‘लष्कर’ के तीन आतंकवादी अमरिका की वैश्विक आतंकवादियों की सूचि में

वॉशिंग्टन: भारत में आतंक फ़ैलाने वाला पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन ‘लष्कर-ए-तोएबा’ के तीन आतंकवादियों का समावेश अमरिका ने वैश्विक आतंकवादियों की सूचि में किया है। इसमें लष्कर का कमांडर अब्दुल रेहमान अल-दाखिल का समावेश है और वह दस साल तक अमरिका की कैद में था। सन २०१४ में उसे अमरिका ने पाकिस्तान को सुपुर्द किया था। लेकिन दो सालों में ही उसे पाकिस्तान ने खुला छोड़ दिया और दाखिल जम्मू-कश्मीर के ‘लष्कर’ का कमांडर बना था। अमरिका ने दाखिल को वैश्विक आतंकवादियों की सूचि में डालने की वजह से पाकिस्तान पर दबाव बढ़ने वाला है।

अमरिका के ट्रेजरी ऑफिस ऑफ़ फॉरेन असेट कण्ट्रोल (ओएफसी) विभाग ने लष्कर के और तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को वैश्विक आतंकवादियों की सूचि में डाला है। अमरिका के विदेश मंत्रालय ने यह घोषणा की है। दाखिल के साथ साथ हमिद उल हसन और अब्दुल जब्बार इन लष्कर के आतंकवादियों को भी इस सूचि में डाला गया है।

लष्कर, तीन आतंकवादी, अमरिका, वैश्विक आतंकवादियों, सूचि, वॉशिंग्टन, भारतअब्दुल रेहमान भारत में किए गए कई आतंकवादी हमलों के षडयंत्र में शामिल था और अभी भी वह भारत के खिलाफ कार्रवाई करने में व्यस्त है। सन १९९७ से २००१ के दौरान भारत में हुए आतंकवादी हमलों में उसका हाथ था। उसके बाद वह इराक में आतंकवादी कार्रवाइयों में शामिल हो गया। सन २००४ में इराक में तैनात ब्रिटिश सैनिकों ने अब्दुल रेहमान को पकड़ा और अमरिका को सौंपा। सन २०१४ तक वह अमरिका के कब्जे में रहा। उसे इराक और अफगानिस्तान के कारावास में रखा गया था। उसके बाद उसे पाकिस्तान को सौंपा गया।

लेकिन पाकिस्तान ने सन २०१६ को अब्दुल रेहमान को रिहा कर दिया। उसके बाद वह लष्कर में सक्रीय हो गया। उसे जम्मू-कश्मीर में लष्कर का वरिष्ठ कमांडर बनाया गया। वर्तमान में वह लष्कर का वरिष्ठ कमांडर है। अब्दुल रेहमान की आतंकवादी कार्रवाईयां और उसके लिए मिलने वाली आर्थिक सहायता रोकने के लिए उसे वैश्विक आतंकवादियों की सूचि में डाला गया है, ऐसा अमरिका ने कहा है।

रहमान के साथ साथ इस सूचि में डाले गए जब्बार और हसन यह दोनों लष्कर की आतंकवादी कार्रवाइयों के लिए फंड जमाने का काम करते हैं। लष्कर से संलग्न आतंकवादी संगठन ‘फलाह-ये-इंसानियत फाउंडेशन’ के नाम के तहत लष्कर की आतंकवादी कार्रवाइयों के लिए यह पैसा जमा किया जाता है। ‘फलाह-ये-इंसानियत फाउंडेशन’ इस संगठन पर सन २०१२ में ही संयुक्त राष्ट्रसंघ ने पाबन्दी लगाई थी। हसन ट्विटर पर भी सक्रीय है और इसमें उसका हाफिज सईद के जमात उल-दावा के नेता के तौर पर खुद का उल्लेख किया है। यह दोनों सन २००० से लष्कर के लिए फंड जमा करने का कम कर रहे हैं।

दौरान इसके पहले अमरिका ने पाकिस्तान के कई आतंकवादियों को वैश्विक आतंकवादियों की सूचि में डाला है। इसमें लष्कर का प्रमुख हाफिज सईद, झकिऊर रहमान लखवी का भी समावेश है। साथ ही इन आतंकवादियों को संयुक्त राष्ट्रसंघ ने भी वैश्विक आतंकवादी करार दिया है। ऐसा होते हुए यह आतंकवादी पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं और आतंकवादी हमले की धमकियां दे रहे हैं। साथ चुनावों में शामिल हो रहे हैं।

आतंकवादियों की आर्थिक सहायता करने वाले पाकिस्तान को पिछले महीने में ही ‘फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स’ (एफटीएफ) की ग्रे सूचि में डाला है। पाकिस्तान आतंकवादियों को मिलने वाले पैसों पर रोक नहीं लगा पाया, तो पाकिस्तान का नाम काली सूचि में भी डाला जा सकता है। इस वजह से अर्थव्यवस्था डूबने की कगार पर खड़े पाकिस्तान को कर्ज मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। इस वजह से पाकिस्तान पर आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दबाव बढ़ रहा है।

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