‘वुहान डायरी’ की लेखिका को जान से मार देने की चीन में से धमकियाँ

वुहान – कोरोनावायरस का उद्गमस्थान होनेवाले वुहान के लॉकडाउन का सच दुनिया के सामने प्रस्तुत करनेवालीं चिनी लेखिका ‘फँग फँग’ को जान से मार देने की धमकियाँ मिल रहीं हैं। फँग की ‘वुहान डायरी’ पश्चिमी देशों में प्रकाशित होनेवाली है और इसी कारण उन्हें ये धमकियाँ मिलने लगीं हैं। चीन ने जानबूझकर वुहान की परिस्थिति छिपाकर रखी होने का आरोप आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर से तीव्र होता जा रहा है। इस पार्श्वभूमि पर फँग की ‘वुहान डायरी’, अब तक दुनिया के सामने ना आयीं हुईं बातें उजागर करके चीन पर का दबाव प्रचंड मात्रा में बढ़ा सकता है। इसका एहसास हुआ होने के कारण चीन द्वारा फँग फँग को धमकाया जा रहा दिखायी दे रहा है।

‘फँग फँग’ इस नाम से लेखन करनेवालीं चीन की बड़ी लेखिका होकर, सन २०१० में उन्हें देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार ने सम्मानित किया गया था। चीन में उनका एक वाचकवर्ग भी है। २३ जनवरी को चीन सरकार ने वुहान शहर में लॉकडाउन लागू किया। फँग ये वुहान की नागरिक होने के कारण उन्होंने ‘ऑनलाईन जर्नल’ के माध्यम से इस लॉकडाउन की दैनंदिनी लिखना शुरू किया। इसमें फँग ने, लॉकडाउन के समय का वुहान शहर, वैद्यकीय सुविधाएँ, चिनी पुलीस की कार्रवाई और अपने मित्रों के अनुभव इस जर्नल के माध्यम से दुनिया के सामने प्रस्तुत किये थे।

मानवी संसर्ग से कोरोनावायरस का फैलाव होता है, इसके बारे में वुहान के डॉक्टर्स ने अपने वरिष्ठों को बहुत पहले ही इत्तिला की थी। फिर भी इस संदर्भ में कोई भी कदम उठाया नहीं गया और चीन की हुक़ूमत ने वुहान की जनता को इस बारे में सचेत नहीं किया, ऐसा अपने एक डॉक्टरमित्र ने बताया, ऐसा फँग ने अपनी पोस्ट में कहा था। वैसे ही १३ फ़रवरी को फँग ने लिखा हुआ, वुहान की दफ़नभूमि का विदारक सत्य दुनिया को दहला देनेवाला था। एक डॉक्टर ने भेजे हुए फोटो में, दफनभूमि में लाशों के और उनके मोबाईल फोन्स के ढ़ेर लगे पड़े दिख रहे थे।

१७ फ़रवरी की पोस्ट में वुहान शहर पर बड़ी आपत्ति टूट पड़ी होने का दावा फँग ने किया था। शहर के अस्पतालों में हर दिन मृत्युपत्र की एक पुस्तिका इस्तेमाल की जा रही थी। उसीके साथ, लाशों से भरीं रुग्णवाहिकाएँ दफनभूमि से वैसे ही वापस लौट रहीं थीं, ऐसा फँग ने लिखा था। क्योंकि दफनभूमि में शवों के लिए जगह ही बची नहीं थी, ऐसा फँग ने लिखा था। साथ ही, शहर के अस्पताल कोरोनावायरस के मरीज़ों से भरे होकर, कुछ अस्पतालों ने मरीज़ों का स्वीकार करने से इन्कार किया था। मास्क की अपर्याप्तता, वैद्यकीय सामग्री और ‘पीपीई’ का अभाव इसपर भी फँग ने लिखा था।

शुरू शुरू में फँग की पोस्ट्स् को अच्छी दाद मिल रही थी। लेकिन बाद में फँग की पोस्ट्स् डिलिट की गयीं। चीन के सोशल मीडिया में होनेवाला उनका अकाउंट भी बंद कर दिया गया था। स्थानिक मीडिया से बात करते समय फँग ने यह जानकारी दी। फँग के चिनी माध्यम में होनेवालीं ये पोस्ट्स् हालाँकि डिलिट हुए है, लेकिन पश्चिमी माध्यमों ने उनकी दखल ली होकर, अमरीका और जर्मनी के दो वितरकों ने फँग की ‘वुहान डायरी’ इस ऑनलाईन जर्नल की पुस्तक प्रकाशित करने की घोषणा की है।

इस घोषणा के साथ फँग को धमकियाँ मिलने लगीं हैं। चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत के समर्थकों ने फँग को जान से मार देने की धमकी दी होकर, इस धमकीं के पोस्टर वुहान शहर में लगाये गए हैं। अपनी तथा अपने परिजनों की जान को ख़तरा होने की चिंता फँग ने ज़ाहिर की है। चीन सरकार ने उसपर प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन ‘ग्लोबल टाईम्स’ इस चिनी मुखपत्र ने फँग पर ही आलोचना की बौछार की है। फँग का लेखन चीनविरोधी देशों को बढ़ावा देनेवाला साबित होगा, ऐसी आलोचना इस मुखपत्र ने की है।

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