर्स ने यह जानकारी दी है। गुल और सोयलू ने पास्टर ब्रुन्सन की गिरफ़्तारी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, इस लिए यह प्रतिबन्ध लगाया गया है, ऐसा अमरिकी राज्यकोष विभाग ने कहा है। पास्टर ब्रुन्सन की अवैध गिरफ़्तारी और उनके ऊपर लगाए गए आरोपों को कदापि मान्य नहीं किया जाएगा, ऐसा भी अमरिका ने कहा है।

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अमरिका ने लगाए इन प्रतिबंधों की तुर्की के विदेश मंत्रालय ने आलोचना की है। ‘अमरिका ने लगाए यह प्रतिबन्ध तुर्की के साथ संबंध बिगाड़ेंगे, इस विषय में आशंका नहीं है। तुर्की पर लगाए इन प्रतिबंधों को हटाकर अमरिका अपनी गलती को सुधारे। अन्यथा अमरिका की इस गैर जिम्मेदाराना कार्रवाई को तुर्की की तरफ से जरा भी विलंब किए बिना प्रत्युत्तर दिया जाएगा’, ऐसी चेतावनी तुर्की के विदेश मंत्रालय ने दी है।

तुर्की में एर्दोगन के समर्थक और ‘गुड पार्टी’ दल के सचीय एतेन सिरे ने अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष पर निशाना साधने वाली कार्रवाई करने की माँग की है। एर्दोगन इस्तांबुल में स्थित ‘ट्रम्प टॉवर’ इमारत जब्त करें और उसे ताला लगा दें, ऐसी सिरे ने माँग की है। अमरिका ने तुर्की पर लगाए इन प्रतिबंधों का असर भी दिखाई दे रहा है। अमरिका के प्रतिबंधों के डर की वजह से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तुर्की की मुद्रा ‘लिरा’ का मूल्य डॉलर की तुलना में पाँच से नीचे गिर गया है।

सन २०१६ में तुर्की में एर्दोगन की राजवट के खिलाफ लष्कर के कुछ बड़े अधिकारियों ने बगावत करने की असफल कोशिश की थी। इस बगावत में शामिल होने का और उससे जुड़ने का आरोप लगाकर एर्दोगन ने १० हजार से अधिक लोगों की गिरफ़्तारी के आदेश दिए थे। इसमें तुर्की में २० साल सी अधिक समय से रह रहे ख्रिस्त धर्मी ‘पास्टर एंड्रयू ब्रुन्सन’ का भी समावेश था।

तुर्की की एर्दोगन राजवट को गिराने के लिए ब्रुन्सन ने विरोधकों की सहायता करने का आरोप लगाया गया था। पिछले हफ्ते में ही उनको नजरबंदी में रखा गया था। लेकिन ब्रुन्सन की गिरफ़्तारी अवैध होने का दावा अमरिका कर रहा है। पिछले हफ्ते में अमरिका ने आयोजित किए ‘मिनिस्टीरियल फॉर इंटरनेशनल रिलिजिअस फ्रीडम’ परिषद में अमरिका के उपराष्ट्राध्यक्ष माईक पेन्स और विदेश मंत्री माईक पॉम्पिओ ने ब्रुन्सन की रिहाई की माँग की थी। साथ ही तुर्की धार्मिक स्वतंत्रता नकार रहा है, ऐसी आलोचना भी की थी।

अमरिका की माँग को मान्य करके ब्रुन्सन को रिहा नहीं किया गया तो तुर्की पर व्यापक आर्थिक प्रतिबन्ध लगाने की चेतावनी ट्रम्प ने दी थी। एर्दोगन ने अमरिका के प्रतिबंधों से तुर्की नहीं डरता ऐसा कहकर अमरिका तुर्की जैसा इमानदार सहकारी गँवा देगा, ऐसी एर्दोगन ने चेतावनी दी थी। नाटो के सदस्य देशों में निर्माण हुए इस तनाव पर चिंता व्यक्त की जा रही थी।

दौरान, अमरिका के विदेश मंत्री माईक पॉम्पिओ और तुर्की के विदेश मंत्री मेवलूत कावूसोग्लू के बीच आने वाले कुछ घंटों में विशेष बैठक पूरी होने वाली है। इस बैठक में दोनों देशों के बीच तनाव और पास्टर ब्रुन्सन की रिहाई के मामले में उपाय निकलेगा, ऐसा दावा किया जा रहा है।

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