जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को पाकिस्तान से ख़तरा होने का प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री का दावा

जम्मू, दि. १० (वृत्तसंस्था)- पिछले दो महीनों से जम्मू-कश्मीर में शुरू हिंसक प्रदर्शनों के पीछे रहे अलगाववादी नेताओं की जान को ख़तरा है, ऐसे प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंग ने कहा है| पाकिस्तान अलगाववादी नेताओं पर हमला करके उसका इल्ज़ाम भारत पर थोंपना चाहता है| इसी कारण अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा बढ़ा दी गई है, ऐसा सिंग ने स्पष्ट किया|

 पाकिस्तानजम्मू-कश्मीर में हिंसक प्रदर्शन अब भी शुरू हैं| शनिवार को हुए प्रदर्शनों के दौरान दो लोगों की मृत्यु हुई| टुकरू में रक्षादलों पर पत्थर फेंकनेवाले हिंसक जमाव पर क़ाबू पाने के लिए टीअरगैस का इस्तेमाल किया गया| उस समय दो लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी| इससे जम्मू-कश्मीर में पिछले दो सालों से जारी हिंसा में मरनेवालों की संख्या ७५ तक पहुँची है| इस राज्य की हिंसा के लिए ज़िम्मेदार रहनेवाले अलगाववादी नेताओं के खिलाफ़ पूरा देश में गुस्से की लहर आयी हुई है|

साथ ही, इन अलगाववादी नेताओं ने भारतीय सांसदो से चर्चा करने के लिए इन्कार करते हुए उनका अपमान किया था| इसपर केंद्र सरकार द्वारा तीव्र प्रतिक्रिया दी जा रही है| जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती ने अलगाववादी नेताओं की जमकर  आलोचना की| ऐसे अलगाववादी नेताओं को सुरक्षा प्रदान कर भारत सरकार उनकी यात्रा पर भी खर्च कर रही है| इसपर  पुरे देश में से गुस्सा ज़ाहिर किया जा रहा है|

केंद्र सरकार इन अलगाववादी नेताओं को सबक सिखाने की कोशिश में है, यह ख़बर भी प्रकाशित हो रही है| लेकिन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा कम नहीं हो सकती, यह जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंग ने दी| पाकिस्तान के समर्थन में और भारत के खिलाफ़ नारे देनेवाले इन अलगाववादी नेताओं को पाकिस्तान से ही खतरा है| इन अलगाववादी नेताओं पर हमला कर पाकिस्तान इसके लिए भारत को ज़िम्मेदार क़रार दे सकता है| मौलवी फारूक से लेकर अब्दुल गनी तक के कश्मिरी नेताओं के बारे में भी ऐसा ही हुआ था, इसपर जितेंद्र सिंग ने ग़ौर फ़रमाया| इसी कारण जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की ज़िम्मेदारी सरकार को लेनी पडती है, ऐसे सिंग ने कहा|

इसी दौरान, जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सैनिक तैनात किये गये हैं| इस समय जम्मू-कश्मीर का माहौल खराब है| अतिरिक्त जवानों की तैनाती इस राज्य की परिस्थिति को क़ाबू में लाने के लिए हो रही है, ऐसे आरोप लगाये जा रहे हैं| लेकिन यह अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती, घुसपैंठ रोकने के लिए और सीमारेखा सुरक्षित रखने के लिए की गई है, ऐसे रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने स्पष्ट किया| जब तक स्थानिक प्रशासन मदद की माँग नहीं करता, तब तक सेना इस राज्य की अंतर्गत सुरक्षा में हस्तक्षेप नहीं करेगी, ऐसा रक्षामंत्री पर्रीकर ने कहा|

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