अफगानिस्तान के ‘आईएस’ को रोकने के लिए – रशिया, चीन, ईरान और पाकिस्तान का सहकार्य

इस्लामाबाद: रशिया, चीन, ईरान और पाकिस्तान के वरिष्ठ गुप्तचर अधिकारियों की बैठक पाकिस्तान में पूरी हुई है। अफगानिस्तान में विस्तार कर रहे आईएस इस आतंकवादी संगठन को रोकने के लिए यह बैठक आयोजित की गई थी और इन देशों का इस पर एकमत हुआ है। लेकिन अफगानिस्तान के जिस इलाके में आईएस का विस्तार हो रहा है, उस अफगानिस्तान के सरकार को ही इस बैठक में शामिल नहीं किया गया था, यह बात विश्लेषकों का ध्यान खींच रही है।

आईएस, रोकने, अफगानिस्तान, रशिया, चीन, ईरान, पाकिस्तान, सहकार्यपिछले कुछ महीनों से अफगानिस्तान में हो रही घटनाओं का महत्व बढ़ रहा है। अमरिका और रशिया अफगानिस्तान में चल आतंकवाद को लेकर आरोप प्रत्यारोप कर रहे हैं। रशिया तालिबान को मदद करके अफगानिस्तान में अस्थिरता फैला रहा है, ऐसा अमरिका ने आरोप किया था। इसे प्रत्युत्तर देते समय रशिया ने उल्टा अमरिका पर ही तालिबान को मदद करने का आरोप लगाकर, अमरिका और नाटो की वजह से अफगानिस्तान में नशिली दवाइयों का व्यापार बढने का ताना मारा था।

इस पृष्ठभूमि पर, पाकिस्तान में यह बैठक पूरी हुई है। इस बैठक में इराक और सीरिया से अफगानिस्तान में दाखिल होने वाले आईएस के आतंकवादियों को रोकने पर रशिया, चीन, ईरान और पाकिस्तान के बीच एकमत हुआ है। अफगानिस्तान में आईएस को दाईश नामसे पहचाना जाता है। अफगानिस्तान के ३४ प्रान्तों में नौ प्रान्तों में आईएस के १०००० आतंकवादी सक्रिय होने की जानकारी रशियन गुप्तचर संस्था ने दी है। अफगानिस्तान के उत्तरी इलाके में आईएस के आतंकवादियों का प्राबल्य है और अपना वर्चस्व बढ़ाकर मध्य एशियाई देशों में आतंक फैलाने का षडयंत्र आईएस ने रचा है, ऐसा राशियन गुप्तचर संस्था का कहना है।

आईएस, रोकने, अफगानिस्तान, रशिया, चीन, ईरान, पाकिस्तान, सहकार्यपाकिस्तानी गुप्तचर संगठन के अधिकारियों ने भी अफगानिस्तान में अपना अड्डा बनाकर आईएस पाकिस्तान में आतंक फ़ैला रहा है, ऐसा आरोप किया है। अफगानिस्तान के पास वाले ईरान को भी आईएस से बहुत बड़ा खतरा संभव है, ऐसा ईरान के गुप्तचर अधिकारियों का कहना है। इसीलिए आईएस को रोकने के लिए रशिया, चीन, ईरान और पाकिस्तान के गुप्तचर अधिकारियों ने दाईश के सन्दर्भ में अपनी जानकारी का हस्तांतरण करने की घोषणा की है। दौरान, दाईश अथवा आईएस यह अलग आतंकवादी संगठन न होकर तालिबान से बाहर निकले समूह आईएस के नामपर आतंकवादी हमले कर रहे हैं, ऐसे दावे किए जा रहे हैं।

तालिबान का प्रमुख मुल्ला ओमर के बाद तालिबान के बहुत से समूह बाहर निकले हैं और इसमें से कुछ समूह आईएस में शामिल हुए हैं, ऐसा कहा जाता है। इसीलिए अफगानिस्तान में आईएस का वर्चस्व बढ़ गया है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। साथ ही तालिबान के यह समूह अपना विश्वासघात करने वाले पाकिस्तान को मुख्य दुश्मन मानते हैं, यह बात भी सामने आई थी। लेकिन ऐसा होते हुए भी रशिया, चीन, ईरान और पाकिस्तान की इस बैठक में अफगानिस्तान और भारत की अनुपस्थिति इन देशों की अलग चाल का संकेत देती है।

इसके पहले भी रशिया ने अफगानिस्तान विषयक बैठक का आयोजन किया था और इस बैठक में अफगानिस्तान को ही शामिल करने से इन्कार किया था। इस पर अफगानिस्तान की सरकार ने असंतोष व्यक्त किया है। साथ ही भारत ने भी रशिया तालिबान और पाकिस्तान के साथ कर रहे सहकार्य पर नाराजगी जताई थी।

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