तुर्की तीन दिनों में युरोप पर कब्ज़ा कर सकता है – तुर्की के दैनिक का दावा

इस्तंबुल: तुर्की तीन दिनों में युरोप पर कब्ज़ा कर सकता है, ऐसा सनसनी मचानेवाला  दावा तुर्की के एर्दोगन सरकार से जुड़े अख़बार ने किया है। ‘स्ट्रैटफोर’ इस अमरिकी वेबसाइट के प्रमुखों ने सन २०१६ में किये वक्तव्य तथा ‘गैलप पोल’ इस संगठन ने किये सर्वेक्षण का आधार लेते हुए तुर्की के ‘येनी सोझ’ इस दैनिक ने प्रस्तुत दावा किया है।

पिछले कुछ महीनों से तुर्की और युरोप के प्रमुख देशों में विविध मुद्दों पे विवाद शुरू रहते यह नया दावा उसी का ही एक भाग होने का मानना है।

युरोप पर कब्ज़ातुर्की के ‘येनी सोझ’ दैनिक ने अपने पहले पन्ने पर ‘तुर्की तीन दिनों में युरोप पर कब्ज़ा कर सकता है’ ऐसी हेडलाईन के साथ वृत प्रसिद्ध किया है। इसमें अमरीका के ‘स्ट्रैटफोर’ वेबसाईट के प्रमुख जॉर्ज फ्राईडमन के वक्तव्य का आधार लिया गया है। ‘तुर्की जर्मनी को एक दिन में पराजित कर सकती है और यदि फ्रान्स ने संघर्ष के लिए खड़े रहने का धैर्य दिखाया तो फ्रान्स को भी तुर्की एक घंटे में मात दे सकता है, ऐसा जॉर्ज फ्राईडमन ने कहा था’, इन शब्दों में तुर्की दैनिक ने युरोपीय देशों को धमकाने का प्रयास किया है।

फ्राईडमन के व्यक्तव्य के साथ ही ‘गैलप पोल’ इस संघटन ने किये सर्वेक्षण का भी उपयोग किया गया है। ‘क्या आप अपने देश के लिए लड़ने को तैयार है?’ इस मुद्दे पर सर्वेक्षण किया गया था। उसमें तुर्की के ७३ प्रतिशत नागरिकों ने वे तैयार होने का अभिमत सुचित किया था। युरोपियन के औसत २५ से ३० प्रतिशत नागरिकों ने लड़ने की तैयारी दर्शायी थी। उसमें भी जर्मनी के केवल १८ प्रतिशत तो फ्रान्स में केवल २१ प्रतिशत नागरिकों ने लड़ने की तैयारी दर्शाई थी।

इस सर्वेक्षण का आधार लेकर युरोपीय देशों ने संघर्ष के पूर्व ही ‘सफ़ेद निशान’ उठा लेने का दावा तुर्की के दैनिक ने किया है। जर्मनी को उसके नागरिकों ने असहाय कर देने का बताकर तुर्की ने सुबह युद्ध शुरू किया तो श्याम की प्राथना जर्मनी के राष्ट्रपति के निवास्थान पर कर लेंगे, ऐसी प्रतिकारक टिका ‘येनी सोझ’ ने अपने वृतांत में की है।

तुर्की दैनिक ने किये इस दावे तथा सनसनीखेज विधान का तुर्की और युरोप के बीच शुरू विवाद का भाग बन जाने का माना जा रहा है। पिछले कुछ महीनों से युरोपियन महासंघ तथा तुर्की के दौरान लगातार मतभेद हो रहे है।  तुर्की में रेसेप एर्दोगन के विरोध में असफल रहे बंड और उसके पश्चात तुर्की प्रशासन में शुरू कारवाहीयों की पृष्ठभूमि पर यह मतभेद अधिक तीव्र होते जाने का नज़र आ रहा है।

तुर्की में हुए आम सहमति के पृष्ठभूमि पर जर्मनी के साथ कुछ युरोपियन देशों ने भी तुर्की नेताओं की सभा लेनें की अनुमति अस्वीकार कर दी थीं। उसके बाद तुर्की सरकार ने अपने सुरक्षा अड्डे को भेट देने आए जर्मनी के नेतओं को रोका था। जर्मनी ने इस बात पर आक्रमक होकर तुर्की में स्थित अपने अड्डे को स्थलांतरित करने का निर्णय लिया था। उसके बाद एक जर्मन नागरिक को तुर्की ने दहशतवाद के आरोप में गिरफ्तार करने की जानकारी सामने आई थी।

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने उनके विरोध में लष्करी बंड असफल होने पर अत्यंत आक्रामक भूमिका लेने की शुरुवात की है। तुर्की में आम सहमति लेकर अधिनायकत्व स्थापित करने के प्रयत्न जारी होते हुए राष्ट्रपति रेसेप एर्दोगन ने तुर्की को युरोप महासंघ के सद्स्यत्वा की ज़रुरत न होने का ऐलान किया है। कुछ दिन पहले ही तुर्की के राष्ट्रपति ने युरोप यह एक ‘निरंतर खस्ताहाल’ होने वाला खंड है, ऐसे शब्दों में विवरण किया था। तुर्की सरकार के करीब होने वाले दैनिक ने किये प्रतिकारक दावे, एर्दोगन के द्वारा युरोप पर किये जाने वाले आरोपों का अगला पड़ाव होने का प्रस्तुत हो रहा है।

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