चीन के खिलाफ़ भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया की व्यापारी एकता

नई दिल्ली – चीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने के लिए और चीनी उत्पादनों पर निर्भरता को घटाने के लिए भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया एक हुए हैं। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उत्पाद और उत्पादनों से संबंधित आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) तैयार करने के लिए भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया स्वतंत्र नेटवर्क स्थापित कर रहे हैं। इस मोर्चे पर अब तक अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उत्पादनों की आपूर्ति करनेवाले क्षेत्र में चीन का वर्चस्व रहा है। लेकिन, अब विश्‍व को अधिक विश्‍वासर्ह ‘सप्लाई चेन’ की ज़रूरत होने की बात कहकर विश्व उत्पादन का केंद्र भारत में स्थानांतरित करने की तैयारी शुरू हुई हैं। इसके लिए भारत तैयार है, यह संदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में दिया था।

Japan-india-australiaभारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्रियों की दो दिन पहले ही वर्च्युअल बैठक हुई। इस दौरान तीनों देशों के बीच इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में ‘सप्लाई चेन’ तैयार करने पर सहमति हुई। चीन पर बनी निर्भरता कम करना ही इस बैठक का उद्देश्‍य था। जापान ने यह प्रस्ताव पेश किया। मुक्त माहौल में पारदर्शी व्यापार और निवेश करने का मुख्य ध्येय इन तीनों देशों ने अपने सामने रखा है। इस वर्ष के अन्त तक इन तीनों देशों के बीच सप्लाई चेन शुरू होगी, ऐसा कहा जा रहा है। कोरोना वायरस का संकट और विश्‍वभर में तेज़ी से बदलती गतिविधियों की वज़ह से यह ‘सप्लाई चेन’ तैयार करने की आवश्‍यकता थी, यह बात इन तीनों देशों के निवेदन में कही गई है।

अगला ‘एक्सपोर्ट हब’ यानी विश्व निर्यात का केंद्र भारत बन सकता है, यह बयान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले ही किया था। लेकिन, ‘ग्लोबल सप्लाई चेन’ का निर्माण विश्‍वास की नींव पर हो, यह कहकर भारत ही विश्‍व के लिए अधिक विश्‍वसनीय विकल्प होने की बात प्रधानमंत्री ने कही थी। उनके इस आवाहन पर रिस्पान्स प्राप्त हो रहा है और जापान ने भी चीन में मौजूद अपनी कंपनियां भारत में स्थानांतरित करने के लिए तेज़ कदम उठाना शुरू किए हैं। चीन में कार्यरत कारखाने भारत में स्थानांतरित कर रही अपनी कंपनियों के लिए जापान सरकार ने विशेष अनुदान घोषित किया है। इससे पहले तीन महीनों के लिए जापान ने ऐसा ही ऐलान किया था।

Japan-india-australiaइंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन अपने लष्करी सामर्थ्य का प्रदर्शन करके अशांति और अस्थिरता फैला रहा है। इसके पीछे मौजूद चीन की आर्थिक ताकत काफी अहम होने का एहसास इस क्षेत्र के प्रमुख देशों को हुआ है। इसी कारण चीन की आर्थिक घेराबंदी करने के लिए भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमरीका एक हुए हैं। फ्रान्स और जर्मनी भी अपनी चीन से संबंधित भूमिका बदलने के संदेश दे रहे हैं। नज़दिकी दौर में इसके बड़े लाभ भारत को प्राप्त हो सकते हैं।

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