ट्रम्प ७० दिनों के मेहमान, लेकिन ईरान की हुकूमत कायम रहेगी – खाड़ी देशों को ईरान ने धमकाया

तेहरान – अमरीका के चुनाव में राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प की हार होने की खबरें माध्यमों में जारी होने से खुश हुए ईरान ने अरब देशों को धमकाना शुरू किया है। ‘७० दिनों बाद ट्रम्प अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष नहीं रहेंगे। लेकिन, ईरान की हुकूमत कायम रहेगी। सुरक्षा के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना, यह अच्छी चाल नहीं होती’, ऐसें तीखें शब्दों में ईरान के विदेशमंत्री जावेद ज़रिफ ने खाड़ी देशों को धमकाया है। साथ ही, अपनी ईरान विरोधी भूमिका में बदलाव नहीं किया, तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे, यह चेतावनी भी ज़रिफ ने दी है।

अमरीका में राष्ट्राध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में डेमोक्रैट पार्टी के ‘जो बिड़ेन’ की बड़ी जीत होने की जानकारी प्रकाशित हुई है। अगले वर्ष जनवरी महीने में बिडेन राष्ट्राध्यक्ष पद की शपथ ग्रहण करेंगे। बिडेन के चयन का ईरान ने प्रत्यक्ष स्वागत नहीं किया है। लेकिन, ट्रम्प की हार होने का वृत्त प्राप्त होने के बाद ईरान ने, अमरीका के साथ सहयोग बढ़ा रहें अरब देशों को चेतावनी दी है। लैटिन अमरिकी देशों का दौरा करके लौटें ईरान के विदेशमंत्री जावेद ज़रिफ ने, सोशल मीडिया में जारी की पोस्ट में अरब देशों का ठेंठ ज़िक्र किए बिना धमकाया है।

अमरीका का ज़िक्र ‘बाहरी देश’ ऐसा करके, अपनी सुरक्षा के लिए अमरीका की सहायता प्राप्त करके अरब देशों ने जुआँ खेला है, यह आरोप विदेशमत्री ज़रिफ ने किया। लेकिन अरब देशों का यह जुआँ काम में नहीं आएगा, यह बयान भी ईरान के विदेशमंत्री ने किया है। ‘पड़ोसी देश चर्चा के माध्यम से, ईरान के साथ होनेवाले मतभेद कम करने के लिए पहल करें। एक हुए तो ही हम एक उज्वल भविष्य बना सकेंगे’, यह संदेश विदेशमंत्री ज़रिफ ने दिया है। खाड़ी देशों ने अमरीका के साथ जारी सहयोग छोड़कर यदि ईरान से मेल-मिलाप नहीं किया, तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे, ऐसा सूचक संदेश ज़रिफ ने दिया हुआ दिख रहा है।

ईरान के विदेश मंत्रालय ने भी अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के खिलाफ आलोचना करके खाड़ी देशों को स्पष्ट शब्दों में धमकाया हैं। ‘बीते कुछ वर्षों में ट्रम्प प्रशासन ने काफी गलत निर्णय किए हैं। ईरान पर अधिक से अधिक दबाव बढ़ाने की अमरीका की कोशिश नाकाम हुई है’, ऐसी आलोचना ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतिबज़ादे ने की है। वहीं, अमरीका के सहयोग पर बड़ी मात्रा में निर्भर रहनेवाले अरब देश भी ईरान से सहयोग करें, ऐसा खतिबज़ादे ने जताया है।

इसी बीच, जो बिडेन अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष होने के बाद ट्रम्प प्रशासन से भी अलग नीति स्वीकारेंगे और सौदी तथा अन्य खाड़ी देशों के साथ जारी सुरक्षा संबंधित सहयोग तोड़ देंगे, ऐसा ईरान सोच रहा है। साथ ही बिडेन का प्रशासन ईरान के साथ नए से परमाणु समझौता करेगा, यह विश्‍वास भी ईरान रख रहा है। ईरान से प्राप्त हो रहीं प्रतिक्रियाओं से यही बात दिख रही है। लेकिन, पूर्व राष्ट्राध्यक्ष ओबामा की तरह ही बिडेन ने भी राष्ट्राध्यक्ष होते ही ईरान के बारे में ऐसा निर्णय किया, तो इस्रायल के साथ सौदी अरब और अन्य खाड़ी देश तीखीं प्रतिक्रिया दर्ज़ किए बिना नहीं रहेंगे। इससे खाड़ी क्षेत्र में अमरीका के हितसंबंधों को खतरा बन सकता है।

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