‘ईरान-चीन’ हाथ मिलाने से अमरिका के लिए सायबर हमले का खतरा – माध्यमों का दावा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरवाशिंग्टन/तेहरान/बीजिंग – अमरिका की तानाशाही और प्रतिबंधों को जवाब देने के लिए सायबर क्षेत्र में हाथ मिलाने के संकेत ईरान और चीन ने दिए है| पीछले कुछ दिनों में दोनों देशों में हुई बैठक और इस दौरान किए वक्तव्य इसी दिशा के संकेत दे रहे है| ईरान और चीन ने ऐसे हाथ मिलाने से सायबर युद्ध का खतरा और भी बढने का दावा प्रसारमाध्यमों ने किया है|

कुछ दिन पहले ईरान ने अमरिकी ड्रोन पर किए हमले के बाद अमरिका ने ईरान के परमाणु एवं रक्षा यंत्रणा पर बडा सायबर हमला किया था| इस हमले से ईरान की परमाणु एवं आक्रामक हमले की क्षमता कम होने का दावा अमरिकी अधिकारी ने किया था| इस सायबर हमले की पृष्ठभूमि पर ईरान ने भी अमरिका को सायबर क्षेत्र में आक्रामक प्रत्युत्तर देने के लिए गतिविधियां शुरू की है|

ईरान के माहिती एवं तकनीकी मंत्री ने हाल ही में चीन यात्रा की है| इस दौरान ईरान के मंत्री मोहम्मद जवाद अझारी ने माहिती एवं तकनीकी क्षेत्र में अमरिका के वर्चस्व को लक्ष्य करके अमरिका के विरोध में ईरान और चीन एक होने का वक्तव्य किया था| अमरिका की तानाशाही की वजह से ईरान और चीन इन दोनों देशों के सामने माहिती एवं तकनीकी क्षेत्र में समान चुनौतियां खडी है और इसका मुकाबला करने के लिए समान प्रावधान करने की बात अझारी ने स्पष्ट की| चीन के मंत्री ने भी अझारी ने किए वक्तव्य का समर्थन किया और ईरान के साथ माहिती एवं तकनीकी क्षेत्र में सहयोग बढाने के संकेत दिए|

ईरान पर हुए अमरिका के सायबर हमलों के बाद हुई यह भेंट और वक्तव्य सायबर जगत में नए गठबंधन की संभावना दिखा रही है, यह दावा प्रसारमाध्यमों ने किया है| अमरिका पर सायबर हमलें कर रहे देशों में रशिया, चीन, उत्तर कोरिया के साथ ईरान भी प्रमुख स्तर पर होने की बात पहले ही कई रपट से स्पष्ट हुई है| पीछले महीने में अमरिका के अंतर्गत सुरक्षा विभाग ने दिए इशारे में भी सायबर क्षेत्र में ईरान के कारण बने खतरों का स्पष्ट तौर पर जिक्र किया गया है|

लेकिन, ईरान ने इस मामले में चीन की सहायता पाने से अमरिका के लिए बने खतरे में और भी बढोतरी हो सकती है| ईरान और चीन यह दोनों देश अमरिकी यंत्रणाओं पर सायबर हमलें करने की क्षमता रखते है और यह क्षमता सिद्ध भी हुई है| चीन तकनीकी नजरिए से अधिक आगे है और ईरान परंपरागत एवं छोटे सायबर हमलें करने में जोर दे रहा है| लेकिन, चीन ने सायबर युद्ध में भी ईरान से सहयोग करने का तय किया तो इसका दायरा और सायबर हमलें का गणित बदल सकता है, यह डर अमरिकी अधिकारी एवं तज्ञ व्यक्त कर रहे है|

फरवरी महीने में अमरिका की सरकारी यंत्रणा?और बडी नीजि कंपनियों पर हो रहे सायबर हमलों में बढोतरी होने की और इन हमलों के पीछे चीन एवं ईरान का हाथ होने की बात स्पष्ट हुई थी| अमरिका की ‘नैशनल सिक्युरिटी एजन्सी’ एवं नीजि सायबर सुरक्षा कंपनियों ने भी इस बारे में गंभीर चेतावनी भी दी थी| साथ ही चीन की गुप्तचर यंत्रणा एवं ईरानी हैकर्स प्रगत तकनीक का इस्तेमाल कर रहे है, इस ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया था| इस पृष्ठभूमि पर दोनों देशों ने हाथ मिलाना अमरिका के लिए और भी खतरनाक होगा, यह संकेत प्राप्त हो रहे है|

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