भारत-चीन संबंधों की नींव हिल गई है – विदेश मंत्री एस. जयशंकर

मॉस्को – पड़ोसी देशों में भाईचारा कायम रहने के लिए सीमा पर सौहार्द अपेक्षित होता है। लेकिन पिछले साल से भारत-चीन सीमा पर तनाव निर्माण हुआ है और ४५ सालों में पहली ही बारिश सीमा पर सैनिक शहीद हुए हैं। इससे भारत और चीन के बीच के द्विपक्षीय संबंधों की नींव हिल गई है, ऐसे गिने-चुने शब्दों में रशिया के दौरे पर होने वाले विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत की भूमिका रखी। उसी समय दूसरे विश्वयुद्ध पश्चात के दौर में, दुनिया में सबसे मजबूत और मैच्योर संबंधों के रूप में भारत-रशिया की मिसाल दी जा सकती है, ऐसा विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है।

Jaishankar-Pratyakshaगुरुवार को रशिया की ‘प्रिमॅकोव्ह नॅशनल रिसर्च इन्स्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड इकॉनॉमी अँड इंटरनॅशनल रिलेशन्स इन मॉस्को’ में विदेश मंत्री जयशंकर का व्याख्यान संपन्न हुआ। इसमें भारत के विदेश मंत्री को भारत-चीन संबंधों को लेकर सवाल पूछा गया। उसके जवाब में जयशंकर ने स्पष्ट शब्दों में, दोनों देशों के बीच तनाव निर्माण हुआ है, यह बता कर, उसके लिए चीन की आक्रामकता कारणीभूत होने की बात विदेश मंत्री ने राजनीतिक भाषा में कही। पश्चिमियों के चीन और रशिया विरोधी क्वाड संगठन में भारत सहभागी ना हों, ऐसा आवाहन रशिया द्वारा किया जा रहा है। लेकिन चीन की आक्रामकता को मद्देनजर रखते हुए, भारत इस मोरचे पर तटस्थ नहीं रह सकता, इसका एहसास विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने व्याख्यान से करा दिया। साथ ही रशिया, चीन पर होनेवाले अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें, ऐसा भी जयशंकर ने गिने-चुने शब्दों में सूचित किया।

चीन के साथ बहुत ही बिगड़े भारत के संबंधों का स्पष्ट रूप में रशिया को एहसास करा देते समय, विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत-रशिया संबंधों का महत्व अधोरेखांकित किया। दूसरे विश्वयुद्ध के पश्चात के दौर में कई देशों के द्विपक्षीय सहयोग विकसित हुए। लेकिन भारत और रशिया के संबंध सबसे मज़बूत और मैच्योर साबित होते हैं। समय-समय पर इन दोनों देशों के ये संबंध अधिक से अधिक दृढ़ होते गए और उसमें नया सहयोग भी जुड़ता गया, यह बताकर विदेश मंत्री ने उस पर संतोष ज़ाहिर किया।

‘भारत और रशिया के नेतृत्व ने अपनाई भूमिका का बहुत बड़ा परिणाम द्विपक्षीय संबंधों पर हो रहा है। सन २०१४ से अब तक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन एक-दूसरे से १९ बार मिल चुके हैं, यह एक ही बात, दोनों देशों को प्रतीत हो रहे इन द्विपक्षीय संबंधों के महत्व को अधोरेखांकित करने के लिए पर्याप्त साबित होगी। भारत और रशिया के बीच की द्विपक्षीय चर्चा के लिए रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन का स्वागत करने के लिए भारत उत्सुक है’, ऐसा भी जयशंकर ने आगे कहा।

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