‘हायड्रोकार्बन’ का उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ‘ओएनजीसी’, ‘ऑईल इंडिया’ के ईंधन भंड़ारों का लिलाव करेगी – केंद्रीय पेट्रोलियममंत्री धर्मेंद्र प्रधान

धर्मेंद्र प्रधाननई दिल्ली – देश में ईंधन का उत्पादन बढ़ाने के लिए ‘ओएनजीसी’ और ‘ओआयएल’ इन सरकारी ईंधन कंपनियों के बड़े ईंधन क्षेत्र की नीलामी की जाएगी। छोटे ईंधन क्षेत्र के तीसरे चरण की नीलामी की रविवार से शुरूआत हुई। इस दौरान केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इससे संबंधित ऐलान किया। ओएनजीसी और आयओएल जैसी कंपनियाँ अपने खोजे भंड़ारों पर अनिश्‍चित समय तक निष्क्रीय बैठी नहीं रह सकेंगी। यह भंड़ार देश की संपत्ति है और इसे नीलामी के माध्यम से इस्तेमाल में लाया जाएगा, ऐसा केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा।

३२ ईंधन तेल एवं वायु भंड़ारों के ‘डिस्कवर्ड स्मॉल फील्ड’ (डीएसएफ) राउंड-३ के तहत नीलामी की शुरूआत हुई है। ईंधन और तेल के यह भंड़ार ‘ओएनजीसी’ और ‘ओआयएल’ के हैं। देश की इन अग्रीम कंपनियों ने ही इसकी खोज की है। लेकिन, इनका ईंधन क्षेत्र छोटा होने से वहां पर खनन और विकास करना इन कंपनियों को आर्थिक नज़रिये से लाभदायी ना होने का अहसास है। इस वजह से ऐसे क्षेत्रों की ‘डीएएफ’ के तहत नीलामी की जा रही है, यह जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रधान ने साझा की।

लेकिन, अगली प्रक्रिया में ‘डीएएफ’ यानी छोटे ईंधन भंड़ारों की नीलामी नहीं होगी बल्कि बड़े ईंधन क्षेत्र नीलामी के तहत उपलब्ध किए जाएँगे, यह बात प्रधान ने इस दौरान रेखांकित की। ‘डायरक्टोरेट जनरल ऑफ हायड्रोकार्बन’ (डीजीएच) को इस तरह से नीलामी करना संभव होनेवाले बड़े ईंधन भंड़ारों की पहचान कराने के सभी अधिकार दिए गए हैं। ईंधन संपत्ति पर कंपनियों का मालिकाना हक नहीं होता, बल्कि यह हक देश का होता है। यदि ऐसी संपत्ति का इस्तेमाल करना मुमकिन नहीं होता है तो हमें नई व्यवस्था आगे लानी पड़ेगी, यह बात प्रधान ने स्पष्ट की।

धर्मेंद्र प्रधानइस वजह से खोजे हुए ईंधन क्षेत्र में किसी भी तरह से उत्पादन ही होता है तो ऐसे ईंधनक्षेत्र नीलामी के माध्यम से अन्य कंपनियों के लिए ईंधन उत्पादन करने के लिए दिए जाएंगे, ऐसा प्रधान ने कहा। चलती का नाम गाड़ी, यह नज़रिया अब नहीं चलेगा। हमें साहसी निर्णय करने ही होंगे। खास तौर पर इस्तेमाल ना होनेवाली संपत्ति का इस्तेमाल करने के लिए सरकारी ईंधन कंपनियों को ऐसी संपत्ति को इस्तेमाल में लाने के लिए निर्णय करने होंगे।

देश की ८५ प्रतिशत ईंधन की ज़रूरत ईंधन के आयात से पूरी करनी पड़ रही है। इस वजह से देश में मौजूद ईंधन संपत्ति को अधिक समय तक निष्क्रीय रखना लाभदायी नहीं होगा। ईंधन कंपनियाँ ऐसे ईंधन क्षेत्रों पर हमेशा के लिए बैठी नहीं रह सकतीं, ऐसे तीखे शब्दों में उन्होंने सरकारी कंपनियों को सुनाया।

इसी बीच रविवार से छोटे ईंधन क्षेत्र की नीलामी शुरू हुई और इनमें से ११ क्षेत्र तटीय इलाकों में हैं और २० तट से कुछ दूरी पर समुद्र में मौजूद हैं। इनमें से एक ईंधन क्षेत्र गहरे समुद्र में है। नीलामी हो रहे इस ईंधन क्षेत्र में कुल २३ करोड़ टन ईंधन भंड़ार एवं गैस मौजूद होने की बात कही जा रही है। इससे पहले वर्ष २०१६ के पहले चरण में १६ ‘डिस्कवर्ड स्मॉल फील्ड’ (डीएसएफ) की नीलामी की गई थी और २०१८ में ५४ छोटे ईंधन क्षेत्रों की नीलामी प्रक्रिया हुई थी।

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